आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

सोमवार, 28 दिसंबर 2009

भारत एक अमीर देश है। हम जनता भारत में गरीबी और अशिक्षा का नामो-निशान मिटा कर रहेंगे


* हमारा प्रयास अव्यावहारिक,अतर्कसंगत नीतियों और भ्रष्टाचार से त्रस्त भारत की जनता को जनता के द्वारा, जनता के लिए तय समय में भ्रष्टाचार की जांच को तर्कसंगत न्याय तक हर हाल में पहुंचाने और हर गलत नीतियों को बदलकर उसे सही करने का आदेश देश के प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को खुद जनता संयुक्त हस्ताक्षर अभियान के जरिए सीधा दे और उस पर अमल नहीं होने पर जनता निकम्मे मंत्रियों की सज़ा भी तय कर सके,इसके लिए जनता को जगाना है।
* नैतिक पतन,तर्कसंगत व्यवहार का अभाव और भ्रष्टाचार नामक गंभीर बीमारी को हमारे देश में पूरी तरह फैलाने में इन भ्रष्ट मंत्रियों के अलावा कोई जिम्मेवार नहीं है । अब इस बीमारी का सिर्फ और सिर्फ एक ही डॉक्टर इलाज़ कर सकता है,वह है-जनता और जनता संयुक्त हस्ताक्षर अभियान के जरिए इऩका इलाज़ बख़ूबी कर सकती है। साथ-साथ,इन्हें तर्कसंगत व्यवहार और तर्कसंगत न्याय के लिए क़ानून बनाना भी सिखा सकती है।
* हमारा सपना ऐसे सच्चे भारतीय गणतंत्र का है,जहां जनता यह कभी न कहे कि कहां जाएं,किससे करें शिकायत,कौन सुनेगा हमारी? बल्कि,यह कहे कि अरे अब हमलोग संयुक्त रूप से जो तय करेंगे,वही होगा। हम जिस मंत्री को जब चाहें,जनकल्याण और निम्न तबकों के हितों के लिए आदेश देंगे और उसे वही करना होगा । मंत्रियों को ए.सी. दफ्तर में बैठकर बंदरबांट करने और ज़मीनी लोगों की समस्याओं को सुधारने की बजाए,अपनी झोली भरने के लिए तनख्वाह अब नहीं मिलेगी । अब उन्हें जनता के बीच आकर,किसी भी नीति को बनाने से पहले जनता के विचारों और सुझावों को जानना ज़रूरी होगा और प्रतिदिन 18 घंटे जनता की सेवा के लिए हर हाल में देना होगा ।
* भारत एक अमीर देश है लेकिन भ्रष्ट नेताओं ने इसे गरीब से भी बदतर देश बना दिया है। लोगों को बेईमान,भ्रष्ट और संवेदनाविहीन बनने को मज़बूर कर दिया है। यह कैसा गणतंत्र है जहां लोग सच के लिए लड़ नहीं सकते,जांच का कोई समय नियत नहीं होता,जांच आयोग बिठाकर समस्याओं को भुला दिया जाता है? रुचिका आत्मह्त्या कर लेती है, उसे न्याय नहीं मिलता और उसका परिवार तबाह हो जाता है और डीजीपी राठौर जैसे अदने से व्यक्ति का कुछ नहीं बिगड़ता। अब ऐसे मामलों का विचार जनता संयुक्त हस्ताक्षर अभियान के जरिए करके यह तय करेगी कि डीजीपी राठौर को कितने वर्षों की सज़ा हो या कानून की बेहद जानकारी और रक्षक होने के बावजूद,उसने कानून को अपने जूते तले रौंदा,इसके लिए उसको फांसी हो ताकि भविष्य में कोई कानून की रक्षा के लिए तैनात उच्चाधिकारी इस तरह की हरकत करने से पहले दो हज़ार बार सोचे।

* शिक्षा का व्यावसायीकरण बंद करके स्नातक स्तर तक की शिक्षा एक रूपये का शुल्क देकर किसी भी बच्चे को मिलेगी और स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद हर छात्र,जिसने स्नातक की परीक्षा पास कर ली है,वह किसी भी जाति,समुदाय,धर्म का क्यों न हो,उसे स्नातक पास करने के बाद के पांच वर्षों तक तीन हजार रूपए मासिक बेरोज़गारी भत्त्ता मिलेगा-अपने व्यवसाय या नौकरी के शोध के लिए और इसके लिए कोई भी अधिकारी नियुक्त नहीं होगा, बल्कि सीधा विश्वविद्यालय से हर छात्र के खाते में यह राशि हर महीने की पांच तारीख़ से पहले पहुंच जाएगी और अगर छात्र को पांच साल से पहले नौकरी मिल जाती है या वह व्यवसाय के लिए शोध करके बैंक का लोन लेकर व्यवसाय करना चाहता है,तो उसे दो लाख तक का ऋण चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर दे दिया जाएगा और उसके मासिक बेरोजगारी भत्ते को ऋण राशि भुगतान में पांच वर्षों तक समायोजना मिलेगा। उसके बाद वह छात्र ऋण की अदायगी स्वयं अपने व्यवसाय के आधार पर करेगा। इससे भ्रष्ट नेता और अधिकारी उनका प्रयोग सच्चे,ईमानदार और देशभक्त लोगों द्वारा इस व्यवस्था मे व्याप्त भ्रष्टाचार और अराजकता के खिलाफ़ उठी आवाज़ को दबाने के लिए करते हैं,ऐसा नहीं कर पाएंगे और गांवों से युवाओं का पलायन शहरों की ओर बंद हो जाएगा और कोई भी स्नातक की पढ़ाई पढने को प्राथमिकता के साथ स्वाभाविक रूप से आगे आएगा और पढ़ाई पूरी करने के बाद,गलत राह को चुनने के लिए मज़बूर नहीं होगा । इससे हर क्षेत्र में चाहे वह ईंजीनियरिंग,डॉक्टरी,पत्रकारिता,राजनीति इत्यादि क्षेत्रों में समाजसेवा और देशसेवा की भावना प्रबल होगी ।
* हर उस व्यक्ति,जिसकी उम्र 35 वर्ष या ज्यादा है और उसने 10 वर्ष या उससे ज्यादा तक एक ही शहर में अपना जीवन बिताया है और उसके ऊपर कोई भी सामाजिक,कानूनी या आपराधिक मामला नहीं चल रहा है और 35 वर्ष उम्र होने के बावजूद उसके पास या उसकी पत्नी के पास एक भी मकान या फ्लैट नहीं है,तो उसे सरकार हर हाल में 5 से 10 लाख रूपए में दो बेडरूम का बहुमंजिला फ्लैट उपलब्ध कराएगी । यह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा । किसी भी आवेदक को किसी भी स्थिति में फ्लैट के लिए दो साल से ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा और कोई भी आवेदक जब चाहे,तब इस कार्य से जुड़े अधिकारियों से सम्पर्क कर स्वयं जाकर मौक़े पर,जहां उनके लिए फ्लैट का निर्माण हो रहा है,कार्य की गुणवत्ता और प्रगति की रफ्तार का मुआयना कर अधिकारियों को निर्देश भी दे सकता है । इस फ्लैट के लिए आवेदन शुल्क,गरीबी रेखा से ऊपर वालों के लिए 50 हज़ार और गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिए 10 हजार रूपए होगा । आवेदन के एक महीने के भीतर आवेदक को यह बता दिया जाएगा कि उसे फ्लैट किस क्षेत्र में और कहां मिलेगा । फ्लैट का आवंटन ड्रॉ नहीं,बल्कि आवेदन की प्राथमिकता के आधार पर होगा । आवेदक को उसके पसंद के क्षेत्र या उसके कार्यक्षेत्र में फ्लैट उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी जाएगी। इस फ्लैट के आवंटन के समय शर्त यह होगी कि आवंटी यह फ्लैट आवंटन के दो साल बाद ही बेच पाएगा और वह भी उसी प्राधिकरण को,जिस प्राधिकरण ने उसे फ्लैट उपलब्ध कराया है। प्राधिकरण में इस प्रकार की व्यवस्था पुख्ता तौर पर की जाएगी कि वर्तमान बाजार मूल्य पर फ्लैट को आवंटी से खरीदा जाए और उस मूल्य पर दस प्रतिशत सेवाशुल्क काटकर एक हफ्ते में ड्राफ्ट के जरिए विक्रेता आवंटी को मकान खाली करवा कर पैसे का भुगतान कर दिया जाए और उस फ्लैट को खरीदे गए मूल्य पर 10 प्रतिशत सेवाशुल्क लगाकर दूसरे आवेदक को एक महीने के अंदर उस मकान को दिखाकर आवंटित कर दिया जाए। इस प्रक्रिया में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर अगर भ्रष्टाचार का आरोप कोई आवेदक लगाता है,तो जांच पूरी होने तक उस अधिकारी या कर्मचारी को नौकरी से बाहर रखने और प्राधिकरण के आसपास बिना बुलाए नहीं भटकने का आदेश होगा और जनता जब चाहे,फाइल देख कर या अधिकारियों से कागजात दिखाने को कहकर इसकी निगरानी कर सकती है । जनता के लिए प्रगति का ब्यौरा और प्रतीक्षा-सूची की वर्तमान स्थिति हर दिन प्राधिकरण के कार्यालय में उपलब्ध होगा। ऐसा बड़ी आसानी से हो सकता है,अगर हम जनता असल में मालिक बन जाएं। तब जाकर ही बिनोवा भावे का भूदान आंदोलन का सपना भी साकार होगा । इस योजना में,एक व्यक्ति किसी भी कीमत पर अपने या अपनी पत्नी के नाम दूसरा फ्लैट नहीं खरीद सकता है।
* अगर आप इस तरह के भारत का सपना देख रहे हैं या भारत से गरीबी,अशिक्षा,भ्रष्टाचार,अतर्कसंगत व्यवहार इत्यादि बुराइयों को मिटाने के लिए लड़ रहे हैं,तो हम भी आपके साथ हैं । आप देश के किसी भी कोने में क्यों न हों,आपके पास honesty project for real democracy के बैनर तले अपने इलाके में, लोगों को जगाने तथा उन्हें उनकी इस ताकत का एहसास कराने के लिए कि वे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी आदेश दे सकते हैं, कभी भी आपके साथ सहयोग को तैयार हैं ।