कम से कम मैं अपनी सोच ,अपने सुलझे हुए पत्रकार मित्रों के अनुभव और एक दो ऐसे इमानदार बड़े महिला पत्रकार जिन्होंने देश के जाने माने न्यूज़ चेनलों को अपनी मेहनत और ईमानदारी से सींचा / लेकिन बदले में जो अपमान उनको मिला ,जिसकी वजह से,वे अब स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रहीं हैं के , दर्दनाक अनुभव के आधार पर यह कह सकता हूँ कि ,इलेक्ट्रोनिक मीडिया एक मरे हुए मीडिया के रूप में परिवर्तित होकर स्थापित हो चुका है /
पत्रकारिता जिसका काम अपने लगातार प्रयास और मेहनत के साथ बुद्धिमता को खोजी रूप में प्रयोग कर ,ह़र हाल में सच को सामने लाकर ,देश के व्यवस्थापिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका को सही राह दिखाना है / वहीँ पत्रकारिता ,इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से, इन देश के तीनों ही अंगों में बैठे भ्रष्ट,बेईमान और देश के सबसे बड़े गद्दार टायप लोगों के हाथों का खिलौना बनकर,देश और समाज को पतन कि ओर ले जाने का काम कर रही है /
भ्रष्टाचार,मीडिया में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से पहले से था,लेकिन मीडिया में भ्रष्टाचार कि चर्चा इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने के बाद होने लगा और अब तो नमक में आटे कि तरह ,ह़र किसी को दिखने और महसूस भी होने लगा है /
इमानदार और चरित्रवान लोगों कि लगातार घटती संख्या ,किसी भी मुद्दे को सच्चाई से लगातार फ़ॉलोअप करके उसके तर्कसंगत अंत तक पहुँचाने की चाह का अभाव ,आवारा पूँजी के द्वारा मीडिया का विस्तार , देश के अच्छे व इमानदार लोगों व असल पत्रकारों से लगातार बढती दूरियां , कर्मचारियों का अनुशासन हीनता,इत्यादि कारणों ने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को ह़र तरह से बर्बाद करने का काम किया है और जिसका परिणाम आज सबके सामने है /
आज कि स्थिति इतनी शर्मनाक है कि , मीडिया में न्यूज़ के नाम पर प्रायोजित न्यूज़ को देखकर ,देश के लोग इतने भ्रमित हो चुके हैं कि,सच क्या है और झूठ क्या ,इसका फैसला वो न्यूज़ चेनलों के रिपोर्ट को लाइव देखने के बाद भी नहीं कर पाते हैं / रुचिका मर्डर केस का 19 साल तक फैसला ना होना, इस देश के लिए जितना शर्मनाक है ,उससे कहिं ज्यादा शर्मनाक इस देश कि मीडिया के लिए है /
एक भी सामाजिक सरोकार और भ्रष्टाचार का खोजी पत्रकारिता आधारित रिपोर्ट का मीडिया में नहीं दिखना , मीडिया में काम करने वाले इमानदार पत्रकारों का सम्मान नहीं होना , उन्हें खोजी के बजाय बनावटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मजबूर करना , समुचित वेतन भत्ता का अभाव ,पैसों के लिए सारे उसूलों को ताक पर रख देना , इत्यादि कारण भी ऐसे हैं ,जिसने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को अन्दर से खोखला करने का काम किया है /
अब तो हद ही हो गयी है ,नैतिकता का सबसे बड़ी पाठशाला कहें जाने वाले मीडिया में ,एक महिला पत्रकार का ,उसके पुरुष सहकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार के शिकायत के वावजूद,बरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई न्यायसंगत कार्यवाही नहीं किया जाना ,मीडिया के नाम से घृणा पैदा करने वाली घटना है /
इन सब बातों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि इस मीडिया का THE END हो चुका है और लोग अब इसे देखने और इस पर विश्वास करने से ज्यादा एक बार फिर , ये "BBC LONDON" है , हिंदी सेवा के सभी श्रोताओं को हमारा नमस्कार और ब्लॉग कि ओर , न्यूज़ के लिए देखने को मजबूर हो रहे हैं / ऐसी स्थिति को किसी भी गणतंत्र के लिए शर्मनाक ही कहा जा सकता है /
इन सब बातों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि इस मीडिया का THE END हो चुका है और लोग अब इसे देखने और इस पर विश्वास करने से ज्यादा एक बार फिर , ये "BBC LONDON" है , हिंदी सेवा के सभी श्रोताओं को हमारा नमस्कार और ब्लॉग कि ओर , न्यूज़ के लिए देखने को मजबूर हो रहे हैं / ऐसी स्थिति को किसी भी गणतंत्र के लिए शर्मनाक ही कहा जा सकता है /