आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

रविवार, 17 अक्तूबर 2010

मुकेश अम्बानी साहब आपको नया घर बहुत-बहुत मुबारक हो ....लेकिन आपकी इस गणतंत्र के प्रति भी नैतिक जिम्मेवारी है .....

मुकेश और नीता अम्बानी जी ,जिनको नये आवास की अग्रिम बधाई और शुभकामनायें ...अब आप दोनों कृपाकर अपनी सारी शक्ति इस देश और समाज के लिए लगायें..इसके लिए पूरा देश और समाज आपका आभारी रहेगा ...(चित्र -गूगल से साभार)
मुकेश अम्बानी जी के नये आवास की एक झलक...(चित्र -गूगल से साभार)

मुकेश अम्बानी साहब आपको लगभग 6000 कड़ोर क़ी लागत से बना,173 मीटर ऊँचा,60 मंजिल क़ी ऊंचाई में ज्यादा ऊंचाई वाले 27 मंजिला ,168 कारों के पार्किंग क़ी क्षमता वाला,तीन हेलीपैड-स्विमिंग पूल-झूलता गार्डेन,तथा और भी स्वर्गों जैसी सुविधायुक्त नया आवास बहुत-बहुत मुबारक हो | 


आपने यह आवास कानून द्वारा तर्कसम्मत विधि से अर्जित धन से बनाया है इसलिए इसका विरोध करने का भी किसी को कोई हक़ नहीं ..वैसे भी किसमे हिम्मत है क़ी खुले आम आपका किसी भी बात के लिए विरोध कर सके ...?



मैं आपको कानूनी दायरे से बाहर आकर इंसानियत और नैतिकता में बाँधकर आपसे आग्रह करता हूँ क़ी इस देश को आप जैसे अनुभवी,कर्मठ,शक्तिशाली तथा भाग्यशाली व्यक्ति के अंतरात्मा क़ी सख्त जरूरत है | आज इस देश में इंसानी अंतरात्मा,सच बोलने वाले,न्याय के लिए लड़ने वाले ,ईमानदारी को भगवान के समान मानने वाले लोगों क़ी बड़ी दयनीय स्थिति है खासकर इस देश क़ी आत्मा गांवों में बसती है लेकिन गांवों में स्थिति बेहद शर्मनाक है सत्य,न्याय,ईमानदारी,देशभक्ति तथा इंसानियत के राह क़ी | अब तो लोग इन बातों से कोढ़ के रोग क़ी तरह दूर भाग्तें हैं ...निश्चय क़ी यह आपके साथ-साथ पूरी इंसानियत के लिए भी खतरे क़ी घंटी है |



अतः इतिहास से सबक अगर लिया जाय तो उस साम्राज्य का पताका ज्यादा दिनों तक फहराता रहा है जो अंततः सत्य,न्याय,ईमानदारी तथा इंसानियत को सुरक्षा व सहायता के लिए अपने ताकत का इस्तेमाल किया है | हमारे देश में दुर्भाग्य से उद्योगपतियों क़ी छवि दिनों दिन समाज व इंसानियत विरोधी बनती जा रही है ..चूँकि हिन्दुस्तानी मीडिया इन्ही उद्योगपतियों के सहारे जिन्दा है या यों कहें क़ी उनके व्यवसायिक हित इनसे ही सधती है इसलिए मीडिया में उद्योग पतियों के खिलाप सार्थक आलोचना का भी अब पूरा मामला ही साफ हो गया है जिससे उद्योगपतियों में सामाजिक सरोकार क़ी भावना कहिं ग़ुम सी होती जा रही है |
अतः इन सब बातों के मद्दे नजर आपसे नम्र आग्रह है क़ी अब आपने इस नए आवास के साथ सबकुछ पा लिया है और अब आपको अपने समूह के शुद्ध लाभ का 50% इस देश के ह़र गांव में एक अदद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,एक इन्टरनेट से सुसज्जित जन समस्या निवारण प्रयास केंद्र ,एक चिकित्सालय जैसे मूलभूत जरूरत जैसे सुविधाओं को स्थापित करने तथा उसके लिए योग्य और इमानदार लोगों को ढूंढकर उसे संचालित  करवाने पर खर्च करना चाहिए | ऐसा करने से आप ना सिर्फ पूंजीपतियों के बीच बल्कि इस देश क़ी आत्मा (गांवों में रहने वाले)से भी सबसे महान उद्योगपति कहलाने योग्य बन जायेंगे | ऐसा करना एक इंसान और भारतीय नागरिक होने के नाते आपका नैतिक दायित्व भी है |

आशा है आप इस मुद्दे पर नए आवास के खुशनुमा माहौल में पहुँचने के बाद सोचना और उस पर अमल करना शुरू कर देंगे | यकिन मानिये ऐसा करने से अम्बानी समूह का सूरज कभी अस्त नहीं हो पायेगा  बल्कि इस देश के आत्मा में भी चमकता रहेगा ....!

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

ब्लोगिंग के जरिये गणतंत्र को आगे बढाने का एक अभूतपूर्व आयोजन का सार्थक प्रयास.....


महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविध्यालय वर्धा(महाराष्ट्र) के द्वारा 9-10 अक्टूबर को ब्लोगिंग पे आधारित कार्यशाला और विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है | इस आयोजन का श्रेय विश्वविध्यालय के कुलपति श्री विभूति नारायण राय जी तथा संपरीक्षा अधिकारी श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी के ब्लोगिंग के प्रति सम्मान भरी सोच तथा ब्लोगिंग को सामाजिक सरोकार से जोड़ने क़ी उनकी हार्दिक इच्छा को विशेष रूप से दिया जा सकता है | मैं यह पोस्ट वर्धा से प्रकाशित कर रहा हूँ | मैंने यहाँ पहुंचकर श्री रॉय और श्री त्रिपाठी जी द्वारा इस आयोजन में बुलाये गए ब्लोगरों के लिए किये गए व्यवस्था का भी जायजा लिया ,जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है क़ी यह विश्वविध्यालय श्री रॉय साहब के कुलपति बनने के बाद समुचित विकास क़ी दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और इस विश्वविध्यालय क़ी व्यवस्था काफी अच्छी है | मैं आज श्री विभूति नारायण राय जी से भी मिला जिन्होंने बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया और हिंदी ब्लोगिंग से जुड़े आयोजन को नियमित करने का भी आश्वासन दिया जो निश्चय ही अन्य विश्वविध्यालयों के लिए अनुकरणीय है | हम श्री राय के आभारी है जिन्होंने हिंदी ब्लोगिंग को सार्थक दिशा देने के लिए एक उम्दा प्रयास किया है तथा  हिंदी  के विकास  के  लिए  स्थापित  एकमात्र   विश्वविध्यालय  को  सही मायने में जमीनी  स्तर  पर  स्थापित करने का भी नेक और सराहनीय काम किया है  |


ये कुछ चित्र हैं जो मैंने आज अपने कैमरे से कैद किये हैं  जिसमे इस विश्वविध्यालय क़ी हरी-भरी व्यवस्था क़ी छवि  दिखती है ....
विश्वविध्यालय का भव्य मुख्य द्वार
मुख्यद्वार पर लगा हिंदी विश्वविध्यालय का बोर्ड जो हिंदी का सम्मान बढ़ाता हुआ...
विश्वविध्यालय का हरा-भरा माहौल जो शिक्षा के लिए अनुकूल है..
विश्वविध्यालय के कुलपति अपने कार्यालय में मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के बाद अकस्मात आये किसी फोन पर बात करते हुए...
कुलपति महोदय का कार्यालय कक्ष
विश्वविध्यालय के संपरीक्षा अधिकारी श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी अपने कार्यालय में ...




इस ब्लोगिंग के विकास के कार्यशाला में कल जिन जाने-माने ब्लोगरों के उपस्थित होने की पुष्ट सूचना प्राप्त हुई है उनके नाम इस प्रकार हैं ...
श्री अनूप शुक्ल(कानपूर)
डॉ.कविता वाचक्नवी(लन्दन/इलाहबाद)
श्री अविनाश वाचस्पति(दिल्ली)
श्री यशवंत सिंह(दिल्ली)
श्री सुरेश चिपलूनकर(उज्जैन)
डॉ.ऋषभदेव शर्मा (सिकंदराबाद)
डॉ.(श्रीमती)अजित गुप्ता(उदयपुर)
श्री रविन्द्र प्रभात(लखनऊ)
श्री विवेक सिंह (पानीपत)
श्री जाकिर अली रजनीश(लखनऊ)
श्री प्रवीन पाण्डेय(बंगलौर)
श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी(दिल्ली)
श्री प्रियंकर पालीवाल(कलकत्ता)
सुश्री अनीता कुमार (मुंबई)
श्री शैलेश भारतवासी(दिल्ली)
श्री संजय बेंगाणी(अहमदाबाद)
श्री अशोक कुमार मिश्र(मेरठ)
श्री संजीत त्रिपाठी(रायपुर)
डॉ.महेश सिन्हा(रायपुर)
सुश्री गायत्री शर्मा(इंदौर)
श्री विनोद शुक्ल(इलाहाबाद)
तथा मैं जय कुमार झा (दिल्ली) से तो पहुँच ही चुका हूँ...

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

इस गणतंत्र को बचाना है तो लोभी,भोगी,स्वार्थी और भ्रष्टाचार को पोषण देने वाले लोगों को देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे सम्माननीय पदों पर से हटाने के आवाज को बुलंद करना होगा ....

गणतंत्र भ्रष्ट और नैतिकपतन हो चुके लोगों के नेतृत्व क़ी वजह से पूरी तरह अस्त होने क़ी कगार पे है ,जिसका उदय सिर्फ और सिर्फ इन लोगों के खिलाप इस देश के 80 प्रतिशत जनता द्वारा निड़र होकर सड़कों पर निकलकर आवाज उठाने से ही हो सकता है ...

इस प्रधानमंत्री ने न्याय और संवेदनशीलता को एकदम भुला दिया है प्रधानमंत्री क़ी कुर्सी के भोग और विलाश में  , इसने इस देश को पत्थर बनने और भ्रष्टाचार को सहने के लिए मजबूर कर दिया है ,अब तो इसने हद ही कर दी है ...


हमारा हमेशा से मानना रहा है क़ी कोई व्यक्ति किसी पद पर बैठकर महान नहीं बल्कि उस पद क़ी मर्यादा के अनुसार आचरण करने से होता है |




एक तरफ जहाँ सर्वोच्च न्यायालय के एक जज ने न्याय और इंसानियत को जिन्दा करने के लिए अभूतपूर्व निर्णय दिया और शरद पवार जैसे भ्रष्ट मंत्री क़ी वजह से सड़ चुकी व्यवस्था को आदेश दिया क़ी अनाज को सड़ाने से अच्छा है क़ी उसे गरीबों में मुफ्त बाँट दिया जाय | ऐसा आदेश सरकार को देकर सर्वोच्च न्यायालय के माननीय जज ने ना सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के मर्यादा को बढाया बल्कि न्याय और इंसानियत का संतुलन कैसे होता है इसका अभूतपूर्व उदाहरण सरकार और इस देश क़ी जनता के सामने पेश किया | 




वहीँ दूसरी ओर हमारे देश के प्रधानमंत्री जो इस देश क़ी जनता के सेवा के लिए तनख्वाह पाते हैं ,ने इस आदेश के बाद सर्वोच्च न्यायालय को सरकार के नीतिगत मामलों से दूर रहने को कहा | 



ऐसा कहकर मनमोहन सिंह जी ने ना सिर्फ न्याय को हतोत्साहित करने का काम किया है बल्कि भ्रष्टाचार को बढाने तथा शरद पवार जैसे भ्रष्टाचारियों को सरकारी संरक्षण देने क़ी भी कोशिस क़ी है | मनमोहन सिंह जी ने ऐसा बयान देकर अपने मानसिक दिवालियापन और इस देश क़ी जनता के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता का परिचय दिया है | अब वक्त आ गया है क़ी हमसब को मिलकर ऐसे निकम्मे प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री जैसे पद को छोड़ने के लिए मुहीम चलाने क़ी जरूरत है | शर्मनाक है मनमोहन सिंह जी का बयान और दिमागी दिवालियापन....?




हम ऐसे अन्याय और भ्रष्टाचार को पोषण देने वाले बयान देने वाले प्रधानमंत्री का पुरजोड़ विरोध करते और हमें इस बात का बेहद दुःख है क़ी एक निकम्मा व्यक्ति हमारे देश के प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद पर बैठा है जिससे हमारा देश और समाज नरक बनता जा रहा है | आप सबसे भी आग्रह है क़ी आप लोग भी अपने स्वयं के अंतरात्मा के आवाज पर निड़र होकर इस प्रधानमंत्री के बारे में अपने विचार यहाँ रखें ...  



शर्मनाक के साथ-साथ खतरनाक है क़ी अब ऐसे लोगों को इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेवार और सम्माननीय पदों पर बैठाया जा रहा है जो देश क़ी जनता के प्रति जिम्मेवार होने के वजाय दलालों और भ्रष्टाचारियों के प्रति ज्यादा जवाबदेही दिखाते हैं और जिसकी वजह से इस देश में सत्य,ईमानदारी और इंसानियत लगभग ख़त्म होती जा रही है | शायद इनकी मनसा इस गणतंत्र को दलालों का तंत्र बनाने का है | शायद यही वजह है क़ी शरद पवार और राजा जैसे लोग इन सम्माननीय पदों से भी ऊपर हो गए हैं और इनपर कोई भी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है और देश में एक सन्देश जा रहा है क़ी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पदों पर बैठा व्यक्ति भी इन भ्रष्टाचारियों के रहमों करम पे  है | 

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

इस गणतंत्र में सच्चे और भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ने वालों क़ी औकात भारत सरकार के नजर में एक कुत्ते बिल्ली से ज्यादा कुछ भी नहीं.....?

     

श्री हरी प्रसाद जिसने इस देश के लोकतंत्र के चुनावी प्रक्रिया क़ी धांधली को उजागर करते हुए यह साबित करने का प्रयास किया क़ी मशीन को कैसे हैक कर किसी एक पार्टी को फायदा पहुँचाया जा सकता है इस बात पर ना सिर्फ शोध किया बल्कि उसे प्रमाणित भी किया |
लेकिन श्री हरी प्रसाद को हैदरावाद में मुंबई पुलिस द्वारा उनके आवास से गिरफ्तार करना इस बात को साबित करता है की इस देश में सच्चे लोगों की तथा भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ने वालों की औकात भारत सरकार के नजर में एक कुत्ते बिल्ली से ज्यादा कुछ भी नहीं ...?
इस बात को निम्नलिखित तथ्यों से भी प्रमाणित किया जा सकता है ....

1 - भारत सरकार अभी तक संसद भवन पर हमले के आरोपी को फांसी देने में तत्परता नहीं दिखा पाई है ....


2 -आदिवासी लड़की को नंगा घुमाया जाता है दबंगों द्वारा उस पर भारत सरकार की आँखें नहीं खुलती है ...

3 - देश भर में सच्चे सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा RTI कार्यकर्ताओं को कुत्ते-बिल्ली की तरह भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा कहीं भी कभी भी मार दिया जाता है ,लेकिन अभी तक किसी को भी भारत सरकार सजा नहीं दे पाई है ... 

4 -चुनाव आयोग में ऐसे कई अधिकारी हैं जिनके पास अड्बों की संपत्ति है क्या उनकी जाँच करने वाला कोई है ...? मुख्य चुनाव आयुक्त को किसी चुनाव सुधार पर शोधकर्ता बनाने के वजाय खेल मंत्री बनाया जाता है और खेल के पीछे भ्रष्टाचार का बेशर्मी भरा खेल खुले आम खेला जाता है ,लेकिन भारत सरकार कोई कार्यवाही नहीं करती है ... 

5 -जब हरी प्रसाद ने शोध के लिए EVM मशीन की मांग की थी और उसे ठुकरा दिया गया था इसी से साबित होता है की EVM मशीन में भारी खामियां है | 

क्योंकि अगर कोई EVM मशीन छेड़-छाड़ करने बाद भी  किसी एक पार्टी के पक्ष में या विपक्ष में कार्य करता रह जाता है तो निश्चय की इस मशीन को बनाने वाली कंपनी तथा इसे खरीदने वाली सरकार तथा इसे चुनाव में लागू करने वाली चुनाव आयोग के मुखिया गुनाहगार हैं ,जिसे देश के साथ और देश के लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के साथ गद्दारी करने के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए ...इस मशीन में छेड़-छाड़ के बाद इस मशीन का काम करते रहना ही अपने आप में गंभीर खामियां है जिसे कोई मामूली कम्प्यूटर जानकार भी साबित कर सकता है ...

6 -यहाँ यह बात बेहद गंभीर है की डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने खुलेआम सोनिया गाँधी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 2009 के आम चुनाव में विदेशी हैकर्स को भारी पैसा देकर अनुबन्धित किया, जो दिल्ली के पाँच सितारा होटलों में बड़े-बड़े तकनीकी उपकरणों के साथ ठहरे थे, और इसकी गहन जाँच होनी चाहिये | निश्चय ही यह देश के अस्तित्व से जुड़ा मामला है इसलिए श्री हरी प्रसाद को EVM मशीन की चोरी के आरोप के साथ-साथ सोनिया गाँधी पर लगे आरोपों की भी जाँच जरूर होनी चाहिए और कानून की नजर में सोनिया गाँधी और हरी प्रसाद को एक नजर से देखा जाना चाहिए | जरूरत पड़े तो इस मामले में चुनाव आयोग के अधिकारियों की भी सख्त जाँच होनी चाहिए और सबकी ब्रेनमेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट भी की जानी चाहिए |  

अगर ऐसा नहीं होता है तो देश के सच्चे लोग भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ाई को बंद कर दें क्योंकि इस देश में ऐसे लोगों को कभी भी भारत सरकार किसी भी तरह से सुरक्षा नहीं दे सकती ठीक उसी तरह जैसे किसी कुत्ते बिल्ली की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती है | जरा सोचिये श्री हरी प्रसाद को गिरफ्तार करने के वजाय उन्हें आरोप पत्र देकर न्यायिक जाँच में सहयोग करने की नोटिस नहीं दी जा सकती थी ..? क्या हरी प्रसाद जैसे सच्चे समाज के हितैषी के साथ इस तरह का व्यवहार उचित है...? विपक्ष तथा मिडिया का इस दिशा में कुछ भी सार्थक नहीं किया जाना निश्चय ही शर्मनाक है ...


खैर हमारे जैसे लोगों के दिल में तो श्री हरी प्रसाद   जैसे लोगों के लिए इस देश के इस वक्त के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के प्रति  सम्मान और श्रधा से भी ज्यादा सम्मान और श्रधा है | श्री हरी प्रसाद जी आज के महात्मा गाँधी हैं जो सत्य और न्याय के लिए निडरता से इस देश की अंग्रेजों से भी ज्यादा भ्रष्ट हो चुकी व्यवस्था के खिलाप लड़ रहें है | ऐसे लोगों को हमारा हार्दिक नमन है और पूरे विश्व के ब्लोगरों से आग्रह है की इस नेक इंसान के पक्ष में आगे आयें और जितना हो सके उनका हरसंभव मदद और सहायता करें | ऐसे लोगों को सरकार में बैठे भ्रष्ट लोगों और किसी राजनितिक पार्टी की नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों की सहायता और सहयोग की जरूरत है |

शनिवार, 14 अगस्त 2010

कल गणतंत्र में एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...?

जब तक ऐसे भ्रष्ट नेता देश के विकाश के साधन और संसाधन को खुद का विकाश करने के लिए पूरी आजादी से लूटते रहेंगे और देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर बैठे लोग ऐसे लोगों पर कोई भी कार्यवाही करने में असमर्थ रहेंगे तबतक देश में आजादी एक ख्वाब और सपना ही रहेगा ..

कल देश के निकम्मे प्रधानमंत्री को 
एक बार फिर कुव्यवस्था को नहीं सुधारने और प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद को शर्मसार करने क़ी आजादी मिल जाएगी ..


कल देश में शरद पवार जैसे भ्रष्ट मंत्रियों को देश को लूटने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी...

कल देश में भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को अपनी तनख्वाह,भत्तों और सुख सुविधा को गरीबों का खून चूसकर भी अपने मन मुताबिक बढाने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ....असली आजादी ...?


कल देश के पुलिस व्यवस्था को इमानदार,सच्चे,देशभक्त,गरीब और लाचार लोगों के किसी भी शिकायत पर कोई भी कार्यवाही नहीं करने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...

कल देश के भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और उनके अपराधी प्रतिनिधियों को बैंक तथा जिला प्रशासन के सहयोग से सभी जन्कल्यानकारी योजनाओं को लूटने और देश के विकाश को नकली विकाश में बदलने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...



कल देश के गरीब,इमानदार,सच्चे,अच्छे,देशभक्तों को अपमानित होने,भूखे मरने,अन्याय व अत्याचार सहकर मरने तथा सत्य व न्याय के ढोंग के दर्दनाक अवस्था को सहने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...

देश के ९०% भ्रष्ट मंत्रियों को अपने मन मुताबिक देश को बेचने और अपना काला धन स्विस बैंक में भरने तथा खुलेआम भ्रष्टाचार का नंगा खेल खेलने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ... 

कल देश के सभी भ्रष्ट जाँच अधिकारियों को किसी भी घोटाले क़ी जाँच क़ी कागजी कार्यवाही कर पैसा बनाने और किसी भी भ्रष्टाचारी को सजा नहीं देने क़ी आजादी एक बार फिर मिल जाएगी ....




कल देश के भ्रष्ट और एय्यास जजों तथा वकीलों को कानून,सत्य तथा न्याय को खुले आम बेचने और पूरी न्याय व्यवस्था को शर्मसार करने क़ी एकबार फिर आजादी मिल जाएगी ...

कल देश के आम नागरिकों को भी कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार के दुर्गन्ध युक्त शासन को एक बार फिर ह़र-हाल में सहने क़ी आजादी मिल जाएगी ...

गुरुवार, 29 जुलाई 2010

सभी ब्लोगरों से आग्रह आप अपने ब्लॉग का एक पोस्ट ऐसे सच्चे और इमानदार गणतंत्र के रक्षक को जरूर समर्पित कीजिये ,तब जाकर कुछ बदलाव आएगा ...

आज जहाँ ज्यादातर विधायक स्वार्थवश देश समाज को लूटने के लिए भ्रष्टाचार और अपने अधिकार का दुरुपयोग कर इस देश और समाज को नरक बनाने पर तुले हुए है ऐसे में श्री सुखराम कोली जैसे सच्चे और बेहद इमानदार विधायकों का होना आशा क़ी एक किरण के रूप में सभी अच्छे,सच्चे,इमानदार व देशभक्त भारतीय नागरिकों के प्रेरणा स्त्रोत का काम कर रहें हैं | ऐसे नेक इंसान को हमारा हार्दिक नमन |

इस महान गणतंत्र"भारत"के राजस्थान राज्य के धौलपुर के बसेड़ी के विधायक सुखराम कोली शिक्षक बनकर स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं | महत्वपूर्ण बात यह नहीं क़ी वह बिधायक का पद त्यागकर शिक्षक बनना चाहते हैं |

महत्वपूर्ण बात यह है क़ी श्री सुखराम कोली बेहद इमानदार और सच्चे इंसान हैं और उसका सबूत है -सुखराम कोली के घर के बेडरूम में कूलर तक नहीं है। मनोरंजन के लिए एक छोटा सा ब्लैक एंड व्हाइट टीवी है। विधायक को आवास के रिनोवेशन के लिए लाखों रुपए मिलते हैं लेकिन सुखराम ने एक पाई भी खर्च नहीं क़ी मात्र आधा बीघा जमीन के मालिक सुखराम कोली का विचार है  कि एक शिक्षक बन जाने के बाद यदि मैं 100 लोगों को शिक्षित कर पाऊँ, तो मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी। विधायक रहते हुए मैं किसी का भला नहीं कर सकता। यह मेरा विश्वास है।

श्री सुखराम कोली जी को उनके ऐसे विचारों के लिए ब्लॉग पर सबसे पहले नारायण बारेठ  बीबीसी संवाददाता, जयपुर ने अपने ब्लॉग पोस्ट 

पर लिखकर सम्मानित किया था ,उसके बाद राज भाटिया जी ने
पर लिखकर उनको सम्मान देने क़ी कोशिस क़ी और उसके बाद महेश परिमल जी ने
नारायण बारेठ जी

राज भाटिया जी

महेश परिमल जी

इस पोस्ट पर उनके बारे में लिखकर उनको सम्मानित किया | हम इन तीनो व्यक्ति को इनके समाज व देश हित में सोचने वाले एक इमानदार इंसान के बारे में अपने ब्लॉग के जरिये लिखकर सम्मान देने के लिए इनका हार्दिक धन्यवाद करते हैं और उन सभी का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं या विचारों से इस नेक इंसान के सम्मान को बढाने के प्रयास को मजबूती दी | हमारा आग्रह है सभी ब्लोगरों से क़ी श्री सुखराम कोली जैसे बेहद इमानदार व नेक इंसान को सम्मान देते हुए अपने ब्लॉग का एक पोस्ट जरूर समर्पित करें | आप ऐसा कर अपने देश व समाज को आगे बढाने के ईमानदारी भरे प्रयास को भी मजबूती प्रदान करेंगे |
 

बुधवार, 21 जुलाई 2010

पूरे गणतंत्र और देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री कि मौत है ये .....बेहद शर्मनाक ..




जब भी देश में एक इमानदार,सत्य,न्याय तथा देशभक्ति के साथ पारदर्शिता के लिए काम कर रहे किसी व्यक्ति को मारा जाता है तो वह उस व्यक्ति कि नहीं बल्कि पूरे गणतंत्र,देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री कि मौत होती है |
अहमदाबाद हाईकोर्ट के सामने शाम 8:30 से 8:45 के बीच दो मोटरसाइकिल सवारों के द्वारा गोली मारकर एकबार फिर एक सच्चे हिन्दुस्तानी तथा RTI कार्यकर्ता  अमित जेठवा को मार दिया गया | इस बार भी इस देशभक्त कि हत्या का आरोप देश के भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों पर है जो इसबार BJP से जुड़ा हुआ है और जिसके अवैध खनन के करतूतों को अमित जेठवा उजागर करने पे तुले हुए थे |

निश्चय ही अमित जेठवा जैसे लोगो कि मौत इस देश के गणतंत्र ,राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कि मौत है | क्योंकि अमित जेठवा जैसे लोग इस देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से भी महत्वपूर्ण काम कर रहे होते हैं और ऐसे लोगो कि मौत पूरे देश के लिए शर्मनाक है | अमित जेठवा कि मौत पर देश के कर्ताधर्ता को दोषियों को पकरने के लिए वैसे ही हरकत में आना होगा जैसे किसी देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति कि मौत पर हरकत में आते हैं ,तब जाकर  ऐसे मौतों का सिलसिला रुकेगा | 

अमित जेठवा कि मौत से देश में पारदर्शिता व सूचना के अधिकार के कानून कि मौत एकबार फिर हुयी है | हमारा आग्रह इस देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से है कि अमित जेठवा के हत्यारे को तिन दिनों में पकड़कर सजा दी जाय या अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त को नौकरी से हटाया जाय क्योंकि इस तरह कि हत्या पुलिस अधिकारियों कि गंभीर लापरवाही से ही होते हैं और गणतंत्र रोता है  |

रविवार, 11 जुलाई 2010

असल गणतंत्र,असली आजादी और पुलिस कि भूमिका ........

जरा सोचिये क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कभी कि, आपने पुलिस के किसी अधिकारी से किसी के सुरक्षा कि गुहार लगायी हो और वह अधिकारी तुरंत ही उसपर पूरी तत्परता से एक सच्चे समाज सेवक कि तरह लग गया हो और खुद आपको फोन कर यह जानने का कई बार प्रयास कर रहा हो कि "बताइए सुरक्षा पहुंची या नहीं ,दोषियों के खिलाप कार्यवाही हुयी कि नहीं ?"

पिछले दिनों ऐसा ही हुआ हमारे साथ ,हालाँकि  हम हमेशा से मानते रहें हैं कि अभी भी सरकारी व्यवस्था में इमानदार,सच्चे,अच्छे और देशभक्त लोग मौजूद हैं,वह चाहे पुलिस हो,खुपिया व्यवस्था हो ,प्रशासनिक व्यवस्था हो या अन्य किसी भी प्रकार कि सरकारी सेवा हो | लेकिन भ्रष्टाचार का कोढ़ और भ्रष्ट लोगों का दवाब ज्यादातर अधिकारी नहीं झेल पाते हैं जिससे व्यवस्था सडती जा रही है | व्यवस्था को सडन से बचाने के लिए आम लोगों कि निडरता नामक कीटनाशक कि जरूरत है जिससे ना सिर्फ सडन कम होगी बल्कि अच्छे,सच्चे,देशभक्त और इमानदार अधिकारियों में भ्रष्टाचार का कीड़ा भी नहीं लगेगा |

इस देश का एक इमानदार पुलिस अधिकारी जिनका नाम श्री जसवीर सिंह है जो DIG UP पुलिस  के पद पर कार्यरत हैं ने एक सच्चे और इमानदार समाज सेवक कि  तरह काम किया और दूसरे अधिकारियों  श्री नीलेश कुमार SSP बुलंदशहर को भी ईमानदारी से काम करने को प्रेरित कर एक सच्चे ,अच्छे,देशभक्त और ईमानदारी से समाज और देश में बदलाव लाने का प्रयास कर रहे श्री राम बंसल जी को दूर दराज के गांव में भी समुचित सुरक्षा पहुंचाकर असल गणतंत्र,असली आजादी और पुलिस कि भूमिका का सच्चा अहसास  कराया | 

निश्चय ही यह एक ऐसी घटना है जिससे देश भर के सभी पुलिस अधिकारियों को प्रेरणा लेकर ईमानदारी से काम करने कि जरूरत है | उपर्युक्त दोनों पुलिस अधिकारियों कि निडरता भरी कार्यप्रणाली सराहनीय ,वंदनीय व अनुकरणीय है | ऐसे ही अधिकारियों से यह देश और समाज व्यवस्था के सडन के बाबजूद घिसट कर ही सही लेकिन आगे बढ़ रहा है ,जिस दिन ऐसे गिने चुने लोग भी ईमानदारी और अपने कर्तव्य को भूल जायेंगे उस दिन ये देश और समाज नहीं बचेगा |

आप लोग चाहें तो श्री जसवीर सिंह जी को उनके इस नेक और एक पुलिस अधिकारी के रूप में सच्चे समाज सेवक कि तरह काम करने के लिए स्वयं भी उनके इ.मेल- jasvir70@gmail.com पर ईमेल कर आभार व्यक्त कर सकते हैं | श्री जसवीर सिंह जी जैसे लोगों से ही सच्चे,अच्छे,देशभक्त और इमानदार लोगों के जज्बों में  मजबूती आती है |

ऐसे पुलिस अधिकारी गाँधी जी के उस सपने को भी साकार कर रहें है कि "गाँधी जी अपने देश के पुलिस को एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देखना चाहते थे " निश्चय ही हमारे देश कि सारी पुलिस  व्यवस्था  जिस दिन से एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगेगा उस दिन से इस देश और समाज में बदलाव आना शुरू हो जायेगा | भारत सरकार को  श्री जसवीर सिंह जी जैसे लोगों को पुलिस को सामाजिक कार्यकर्ता बनाने का कार्यभार जरूर देना चाहिए ,जिसकी आज बहुत जरूरत है | 

श्री राम बंसल जी आज के सच्चे स्वतंत्रता सेनानी ....

श्री जसवीर सिंह जी आज के स्वतंत्रता सेनानी के रक्षक व सही मायने में एक इमानदार पुलिस अधिकारी जिसमे एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता का असल जज्बा भी है |



रविवार, 6 जून 2010

कांग्रेस का गणतंत्र को आगे बढाने का एक और घोटाला-----?


राजस्थान में स्कोलरशिप घोटाला सामने आया है जिसमे SC ,ST छात्रों को दिया जाने वाला कड़ोरों रूपये का स्कोलरशिप उन शिक्षण संस्थानों को दिया जा रहा था ,जो या तो फर्जी हैं या शिक्षा के नाम पे सिर्फ बिल्डिंग के रूप में स्थापित हैं और जिसमे छात्रों का कहीं कोई अता-पता नहीं है |

सबसे चौकाने वाली बात यह है कि यह घोटाला राजस्थान के उस समाज कल्याण मंत्रालय से जुड़ा है जो राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत के जिम्मे है और शायद इसलिए आनन-फानन में दो निदेशकों को बरखास्त भी कर दिया गया है,शायद यह सोचकर कि मुख्यमंत्री जी कि लाज बच जाये | इसके साथ ही सभी जिला मजिस्ट्रेट को जाँच कर दोषियों के खिलाप FIR भी दायर करने के आदेश दे दिए गयें हैं ,लेकिन जिस देश में कांग्रेस ने सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ़ इंवेस्टिगेसन में बदल दिया हो,क्या उस देश में कांग्रेस के ही किसी सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री के विभाग से जुरे मामले कि निष्पक्ष जाँच हो पायेगी ?

और अगर निष्पक्ष जाँच नहीं हो पाई तो निम्नलिखित सवाल का जवाब तो राजस्थान के इमानदार जनता को ही ढूंढना होगा --

1- ये शिक्षण संस्थान किसी मंत्री के ही फर्जी नाम पे तो नहीं चल रहा था ?  
2-ये फर्जीवारा कितने सालों से चल रहा था ?
3-इस फर्जी वारे कि कड़ी कहीं केंद्र में कांग्रेस सरकार में बैठे किसी मंत्री से भी तो नहीं जुड़ा है ?
4-क्या इस तरह का फर्जी वारा दिल्ली में भी हो रहा है अगर हाँ तो इसकी जाँच भी होनी चाहिए ?
5-क्या यह SC ,ST के नाम पर कांग्रेस कि खुली लूट नहीं है,क्योंकि यह कैसे हो सकता है कि इस हेरा फेरी कि खबर उस मंत्री को ना हो जिस मंत्री के पास यह मंत्रालय हो ?  
6-क्या समाज कल्याण के नाम पर कांग्रेस पार्टी कहीं अपने पार्टी फंड का कल्याण तो नहीं कर रही है अगले चुनाव के लिए ,इस घोटाले कि जाँच इस नजरिये से भी होनी चाहिए और देखा जाना चाहिए कि कही ये शिक्षण संस्थान उन लोगों के तो नहीं हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी फंड में मोटा चंदा दिया हो ,और उसी चंदे कि भरपाई के लिए ये सारा फर्जिवारा किया जा रहा हो ? 

वैसे देखा जाय तो SC ,ST व अन्य पिछरों के उत्थान और समाज कल्याण के नाम पर ये भ्रष्ट मंत्री और पार्टी अपना उत्थान और कल्याण  ही कर रहें बाकि तो सिर्फ कागजों में चल रहा है | निश्चय ही यह घोटाला गंभीर घोटाला है जिसकी जाँच ना सिर्फ राजस्थान बल्कि सारे देश में हर जागरूक नागरिक और समाज सेवकों को करना होगा | 

शर्मनाक  से भी  बढ़कर जघन्य अपराध है यह कि गरीबों और असहाय को मिलने वाला अनुदान भी मंत्रियों और पार्टियों के साजिश द्वारा लूटा जा रहा है ,ऐसे कुकर्मियों को सख्त से सख्त सजा मिले चाहे वह कोई भी हो या किसी भी पार्टी का क्यों ना हो |

बुधवार, 2 जून 2010

एक ऐसा ब्लोगर जो गणतंत्र,इंसानियत और उसके लिए लिखने व जमीनी कार्य करने के लिए ब्लॉग का सार्थक प्रयोग किया -------




हम आपका परिचय 61 वर्ष के एक ऐसे ब्लोगर से करवा रहें है ,जिन्होंने टिपण्णी कि परवाह और किसने क्या कहा को नजर अंदाज कर ना सिर्फ अपनी ब्लॉग लेखन के सार्थकता को बनाये रखा बल्कि अपने अच्छे इंसान होने के कर्तव्य को भी जमीनी स्तर पर करने का पुरजोर प्रयास किया है / 

श्री राम बंसल ने गणतंत्र,इंसानियत और उसके लिए लिखने व जमीनी कार्य करने के लिए ब्लॉग का सार्थक प्रयोग किया ,जिसके लिए हम उनको इस पोस्ट के जरिये थोडा सम्मान देने कि कोशिस कर रहें हैं और हमारे नजर में यही ब्लोगिंग का सही उपयोग है ,वैसे हम चाहेंगे कि आप भी इनके ब्लॉग को पढ़ें और अपनी राय रखें / हम आगे भी ऐसे ब्लोगर कि चर्चा को जारी रखेंगे जो ना सिर्फ ब्लॉग लिख रहें हैं बल्कि जमीनी स्तर पर अपनी लेखनी और सोच को उतारने का प्रयास भी कर रहें हैं ,सही मायने में ब्लोगिंग इसी का नाम है और ऐसे लोगों कि वजह से ही ब्लोगिंग कि सार्थकता बरक़रार है ,हम इनके ब्लॉग पर प्रकाशित ह़र पोस्ट को पढने का प्रयास करते हैं,श्री राम बंसल लोकतंत्र के आधार को मजबूत करने के लिए उसके पहले पायदान यानि ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने और वहाँ से एक मजबूती कि शुरुआत करने कि सोच रहें हैं,जिसमे हमने उनका भरपूर सहयोग करने का वादा किया है /

इनके सात निम्नलिखित ब्लॉग हैं जिनका लिंक हम दे रहें हैं,आशा है आप लोग भी इनके पोस्ट को पढ़कर इनके लेखनी और उम्दा सोच का फायदा उठायेंगे क्योंकि इन्होने ह़र रंग में देश और समाज हित में ब्लॉग और ब्लोगिंग का सदुपयोग किया है  ----



http://bhaarat-bhavishya-chintan.blogspot.com/


http://mahaamaanav.blogspot.com/


http://mahaabhaarat.blogspot.com/


http://swastik-shubham.blogspot.com/


http://bhaarat-tab-se-ab-tak.blogspot.com/


http://shastra-shabd-vyakhya.blogspot.com/


http://khandoi.blogspot.com/

शनिवार, 29 मई 2010

*आज इंसानियत खतरे में है*





*आज इंसानियत खतरे में है*


लोग कहते हैं,हिंदुत्व खतरे में है ,
वहीँ कुछ लोग कहते हैं ,इस्लाम खतरे में है /
यह कहते शर्म आती है कि इंसानियत खतरे में है /
ईमानदारी से कुछ करना नहीं चाहते ,
ब्लॉग पर इंसानियत कि मुहीम को लाना नहीं चाहते /
हम पूछते हैं क्या वह तुम्हारा भाई है ,
जिसने इंसानियत को शर्मसार करने कि कसम खाई है /
कैसे हो सकता वह तुम्हारा भाई ,
क्योंकि उसने तो तुम्हें भी मिटाकर ,
अपनी और सिर्फ अपनी स्वार्थ से लगाई है / 
वह ना है हिन्दू और ना ही मुसलमान /
वह तो है इंसान के रूप में एक हैवान /
जो माने जंगल का कानून ,
उसका ना कोई सगा और ना कोई दिन और इमान /
हम जड़ हैं जो नहीं पहचानते ,
हैवान है वो यह भी नहीं जानते /
इन्होने छीन ली गरीबों कि दो वक्त कि रोटी ,
एक दिन नोंच लेंगे ये इंसान कि बोटी-बोटी  /
आज कोई सच बोलना नहीं चाहता ,
जो बोलता है उसकी सुरक्षा कोई करना नहीं चाहता /

हम कहते हैं एक संगठन चाहिए ,
क्योंकि इंसानियत को आज सुरक्षा चाहिए /
संगठन लोगों के बने हैं,
स्वार्थ और हैवानियत में तने हैं /
संगठन बुड़ा नहीं होता ,
जब उसका नेक उद्देश्य होता ,
होता अगर पारदर्शी व जनकल्याण का वास्ता ,
नहीं कोई कारण जो ना हो उसका पूरे देश में रास्ता /
ब्लॉग और मीडिया तो बस साधन है ,
असल में तो इंसान का जमीर ही उसके कर्मों का वाहन है /
जमीर तब तक नहीं जगेगा ,
जब तक स्वार्थ और अहंकार का रंग नहीं उतरेगा /
हो सकता है सब कुछ सही ,
सही मायने में जब हो जायें हम सब एकजुट कहिं /
हैवान,गद्दार और स्वार्थी रोड़ा अटकायेंगें ,
लेकिन हमारी एकजुटता से वो भी बाद में पछ्तायेंगें /
सोचेंगे हम क्यों नहीं हुए साथ ,
ये तो है सच्ची इंसानियत कि बात /

हम कोई कवि नहीं है ,हमारा तो उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ इस देश और समाज में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंसानियत को बचाने तथा लुटेरों से इस देश को बचाने के लिए आगे आने का आग्रह करना है और जो आयेंगे उनके लिए एक सुरक्षा चक्र बनाना क्योंकि समुचित सुरक्षा के अभाव में भी लोग इंसानियत के कर्मों से पीछे हट रहें हैं /
 

बुधवार, 26 मई 2010

अपने बच्चों को रतन टाटा और मुकेश अम्बानी बनाने के बजाय शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसा बनाने कि कोशिस कीजिये --------?


आज पैसा बोलता है ,पैसा चुप रखता है ,पैसा किसी कि जान बचाता है ,पैसा किसी कि जान लेता है ,पैसा रिश्ते बनता और उखारता है ,पैसा मीडिया को सामाजिक सरोकार से दूर कर चुका है ,पैसा मंत्रियों को समाज व इंसानियत से दूर ले जाकर भ्रष्ट और अय्यास बना चुका है ,पैसा इंसानियत को अपने पैरों तले ह़र वक्त कुचल रहा है और यही नहीं पैसे कि भूख ने ना जाने किन किन गम्भीर सामाजिक पतन को जन्म दिया है / पैसे वाले सोचते हैं कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है और मेरा दावा है कि ये पैसे वाले पैसे से अपने लिए एक सच्ची पत्नी का प्यार भी नहीं खरीद सकते ?

इन सब बातों के मद्दे नजर हम क्या कोई भी यह कह सकता है कि यह पैसों कि वे वजह भूख सिर्फ और सिर्फ हमें इंसान से हैवान ही बना सकती है / पैसों कि भूख ने ज्यादातर बच्चों को इंसानी उसूलों से दूर धकेल दिया है और बच्चे अपने माता पिता का आदर करने के वजाय उनकी हत्या कि सुपारी देने लगे हैं / इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है कि पैसे कि भूख ने एक बेटे को अपने माँ बाप को एक सपेरे को सुपारी देकर सांप से कटवा कर मौत के लिए प्रेरित कर दिया /
इसलिए हमारा आपसे आग्रह और नम्र निवेदन है कि आप अपने बच्चों को इस पैसे कि भूख से दूर रखकर उसे एक सच्चा,अच्छा,इमानदार,देश भक्त और इंसान बनाने का प्रयास कीजिये / उसे इतना सुख और झूठा साधन मत मुहैया कीजिये जिसके लिए उसे एक दिन आपका भी जान लेना पर जाय / अपने बच्चों में सत्य,न्याय और इंसानियत के लिए मर-मिटने का जज्बा पैदा कीजिये ,जिससे वह आपको भी बुढ़ापे में इंसानियत के नाते एक इंसान को इंसान द्वारा दिया जाने वाला सम्मान दे सके /
हमारा प्रयास है कि आप खुद भी इसके लिए आज से रोज कुछ वक्त निकालें और अपने बच्चों को इस तरह कि नैतिक व्यवहार और जिम्मेवारियों कि शिक्षा दें / अगर आपको हमारी सहायता कि जरूरत हो तो हमें भी फोन करें / आप हमारे इस इंसानियत को जिन्दा करने कि मुहीम में हमारे साथ जुरकर honesty project के संस्थापक सदस्यों के परिवार में शामिल होकर देश और समाज में इंसानियत को जिन्दा करने के मुहीम में एकजुट हो सकते हैं / अभी इसी वक्त जुरने के लिए http://hprdindia.org/ekjut.html पर जाकर  हार्दिक रूप से जुरिये / कुछ दिनों बाद आपका नाम इसी वेब साईट पर संस्थापक सदस्य के रूप में आपको दिखेगा ,आपके पूरे विवरण के साथ / इस मुहीम में ह़र उस इंसान  का स्वागत है जो जुरने के बाद सिर्फ और सिर्फ इंसानी उसूलों पे चलने का जज्बा रखता है / याद रखिये मुसीबत में आपका सच्चा साथ सिर्फ एक इंसान ही दे सकता है कोई पैसे कि भूख रखने वाला रतन टाटा या मुकेश अम्बानी आपका साथ नहीं देगा / इसलिए हमारा सबसे आग्रह है कि अपने बच्चों को रतन टाटा और मुकेश अम्बानी बनाने के बजाय ,इंसानी उसूलों के लिए लड़ने  वाला शहीद भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रान्तिकारी व सच्चा स्वतंत्रता सेनानी बनाने का प्रयास कीजिये / आज देश और समाज को ऐसे लोगों कि ही जरूरत है /

सोमवार, 17 मई 2010

ये है हमारे गणतंत्र का असल रूप ----?


आज NDTV इंडिया पे एक न्यूज़ आया कि चंडीगढ़ के एक व्यक्ति ने अपनी बीस लाख कि गाड़ी के लिए VIP और लकी नंबर पाने के लिए दस लाख रूपये खर्च किये / क्योंकि पहले बोली लगी , जिसमे नंबर के लिए बोली में दस लाख कि बोली लगाने के बाद उसे नंबर दिया गया /

बोली लगाकर नंबर पाने वाला बहुत खुश दिखा और दिखना भी चाहिए / लेकिन मैं इस देश कि सरकार और उसकी व्यवस्था को देखकर शर्मसार हूँ कि ,जिस देश में सरकार खुद VIP पैसे के बल पर बनाने पे तुली है तो कोई सद्कर्म,ईमानदारी,देशभक्ति और सच्चाई को अपनाकर VIP नहीं बनने कि तकलीफ क्यों झेलेगा ? क्यों नहीं वह भ्रष्टाचार और बईमानी कि गंगा में बेशर्मी से डुबकी लगाकर VIP नंबर के साथ VIP बन जायेगा / 

शर्मनाक है यह कि ,सरकार सद्चरित्र और योग्यता को आधार बनाने के वजाय VIP नंबर के लिए बोली लगाती है / इसी वजह से लोग आज पढ़-लिखकर कुछ करें या ना करें लेकिन मालदार जरूर बनना चाहते हैं / मालदार कैसे बना जाता है वह जग जाहिर है / मेरे नजर में तो ,यह सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को खुला समर्थन है ,जिसकी बारीकी से जाँच करने कि जरूरत है तथा इन VIP नंबरों को पूरे देश में नए सिरे से परिभाषित करने कि भी जरूरत है / VIP नंबर सिर्फ उच्च चरित्र और योग्यता के प्रमाण पर ही मिले तो VIP  का मान होगा / वैसे सरकार और सरकारी व्यवस्था पैसे के लिए IAS ,IPS ,डॉक्टर,इंजिनियर इत्यादि को तो पहले ही नकली बना चुकी है ,जिसे देश कि हालत देखकर कोई भी समझ सकता है /

शनिवार, 15 मई 2010

RTI कानून और देश -----?


*RTI कानून और देश*

ये हमारा गणतंत्र /
जो बन गया है एक आतंकतंत्र  /
पहले आम लोगों को असुरक्षित करो ,
फिर सुरक्षा का ढोंग धरो /
RTI कानून आया ,
लोगों के जानने के हक़ को जगाया /
भ्रष्ट लोगों को ये नहीं भाया ,
भ्रष्टाचारी नहीं आये बाज ,
निकालने लगे इस कानून कि खाल /
बैठे इस गणतंत्र के बन सरताज ,
चोर,उचक्के,गद्दार और चालबाज /
ये करते जनता के पैसे से अय्यासी ,
इनको नहीं पसंद कोई पूछे ऐसी-वैसी /
इन्होने चलायी है अब एक चाल ,
RTI कानून में हो संशोधन हर हाल /
अगर हुआ कोई संशोधन फ़िलहाल ,
मर जायेगा RTI कानून बेहाल /
इस गणतंत्र का क्या है हाल ,
मंत्री खुशहाल जनता फटेहाल  /
जनता क्यों नहीं आती आगे ,
भागे चोर गद्दार पतली गली से पिछवारे /
अब तो एक ही कानून का सपना है ,
जिसे जनता को सड़कों पे ही बनाना है /
तब जाकर जनता होगी स्वतंत्र ,
और ये देश होगा असल गणतंत्र /
 

शनिवार, 8 मई 2010

पैसा,किसके बाप का पैसा ---?


सरकार के पास फ्री शिक्षा के लिए पैसे कि कमी है ,पढ़े लिखे व विभिन्न प्रकार के डिग्री जैसे डॉक्टर,इंजिनीअर,पत्रकारिता इत्यादि कि पढ़ाई पूरी करने के बाद भी खाली बैठे लोगों को नौकरी देने के लिए पैसे कि कमी है / आज बैंको में समय से एक काम नहीं हो रहा है,जहाँ कि लोग ह़र ड्राफ्ट के लिए पैसा देते हैं ,लेकिन स्टाफ कि कमी कि वजह से ड्राफ्ट लोगों को तिन से पाँच घंटे बाद मिलता है / गावों में तो स्टाफ कि कमी कि वजह से कभी-कभी कुछ काम को रोक दिया जाता है / यही नहीं ह़र जनकल्यानकारी कामों जैसे पानी,बिजली,सिचाई,स्कूल,सार्वजनिक शौचालय इत्यादि के लिए दिल्ली जो देश कि राजधानी है ,में भी सरकार फंड का रोना हमेशा रोती रहती है /

अब सवाल उठता है कि क्या वास्तव में फंड कि कमी है ? जवाब है नहीं फंड पर्याप्त हैं / फंड तो इतना है कि ह़र स्नातक को स्नातक के डिग्री पाने के बाद के पाँच वर्षों तक कम से कम तिन से पाँच हजार रुपया मासिक उसके आगे के पढ़ाई या किसी प्रकार के व्यवसायिक शोध के लिए दिया जा सकता है / जनता कि ह़र जरूरत कि चीजों को उनके गावं में मुहैया कराया जा सकता है /

अब एक बार फिर वही सवाल कि पैसा होते हुए भी जनता रोती और असहाय क्यों है ? इसका सबसे बड़ा कारण है मंत्रियों द्वारा खर्चों का और योजनाओं का खाका तैयार कर उस पैसे को बंदरबांट करना / दिल्ली में जब मैंने कुछ विधायकों से जानना चाहा कि क्या DTC के बसों कि खरीद से पहले उनसे किसी प्रकार कि राय ली गयी थी ? उनका जवाब था नहीं / अब जब जन प्रतिनिधियों को पूछे वगैर मुख्यमंत्री और पाँच मंत्री किसी अडबों कि खरीद कि रूप-रेखा बना कर ,खरीद को अंजाम देकर गोल-माल कर सकते है ,तो जनप्रतिनिधि जिनको ये सारा खेल पता होता है वो क्यों अपने निधि का पैसा ईमानदारी से जनकल्याण पर खर्च करेंगे / 

अब यह बात समझ से परे है और कोई बताये हमें कि ,जिस सरकारी खजाने को एक गरीब आदमी भी अगर एक पचास पैसे कि माचिस खरीदता है तो ,उस माचिस के पचास पैसे में पाँच पैसे का टैक्स देकर रोज ,ह़र वक्त भरता है और ये मंत्री उसे अपने बाप का माल समझ कर गोल-माल कर देते हैं और जनता भूखी-प्यासी तरपती रहती है / इन मंत्रियों का कुछ न कुछ तो करना ही होगा नहीं तो ये अमानुष आम लोगों को अपना ग्रास बना कर छोड़ेंगे / दोस्तों मैं आप लोगों से आग्रह कर रहा  हूँ कि,आप लोग अपने पैसों को(सरकारी खजाना)  इन लूटेरों से बचाने के लिए आगे आइये और अपने-अपने क्षेत्र में एकजुट होइये, नहीं तो ये भेडिये एक दिन आपके शरीर का खून भी लूट लेंगे /     

रविवार, 2 मई 2010

प्रधानमंत्री जी और राष्ट्रपति जी,कहिं ऐसा ना हो कि ---------?


जिस देश के ज्यादातर मंत्री शपथ लेकर भर्ष्टाचार में लिप्त हो, देश और जनता के साथ गद्दारी कर रहें हो और अपना और अपने चमचों का स्विस बैंक का अकाउंट भरने के साथ-साथ घर और गोदाम भी ,जनता का खून चूसकर और जनता का  जिन पैसों से (सरकारी खजाना) जनता कि मूल-भूत जरूरतें,जैसे रोटी,कपडा,एक छोटा सा मकान, शिक्षा,न्याय कि समुचित व्यवस्था,इत्यादि पूरी कि जानी चाहिए थी ,को लूटकर देश और देश कि जनता पर दुखों का पहाड़ गिराने का काम कर रही हो ,उस देश के आने वाले भविष्य कि रूप रेखा के बारे में सोचकर डर लगता है ?

कहा जाता है कि किसी भी देश का राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ,उस देश का दिमाग होता है और सारी व्यवस्था शरीर / ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिस देश का शरीर पूरी तरह सड़कर गलने के कगार पर पहुंचने वाला हो और उसके दिमाग को इस स्थिति के जिम्मेवारी से बरी कर दिया जाय ? ऐसा कदापि नहीं किया जा सकता /

क्या यह बातें इस ओर इशारा नहीं कर रही कि देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का खौप ,अब उतना नहीं रहा कि ,वह देश के किसी भी मंत्री को या देश के उच्च पदों पद बैठे जिम्मेवार अधिकारियों को उनकी जिम्मेवारी को उनके द्वारा पूरी ईमानदारी,नैतिकता,सत्य और जनकल्याण के लिए निभाने के लिए मजबूर कर सके /

यह किसी के नजर में हमारे द्वारा आलोचना का बेजा इस्तेमाल कहा जा सकता है लेकिन क्या एक ऐसे देश जिसका राष्ट्रपति एक महिला हो ,फिर भी एक लड़की को प्रतारित कर उसे मौत को गले लगाने वाले को 19 वषों बाद भी सजा ना हो ,न्यूज़ चेनलों के ऑफिस में एक महिला का बेदर्दी से अपमान किया जाय और महिला आयोग के नोटिस को कोई महत्व न्यूज़ चेनलों द्वारा नहीं दिया जाय, निश्चय कि यह देश और देश के महिला राष्ट्रपति के लिए भी शर्मनाक स्थिति है /

आज देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सूचना के अधिकार के तहत लाने के लिए याचिका का सहारा लेना पड़ता है जो न्यायपालिका और न्याय व्यवस्था के लिए कदापि आदर्श स्थिति नहीं कहा जा सकता / आदर्श स्थिति तो वह होता जब इस तरह कि याचिका के स्वीकार होते ही देश के मुख्य न्यायाधीश याचिकाकर्ता को स्वयं पत्र लिखकर ,यह जवाब देते कि "आपने हमें एक अच्छी सलाह दी है और इस पर बिना बहस के ही मैं देश और जनता में पारदर्शिता लाने के लिए इसे तहे दिल से स्वीकार कर रहा हूँ " लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा ना होकर जनहित के फैसले के खिलाप सवोच्च न्यायालय द्वारा ही याचिका दायर कि गयी है / क्या यही है पंच परमेश्वर का सिधांत कि जनता पर लागु हो लेकिन पंच पर नहीं ? होना तो यह चाहिए कि जनता के निजी बातों को सूचना के दायरे से बाहर रखा जाता तो सही लेकिन न्यायाधीशों के निजी बातों को जानने का भी हक़ जनता को दिया जाना चाहिए / क्योंकि न्यायाधीशों का उच्च चरित्र का होना बहुत ही जरूरी है / अगर कोई न्यायाधीश भ्रष्टाचार में लिप्त होकर एक पत्नी के रहते हुए सुरा-सुन्दरी से खेलता है ,तो निश्चय ही यह किसी भी न्यायिक व्यवस्था के लिए पतन का कारण माना जायेगा / आज न्यायाधीशों के चरित्र पर ध्यान देना बेहद जरूरी है / 

आज देश में चारों तरफ कानून का पालन करने वालों को सताया या प्रतारित किया जाता है / कानून या कानून कि किसी भाषा को नहीं पढने वाले तथा उसे एक कमजोर व्यक्ति द्वारा अपनाया जाने वाली वस्तु मानने वाले लोगों पर, कोई भी किसी प्रकार के आरोपों पर हमारे देश में इतनी बड़ी पुलिस व्यवस्था,इतना बड़ा सुरक्षा एजेंसियों का जमावारा ,ह़र विभाग में उस विभाग का सतर्कता विभाग के होते हुए भी जाँच को जल्द से जल्द पूरा कर दोषियों को सजा नहीं दिया जाता / गोपनीय जानकारियां आम इमानदार जनता को तो नहीं बताई जाती ,लेकिन देश के गद्दारों तक बड़ी आसानी से पहुँच जाती है ,और क्या मजाल कि कोई कुछ बोल पाए /

देश में कानून व्यवस्था को लागू करने वाले लोग कानून को तोरने और बेचने कि सलाह अपराधियों और आसामाजिक तत्वों को देकर मोटी सरकारी तनख्वाह मिलने के बाबजूद रिश्वत से अपना घर और गोदाम भर रहें हैं / आखिर क्या कर रही है देश कि सतर्कता और सुरक्षा एजेंसियाँ ? कहिं इनमे भी गद्दारों कि बहुतायत तो नहीं हो गयी है ?

आज दिल्ली जो भारत सरकार के ठीक नाक के नीचे है वहाँ भी ह़र सरकारी विभाग में खुले आम भर्ष्टाचार का खेल खेला जा रहा है चाहे वह DTC के बसों का खरीद का मामला हो , DDA के घोटालों कि जिसमे 15 सालों से बने मकानों को भी जनता को अलाट नहीं किया जाता ,वो सिर्फ इसलिए कि उसके अधिकारी चोरी से किसी को ब्लैक में बेचकर ड्रा में अलोटेड दिखा सके , जिस खेल में दिल्ली के कुछ बड़े मंत्री भी शामिल हैं या कॉमनवेल्थ से सम्बंधित प्रोजेक्ट / CAG कि आपत्तियों के बाबजूद मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पर गाज क्यों नहीं गिर रही है ? कहिं ये खेल सुनियोजित ढंग से पूरे लोकतंत्र के ताना-वाना को तहस-नहस करने के तहत देश के गद्दारों और भ्रष्ट लोगों द्वारा तो नहीं खेला जा रहा है ? क्योंकि इतिहाश और सबूत गवाह है कि जब किसी भी देश में आवारा पूँजी का नंगा खेल होता है तो उस देश के ढांचा को अपूर्णीय क्षति होती है / इन सब बातों को देखते हुए देश के आम जनता का श्रधा और विश्वाश देश कि व्यवस्था से पूरी तरह उठता जा रहा है / लेकिन कहिं ऐसा ना हो कि एक दिन इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर से भी श्रधा और विश्वास उठ जाये / निश्चय ही वो दिन इस देश और देश के गणतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक होगा /


शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

इलेक्ट्रोनिक मीडिया-यानि THE END MIDIA-यानि मरा हुआ मिडिया ----?


कम से कम मैं अपनी सोच ,अपने सुलझे हुए पत्रकार मित्रों के अनुभव और एक दो ऐसे इमानदार बड़े महिला पत्रकार जिन्होंने देश के जाने माने न्यूज़ चेनलों को अपनी मेहनत और ईमानदारी से सींचा / लेकिन बदले में जो अपमान उनको मिला ,जिसकी वजह से,वे अब स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रहीं  हैं के , दर्दनाक अनुभव के आधार पर यह कह सकता हूँ कि ,इलेक्ट्रोनिक मीडिया एक मरे हुए मीडिया के रूप में परिवर्तित होकर स्थापित हो चुका है /

पत्रकारिता जिसका काम अपने लगातार  प्रयास और मेहनत के साथ बुद्धिमता को खोजी रूप में प्रयोग कर ,ह़र हाल में सच को सामने लाकर ,देश के व्यवस्थापिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका को सही राह दिखाना है / वहीँ पत्रकारिता ,इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से, इन देश के तीनों ही अंगों में बैठे भ्रष्ट,बेईमान और देश के सबसे बड़े गद्दार टायप लोगों के हाथों का खिलौना बनकर,देश और समाज को पतन कि ओर ले जाने का काम कर रही है /

भ्रष्टाचार,मीडिया में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से पहले से था,लेकिन मीडिया में भ्रष्टाचार कि चर्चा इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने के बाद होने लगा और अब तो नमक में आटे कि तरह ,ह़र किसी को दिखने और महसूस भी होने लगा है /

इमानदार और चरित्रवान लोगों कि लगातार घटती संख्या ,किसी भी मुद्दे को सच्चाई से लगातार फ़ॉलोअप करके उसके तर्कसंगत अंत तक पहुँचाने की चाह का अभाव ,आवारा पूँजी के द्वारा मीडिया का विस्तार , देश के अच्छे व इमानदार लोगों व असल पत्रकारों से लगातार बढती दूरियां , कर्मचारियों का अनुशासन हीनता,इत्यादि कारणों ने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को ह़र तरह से बर्बाद करने का काम किया है और जिसका परिणाम आज सबके सामने है /

आज कि स्थिति इतनी शर्मनाक है कि , मीडिया में न्यूज़ के नाम पर प्रायोजित न्यूज़ को देखकर ,देश के लोग इतने भ्रमित हो चुके हैं कि,सच क्या है और झूठ क्या ,इसका फैसला वो न्यूज़ चेनलों के रिपोर्ट को लाइव देखने के बाद भी नहीं कर पाते हैं / रुचिका मर्डर केस का 19 साल तक फैसला ना होना, इस देश के लिए जितना शर्मनाक है ,उससे कहिं ज्यादा शर्मनाक इस देश कि मीडिया के लिए है / 

एक भी सामाजिक सरोकार और भ्रष्टाचार का खोजी पत्रकारिता आधारित रिपोर्ट का मीडिया में नहीं दिखना , मीडिया में काम करने वाले इमानदार पत्रकारों का सम्मान नहीं होना , उन्हें खोजी के बजाय बनावटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मजबूर करना , समुचित वेतन भत्ता  का अभाव ,पैसों के लिए सारे उसूलों को ताक पर रख देना , इत्यादि कारण भी ऐसे हैं ,जिसने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को अन्दर से खोखला करने का काम किया है /  

अब तो हद ही हो गयी है ,नैतिकता का सबसे बड़ी पाठशाला कहें जाने वाले मीडिया में ,एक महिला पत्रकार का ,उसके पुरुष सहकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार के शिकायत के वावजूद,बरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई न्यायसंगत कार्यवाही नहीं किया जाना ,मीडिया के नाम से घृणा पैदा करने वाली घटना है / 

इन सब बातों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि इस मीडिया का THE END हो चुका है और लोग अब इसे देखने और इस पर विश्वास करने से ज्यादा एक बार फिर , ये "BBC LONDON"  है , हिंदी सेवा के सभी श्रोताओं  को हमारा नमस्कार और ब्लॉग कि ओर , न्यूज़ के लिए देखने को मजबूर हो रहे हैं / ऐसी स्थिति को किसी भी गणतंत्र के लिए शर्मनाक ही कहा जा सकता है / 

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

क्या हम ब्लोगर भी डरपोक हैं ------?





आज कुछ स्वार्थी,असामाजिक और समाज में इंसानों के बीच दूरियां बढाकर ,अपने ठगी और भर्ष्टाचार के खेल को सुरक्षा प्रदान करने वाले लोगों क़ी वजह से समाज में इंसान ,इंसान से डरने लगा है / 

अब आप कहेंगे इसमें ब्लोगर का जिक्र कहाँ से आ गया ? तो मैं बताना चाहूँगा क़ी कल अजित गुप्ता जी क़ी एक पोस्ट "मैं अमेरिका जा रहीं हूँ" प्रकाशित हुआ था / इस पोस्ट को मैंने भी पढ़ा क्योंकि मेरे द्वारा आयोजित विचार व्यक्त करने के प्रतियोगिता में अजित जी विजेता बनी हैं /  अतः मुझे सम्मान पत्र और इनाम के चेक को अजित जी तक भेजने के लिए उनका डाक का पता चाहिए था / इसलिए मैंने उस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए अजित जी को यात्रा क़ी शुभकामनाये देने के साथ-साथ उनको सार्थक विचार के लिए इनाम ले जाने के लिए भी लिखा और अपना नंबर भी उनके पोस्ट के कमेन्ट में लिख दिया / और उन्होंने जो अपना नंबर पोस्ट में लिखा था उस पर मैं लगातार ट्राय करता रहा / लेकिन दो घंटे लगातार ट्राय करने के बाबजूद उनके द्वारा दिया गया दोनों नंबर में से एक भी नहीं मिला / चूँकि उन्होंने अपने पोस्ट से नंबर हटा दिया है ,इसलिए मैं उनका दोनों नंबर यहाँ नहीं लिख रहा हूँ / हलांकि दोनों में से एक भी नंबर काम नहीं कर रहा है /

अब मैं दुबारा उनके पोस्ट पर यह देखने गया क़ी ,सम्भवतह उन्होंने अपने पोस्ट पर मेरे टिप्पणी के जवाब में कुछ लिखा हो / लेकिन जब मैं उनके पोस्ट पर पहुंचा तो किसी स्वप्निल के सलाह " ऐसे ब्लॉग पर अपना नंबर नहीं लिखना चाहिए ,खतरा है " पर अजित जी पोस्ट से फोन नंबर हटा चुकी थी / और स्वप्निल के सलाह के जवाबी टिप्पणी में यह लिख चुकी थी क़ी "सवप्निल जी मैंने आपके सलाह पे फोन नंबर हटा दिया है" /  

यह पोस्ट लिखने क़ी प्रेरणा मुझे अजित जी के इसी कदम से मिला /
अब सवाल उठता है क़ी ब्लॉग के जरिये इंसानियत क़ी बड़ी-बड़ी बातें करने वाले हम ब्लोगर इतने कमजोर और डरपोक हैं क़ी अपना फोन नंबर भी ब्लॉग पर छोड़ने क़ी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं ? अगर इसका जवाब हाँ में है तो हमें ब्लोगिंग छोर घर में दुबक कर रहना चाहिए और बरी-बरी बातें करनी और सोचनी छोड़ देनी चाहिए /

कल मैंने स्टार न्यूज़ में महिला पत्रकार से उसके ही सहकर्मियों के दुर्व्यवहार पर ब्लॉग जगत क़ी सख्त नाराजगी और तीखी प्रतिक्रिया के लिए एक जुटता भी देखि / मन गदगद हो गया क़ी लोग अन्याय के विरुद्ध एकजुट होकर निडरता से आवाज उठा रहें है / ऐसी निडरता और समाज में अन्याय के विरुद्ध आवाज को मजबूती देने के लिए ही ब्लॉग जगत है /

यहाँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए क़ी हमारी कमजोरियों और समाज में इंसानों के बीच बढती दूरियां ही अपराध और असामाजिक तत्वों को मजबूती प्रदान कर रहें हैं /
मेरे ख्याल में तो ह़र ब्लोगर को अपना मोबाइल नंबर और इ मेल ब्लॉग के सबसे ऊपर लिखना चाहिए ,जिससे इस जालिम दुनिया में अगर किसी इंसान को इंसानी सहायता क़ी जरूरत परे तो वह हमे मदद या जरूरी सलाह के लिए हमसे संपर्क कर सके / इसके साथ ही हमें किसी भी ब्लोगर या किसी इंसान के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध आवाज को ब्लॉग के पोस्ट में प्राथमिकता देनी चाहिए,ठीक उसी तरह जैसे कल स्टार न्यूज़ के मुद्दे पर प्राथमिकता के साथ-साथ टिप्पणियों क़ी भी प्राथमिकता थी /
 असल में ब्लोगिंग का दूसरा नाम निडरता है / अब इसी विषय पर आपका विचार और सुझाव भी ब्लोगरों को दिशा दिखाने का काम करेगा /