आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

इलेक्ट्रोनिक मीडिया-यानि THE END MIDIA-यानि मरा हुआ मिडिया ----?


कम से कम मैं अपनी सोच ,अपने सुलझे हुए पत्रकार मित्रों के अनुभव और एक दो ऐसे इमानदार बड़े महिला पत्रकार जिन्होंने देश के जाने माने न्यूज़ चेनलों को अपनी मेहनत और ईमानदारी से सींचा / लेकिन बदले में जो अपमान उनको मिला ,जिसकी वजह से,वे अब स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रहीं  हैं के , दर्दनाक अनुभव के आधार पर यह कह सकता हूँ कि ,इलेक्ट्रोनिक मीडिया एक मरे हुए मीडिया के रूप में परिवर्तित होकर स्थापित हो चुका है /

पत्रकारिता जिसका काम अपने लगातार  प्रयास और मेहनत के साथ बुद्धिमता को खोजी रूप में प्रयोग कर ,ह़र हाल में सच को सामने लाकर ,देश के व्यवस्थापिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका को सही राह दिखाना है / वहीँ पत्रकारिता ,इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से, इन देश के तीनों ही अंगों में बैठे भ्रष्ट,बेईमान और देश के सबसे बड़े गद्दार टायप लोगों के हाथों का खिलौना बनकर,देश और समाज को पतन कि ओर ले जाने का काम कर रही है /

भ्रष्टाचार,मीडिया में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने से पहले से था,लेकिन मीडिया में भ्रष्टाचार कि चर्चा इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आने के बाद होने लगा और अब तो नमक में आटे कि तरह ,ह़र किसी को दिखने और महसूस भी होने लगा है /

इमानदार और चरित्रवान लोगों कि लगातार घटती संख्या ,किसी भी मुद्दे को सच्चाई से लगातार फ़ॉलोअप करके उसके तर्कसंगत अंत तक पहुँचाने की चाह का अभाव ,आवारा पूँजी के द्वारा मीडिया का विस्तार , देश के अच्छे व इमानदार लोगों व असल पत्रकारों से लगातार बढती दूरियां , कर्मचारियों का अनुशासन हीनता,इत्यादि कारणों ने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को ह़र तरह से बर्बाद करने का काम किया है और जिसका परिणाम आज सबके सामने है /

आज कि स्थिति इतनी शर्मनाक है कि , मीडिया में न्यूज़ के नाम पर प्रायोजित न्यूज़ को देखकर ,देश के लोग इतने भ्रमित हो चुके हैं कि,सच क्या है और झूठ क्या ,इसका फैसला वो न्यूज़ चेनलों के रिपोर्ट को लाइव देखने के बाद भी नहीं कर पाते हैं / रुचिका मर्डर केस का 19 साल तक फैसला ना होना, इस देश के लिए जितना शर्मनाक है ,उससे कहिं ज्यादा शर्मनाक इस देश कि मीडिया के लिए है / 

एक भी सामाजिक सरोकार और भ्रष्टाचार का खोजी पत्रकारिता आधारित रिपोर्ट का मीडिया में नहीं दिखना , मीडिया में काम करने वाले इमानदार पत्रकारों का सम्मान नहीं होना , उन्हें खोजी के बजाय बनावटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मजबूर करना , समुचित वेतन भत्ता  का अभाव ,पैसों के लिए सारे उसूलों को ताक पर रख देना , इत्यादि कारण भी ऐसे हैं ,जिसने इलेक्ट्रोनिक मीडिया को अन्दर से खोखला करने का काम किया है /  

अब तो हद ही हो गयी है ,नैतिकता का सबसे बड़ी पाठशाला कहें जाने वाले मीडिया में ,एक महिला पत्रकार का ,उसके पुरुष सहकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार के शिकायत के वावजूद,बरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई न्यायसंगत कार्यवाही नहीं किया जाना ,मीडिया के नाम से घृणा पैदा करने वाली घटना है / 

इन सब बातों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि इस मीडिया का THE END हो चुका है और लोग अब इसे देखने और इस पर विश्वास करने से ज्यादा एक बार फिर , ये "BBC LONDON"  है , हिंदी सेवा के सभी श्रोताओं  को हमारा नमस्कार और ब्लॉग कि ओर , न्यूज़ के लिए देखने को मजबूर हो रहे हैं / ऐसी स्थिति को किसी भी गणतंत्र के लिए शर्मनाक ही कहा जा सकता है / 

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

क्या हम ब्लोगर भी डरपोक हैं ------?





आज कुछ स्वार्थी,असामाजिक और समाज में इंसानों के बीच दूरियां बढाकर ,अपने ठगी और भर्ष्टाचार के खेल को सुरक्षा प्रदान करने वाले लोगों क़ी वजह से समाज में इंसान ,इंसान से डरने लगा है / 

अब आप कहेंगे इसमें ब्लोगर का जिक्र कहाँ से आ गया ? तो मैं बताना चाहूँगा क़ी कल अजित गुप्ता जी क़ी एक पोस्ट "मैं अमेरिका जा रहीं हूँ" प्रकाशित हुआ था / इस पोस्ट को मैंने भी पढ़ा क्योंकि मेरे द्वारा आयोजित विचार व्यक्त करने के प्रतियोगिता में अजित जी विजेता बनी हैं /  अतः मुझे सम्मान पत्र और इनाम के चेक को अजित जी तक भेजने के लिए उनका डाक का पता चाहिए था / इसलिए मैंने उस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए अजित जी को यात्रा क़ी शुभकामनाये देने के साथ-साथ उनको सार्थक विचार के लिए इनाम ले जाने के लिए भी लिखा और अपना नंबर भी उनके पोस्ट के कमेन्ट में लिख दिया / और उन्होंने जो अपना नंबर पोस्ट में लिखा था उस पर मैं लगातार ट्राय करता रहा / लेकिन दो घंटे लगातार ट्राय करने के बाबजूद उनके द्वारा दिया गया दोनों नंबर में से एक भी नहीं मिला / चूँकि उन्होंने अपने पोस्ट से नंबर हटा दिया है ,इसलिए मैं उनका दोनों नंबर यहाँ नहीं लिख रहा हूँ / हलांकि दोनों में से एक भी नंबर काम नहीं कर रहा है /

अब मैं दुबारा उनके पोस्ट पर यह देखने गया क़ी ,सम्भवतह उन्होंने अपने पोस्ट पर मेरे टिप्पणी के जवाब में कुछ लिखा हो / लेकिन जब मैं उनके पोस्ट पर पहुंचा तो किसी स्वप्निल के सलाह " ऐसे ब्लॉग पर अपना नंबर नहीं लिखना चाहिए ,खतरा है " पर अजित जी पोस्ट से फोन नंबर हटा चुकी थी / और स्वप्निल के सलाह के जवाबी टिप्पणी में यह लिख चुकी थी क़ी "सवप्निल जी मैंने आपके सलाह पे फोन नंबर हटा दिया है" /  

यह पोस्ट लिखने क़ी प्रेरणा मुझे अजित जी के इसी कदम से मिला /
अब सवाल उठता है क़ी ब्लॉग के जरिये इंसानियत क़ी बड़ी-बड़ी बातें करने वाले हम ब्लोगर इतने कमजोर और डरपोक हैं क़ी अपना फोन नंबर भी ब्लॉग पर छोड़ने क़ी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं ? अगर इसका जवाब हाँ में है तो हमें ब्लोगिंग छोर घर में दुबक कर रहना चाहिए और बरी-बरी बातें करनी और सोचनी छोड़ देनी चाहिए /

कल मैंने स्टार न्यूज़ में महिला पत्रकार से उसके ही सहकर्मियों के दुर्व्यवहार पर ब्लॉग जगत क़ी सख्त नाराजगी और तीखी प्रतिक्रिया के लिए एक जुटता भी देखि / मन गदगद हो गया क़ी लोग अन्याय के विरुद्ध एकजुट होकर निडरता से आवाज उठा रहें है / ऐसी निडरता और समाज में अन्याय के विरुद्ध आवाज को मजबूती देने के लिए ही ब्लॉग जगत है /

यहाँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए क़ी हमारी कमजोरियों और समाज में इंसानों के बीच बढती दूरियां ही अपराध और असामाजिक तत्वों को मजबूती प्रदान कर रहें हैं /
मेरे ख्याल में तो ह़र ब्लोगर को अपना मोबाइल नंबर और इ मेल ब्लॉग के सबसे ऊपर लिखना चाहिए ,जिससे इस जालिम दुनिया में अगर किसी इंसान को इंसानी सहायता क़ी जरूरत परे तो वह हमे मदद या जरूरी सलाह के लिए हमसे संपर्क कर सके / इसके साथ ही हमें किसी भी ब्लोगर या किसी इंसान के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध आवाज को ब्लॉग के पोस्ट में प्राथमिकता देनी चाहिए,ठीक उसी तरह जैसे कल स्टार न्यूज़ के मुद्दे पर प्राथमिकता के साथ-साथ टिप्पणियों क़ी भी प्राथमिकता थी /
 असल में ब्लोगिंग का दूसरा नाम निडरता है / अब इसी विषय पर आपका विचार और सुझाव भी ब्लोगरों को दिशा दिखाने का काम करेगा / 

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

नकली भारत के ओर तेजी से बढ़ते कदम----

                            
किसी भी देश और समाज क़ी असल पहचान उसके नागरिकों के व्यवहार,शिक्षा,मूलभूत जरूरतों को पूरा करने वाले मौजूद साधन,देश क़ी नीतियों का सामाजिक सरोकार ,सत्य पे आधारित न्याय क़ी समुचित व्यवस्था और ह़र गलत चीजों के ऊपर सख्त न्यायसंगत कार्यवाही से तय होती है /
उपर्युक्त कारणों का जब आप अपनी अच्छी सोच के आधार पर विवेचना करेंगे,तो पायेंगे,क़ी भारत क़ी पहचान पूरी तरह खोखली हो चुकी है ,जिसमे हमारी भ्रष्ट सरकार  नकली भारत के ओर तेजी से बढ़ते कदम वाला पावडर और क्रीम लगा रही है / जनता को इतना बेवस और लाचार कर दिया गया है , क़ी वह दो वक्त क़ी रोटी और अपने बच्चों क़ी जरूरतों को भी सत्य और ईमानदारी पे चलकर पूरा नहीं कर पा रही है / ये हाल , आम और खास , ह़र उस व्यक्ति का है ,जिसका नाता नकली भारत  के निर्माण से नहीं है / ह़र तरफ ठगी और भ्रष्टाचार से हाहाकार मची हुई है ,प्रशासनिक व्यवस्था नाकाम और आवारा पूँजी के विकाश मै लगी है / लोकतंत्र को ह़र जगह दफनाने क़ी तैयारी चल रही है / भ्रष्ट मंत्री गरीबों क़ी रोटी खा-खा कर मोटे हो रहें हैं / आम जनता का घोर अभाव से व्यवहार बदलता जा रहा है /
 निश्चय ही ये किसी देश और उस देश के नागरिकों क़ी रक्षा के लिए संवैधानिक उच्च पदों पर बैठे लोगों और देश के खजानों से लाखों रूपये ह़र माह तनख्वाह पाने वाले लोगों के लिए भी बेहद शर्मनाक है ?
                             आप बताएं, क्या ऐसी स्थिति को "नकली भारत के ओर  तेजी से बढ़ते कदम"नहीं कहा जा सकता है ? 

 हमने देश हित में विचारों और सुझावों के लिए एक मुहीम चलाया हुआ है ,जिसमे उम्दा विचारों और सुझावों को सम्मानित करने क़ी भी व्यवस्था है /

आप सबसे आग्रह है क़ी आप अपना बहुमूल्य विचार पोस्ट में उठाये गए मुद्दे के पक्ष,बिपक्ष या उस उद्देश से जुड़े अन्य बिकल्पों पर सार्थक विवेचना के रूप में अपना 100 शब्द जरूर लिखें / नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करने से,वह पोस्ट खुल जायेगा जिसके टिप्पणी बॉक्स में आपको टिप्पणी करनी है /पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी को उम्दा विचारों के लिए सम्मानित किया गया है /

रविवार, 25 अप्रैल 2010

कहिं ये आवारा पूँजी रुपी कुत्ते के काटने से हमारे देश को रेबीज तो नहीं हो गया है ---?

                                    
जिस तरह किसी भी मनुष्य को आवारा कुत्ते के काटने से रेबीज नामक गम्भीर बीमारी हो जाती है और अगर समय रहते उसका इलाज नहीं कराया जाय तो उसकी मृत्यु   निश्चित हो जाती है / ठीक उसी तरह कहिं ये आवारा पूँजी रुपी कुत्ते के काटने से हमारे देश को रेबीज तो नहीं हो गया है ---?
                             यह बड़ा ही गम्भीर प्रश्न है और अगर इसका जवाव हाँ में है तो पूरे देश और इस देश में रहने वाले 125 कड़ोर नागरिकों के अस्तित्व के लिए खतरे क़ी घंटी है / 
                       देश क़ी हालत ,गावों में जरूरत मंदों व स्वरोजगार करने वालों को ऋण मिलने में भारी दिक्कतें,शहरों में भी इमानदार व्यवसायियों को ऋण आसानी से नहीं मिलना ,भ्रष्टाचारियों व भ्रष्ट मंत्रियों तथा उनके रिश्तेदारों को आसानी से सस्ते दर पर तुरंत ऋण मिल जाना ,देश में कृषि योग्य ज़मीन को सिर्फ काले धन के उन्नति के लिए विशेष व्यवसायिक जोन घोषित  कर आवारा पूँजी के उर्वरा शक्ति को सरकार में बैठे लोगों द्वारा बढाने का काम करना ,इत्यादि ऐसे कारण और लक्षण हैं जिससे लगता है क़ी इस देश को वास्तव में आवारा पूँजी रुपी पागल कुत्ते ने काट लिया है /
                           अब इसका गम्भीर असर देश क़ी व्यवस्था और इस देश क़ी मिडिया पर पूरी तरह दिख रहा है / ज्यादातर चेनल और अख़बार इसके चपेट में आने से सामाजिक सरोकार के विषय से दूर होकर जनता के बीच अपनी विश्वसनियता खोते जा रहें हैं /
                          इस देश में गरीब क्या अमीर क्या ह़र किसी को इस आवारा पूँजी क़ी वजह से परेशानी हो रही है / सामाजिक संतुलन का यह हाल है क़ी कोई तो पैसों को खा रहा है ,तो कोई पैसों के अभाव में भूखे सो रहा है और अपने बच्चों क़ी मूलभूत जरूरतें जैसे उचित शिक्षा ,पोषण युक्त आहार ,समुचित वस्त्र और एक अदद रहने को झोपड़ी जुटाने में भी बड़ी मुश्किल हालात से जूझ रहा है / 
               छोटे व्यवसायियों(5 से 10 करोड़ सालाना कारोबार करने वाले) को भी इस देश में अपना सही और मूलभूत जरूरत क़ी आवश्यकता के चीजों जैसे बिजली कनेक्सन,पानी कनेक्सन,जमीन को व्यवसायिक उपयोग के प्रमाणपत्र,पोलुसन प्रमाणपत्र जैसे और भी कई प्रकार के बेकार के सरकारी NOC के लिए लाखों रूपये रिश्वत के तौर पर स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों से लेकर मंत्रियों और विभिन्न सरकारी एजेंसियों को देना परता है / ऐसे हालात में व्यवसायी अपनी लूट क़ी भरपाई के लिए घटिया उत्पाद,अपने मन मुताबिक मूल्य,बाजार में बनावटी अभाव इत्यादि के तिकरम का सहारा लेते है / देश के प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति जी को इस विषय पर गंभीरता से सोचने क़ी जरूरत है /
                       वातावरण के नाम पर और दिल्ली में शिलींग के नाम पर छोटे उद्योगों को बंद करने के पीछे भी इस आवारा पूँजी का ही हाथ कहा जा सकता है / रिश्वत के खेल को जिन्दा रखकर आज भी दिल्ली में उद्योग वैसे ही चल रहें हैं / हाँ ये अलग बात है क़ी छोटे उद्योग और आवारा पूँजी जिनके पास नहीं थी,ऐसे उद्योगों के मालिक या तो बर्बाद हो गए,या बर्बादी से बचने के लिए भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हो गए /
                       आवारा पूँजी ना सिर्फ देश के अर्थ व्यवस्था का नुकसान करता है बल्कि पूरी सामाजिक संतुलन को भी बर्बाद करने का काम करता है /
                           इस आवारा पूँजी के रेबीज से देश और समाज को बचाने का सबसे कारगर वेक्सिन है -सभी सरकारी खर्चों,योजनाओं का लेखा जोखा सामाजिक जाँच के आधार पर हो और सभी सरकारी घोटालों क़ी जाँच में इमानदार सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे अन्ना हजारे ,अरविन्द केजरीवाल,किरण बेदी,जैसे इमानदार लोगों को शामिल किया जाय / साथ-साथ ब्लॉग और ब्लोगरों द्वारा इसके लिए  नेट के जरिये एक खोजी पत्रकारिता के दायित्व को पूरी तरह निभाने क़ी भी जरूरत है / 
                हमने संसद में दो महीने सिर्फ जनता के द्वारा प्रश्न किया जाय और मंत्रियों व सांसदों द्वारा जवाब दिया जाय इस विषय पर आपके सुझाव और विचार कम  से कम 100 शब्दों में आपको रखने के लिए आमंत्रित किया है ,कृपा कर नीचे लिखे  पोस्ट लिंक को खोलकर उसके टिप्पणी बॉक्स में जाकर  देशहित में अपना बहुमूल्य विचार और सुझाव जरूर लिखें / आपके उम्दा विचारों को सम्मानित करने क़ी भी व्यवस्था है /

   (इस लिंक पर क्लिक करने से यह पोस्ट खुल जायेगा ,जिसके टिप्पणी बॉक्स में,आपको अपने विचार और सुझाव लिखना है -- सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------)
                                        

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

ब्लॉग और ब्लोगर इन्टरनेट रूपी समंदर का एक बहुमूल्य मोती ------


                              
जिस तरह समंदर के किनारे कहिं बिकनी पहन कर अर्धनग्न अवस्था में लोग भारत में स्नान करते मिल जायेंगे और विश्व के कई  देशों  में नंगे,जिसे अच्छा तो कतई नहीं कहा जा सकता / ठीक उसी तरह इन्टरनेट रुपी समंदर के किनारे पर जब आप जायेंगे तो ऐसी ही अवस्था पाएंगे लेकिन जब आप इस समंदर कि अथाह गहराईयों में गोता लगायेंगे तो इसमें ऐसे-ऐसे अनमोल रत्न आप को मिल सकता है,जिससे आपका जीवन इंसानियत और मानवता के उच्च मूल्यों को समाहित करने के साथ-साथ ज्ञान के अथाह भंडार से  संवर सकता है / साथ ही उस ज्ञान और वैचारिक रत्न को आप अपनी जीविका के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं / इस समंदर कि गहराइयों में आपको ब्लॉग जैसे अनमोल मोती और ब्लोगरों कि दुनिया से बना मोतियों का हार भी मिलेगा / इस हार को अगर आप तन,मन और लगन से चमकाकर धारण करेंगे,तो हो सकता है आप इस दशक   के सबसे बड़े सार्थक बदलाव का नायक भी बन जाएँ / निश्चय ही इस इन्टरनेट रुपी समंदर का गंभीरता से गोता लगाकर,कुछ सार्थक मोती को पाकर ,सार्थक बदलाव लाने का प्रयास हर किसी को करना चाहिए /  इसमें ब्लॉग और ब्लोगर जो इन्टरनेट रूपी समंदर का एक बहुमूल्य मोती हैं ,आपकी भरपूर मदद कर सकता है / इस समंदर का गोता मोती पाने के लिए जरूर लगाइए किनारों पर बिखरे गंदगी कि ओर नजर और मन को मत दौराइए /
                                   आज इस समाज और देश को ऐसे गोताखोर कि आवश्यकता भी है, जो समंदर कि गहराइयों से मोती चुनकर लाने का साहस रखता हो /लाख टके कि बात यह है कि इंटरनेट एक पावर है ,इसका सदुपयोग और दुरूपयोग आपके हाथ में है /

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

गणतन्त्र दस रुपया एकदिन कि चर्चा दैनिक हिदुस्तान में------------

  गणतन्त्र दस रुपया एकदिन कि चर्चा दैनिक हिदुस्तान में रवीश कुमार जी द्वारा कि गयी है ,जिसमे नाराजगी का वेजा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है,रवीश कुमार जी भी ब्लॉग दुनिया से जुड़े हैं इसलिए वे भी हमारे मित्र हैं /अतः मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया ना करके सभी ब्लोगरों से आग्रह कर रहा हूँ वे हमारे ब्लॉग पोस्ट और दैनिक हिंदुस्तान में हुए चर्चा का तुलनात्मक व्याख्या कर अपनी राय दें / मैं यहाँ अपने ब्लॉग पोस्ट का लिंक और हिंदुस्तान कि कटिंग दोनों आप लोगों कि सेवा में पेश कर रहा हूँ /       

 ये हमारे ब्लोग्पोस्ट का लिंक है जिस पर क्लिक कर आप सीधा उस पोस्ट को पढ़ सकते हैं जिस कि चर्चा कि गयी है -

गम्भीर मुद्दों पर मसखरापन!!!!!!अपरिपक्वता और कमजोर चरित्र का सूचक है --कौन कर रहा है ,भारत के भाग्य को खोखला करने कि साजिश-- ?

  http://gantantradusrupaiyaekdin.blogspot.com/2010/04/blog-post_17.html

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

देश के जनता का सबसे बड़ा अदालत , जनता को प्रश्न पूछने का हक़ के लिए दो महीने पूरी तरह आरक्षण - क्या तय होगा ब्लोगरों का उम्दा राय और सुझाव के द्वारा ---?

        
ब्लोगर दोस्तों आपका राय बहुमूल्य है और देश हित के मुद्दे पड़ अतिआवश्यक भी इसलिए अभी सोचकर कम से कम 100 शब्दों और ज्यादा शब्दों कि कोई सीमा नहीं है के आधार पर नीचे लिखे पोस्ट के लिंक पर क्लिक कर उस पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स में लिखकर दर्ज करें /   
        सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------
                               सबसे उम्दा टिप्पणियों और सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों पर आप को इनाम के रूप में सम्मानित करने कि भी व्यवस्था है जिसकी रुपरेखा जानने के लिए नीचे लिखे लिंक पर क्लिक कर सकतें हैं /

अब ब्लोगरों को अपने टिप्पणियों और सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों पर ह़र हप्ते मिलेगा इनाम / इनाम कि राशी अकाउंट पेयी चेक द्वारा कुरिअर से उनके घरपर पहुँचाया जायेगा ---------

                        आपका राय व्यक्त करना ना सिर्फ देश  के हितों के मुद्दों पर बैचारिक क्रांति ला सकता है बल्कि ब्लोगिंग को एक सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित भी कर सकता है /अंत में एक बार फिर आपसे गुजारिस कि आपकी राय अमूल्य है , इसे जरूर व्यक्त कीजिये / 

रविवार, 18 अप्रैल 2010

सबसे बड़ी भूल या ---------?

                           
किसी भी इंसान के लिए जीवन का वह पल उसके लिए सबसे दुखदायी होता है--जब उसे सब कुछ मिल जाने के बाद भी हमेशा यह महसूस होता रहता है कि उसने इस जीवन का कैसा उपयोग किया और क्या हाशिल किया ? इसी तरह के आत्म अनूभूति से निकले असंतोष से भरे और भी कई सवाल उसके मन को चौबीसों घंटे जवाब के अभाव में परेशान करता रहता है /
                           जानते हैं,ऐसा ज्यादातर किस प्रकार के व्यक्ति में होता है ? सामाजिक अध्ययन के अनुसार ऐसा ज्यादातर वैसे व्यक्तियों में होता है जो  व्यक्ति अपने जीवन के अच्छे समय का सदुपयोग करने के वजाय दुरूपयोग करता है और किसी अच्छे,सच्चे और शरीफ इंसान के शराफत को उसकी कमजोरी समझ कर उसे बिभिन्न प्रकार से परेशान और मानसिक दुःख पहुँचाने का अपराध करता है / साथ ही वह अपनी गलती को बहादुरी समझ मन ही मन गदगद होकर ऐसे ही अक्षम्य अपराध लगातार करता हुआ अपने पापों का घरा इतना भर लेता है कि वह छलकने लगता है और उसके पास पैसा ,गाड़ी,बंगला ,नौकर चाकर सबकुछ होते हुए भी उसके मन में किसी सुख कि अनुभूति प्राप्त करने कि शक्ति जैसे खत्म हो जाती है /
                       कहतें हैं कि जिस तरह मोबाइल टावर से एक वेब निकलने पर मोबाइल कि घंटी बजती है / ठीक उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति के प्रति जब हम किसी उपकार या प्रतिकार रूप में क्रिया  करते हैं तो ,ह़र क्रिया कि प्रतिक्रया के सिद्धांत के अनुरूप सामने वाले के आत्म शक्ति से बुड़ा या अच्छा वेब निकलता है ,जो हमारे  जीवन के बुरे और अच्छे परिणामों को नियंत्रित करता है / 
                              अगर हमारे बातों पर यकिन ना हो तो आप अपने जीवन में झांक कर देखिये जब कभी भी आप किसी भी गलत काम को अंजाम देंगे आपको उसकी प्रतिक्रया स्वरूप बुड़े परिणाम भुगतने पड़ेगें / 
                        इसलिए ह़र धर्मग्रंथों में एक बात निर्विवाद लिखी गयी है कि -परोपकार पुण्याय ,पापाय पर्पिरनम,अर्थात परोपकार सबसे बड़ा पुन्य है और दूसरों को पीड़ा पहुँचाना ही सबसे बड़ा पाप है / इसलिए हम चाहे   व्यापारी ,अधिकारी,कर्मचारी,मंत्री या सन्तरी क्यों न हो हमें मानवीय मूल्यों और मानवता को सुख पहुँचाने का काम  अपने अधिकारों और कर्तव्यों को ईमानदारी से सदुपयोग करते हुए करना चाहिए /
                                 हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे देश के उच्च पदों तक में लोभ,लालच से पनपा भ्रष्टाचार इतना बीभत्स रूप ले चुका है कि क्या आम और क्या खास सबका जीवन नरक बनता जा रहा है / ह़र व्यक्ति का इतना स्वार्थ तो होना ही चाहिए कि वह ,उसका परिवार और उसके बच्चे भूखे ना रहें और उनकी मूलभूत जरूरतें पूरी होती रहें / लेकिन सामाजिक असमानता कि भयावहता कुछ लोगों द्वारा अपना और अपने बच्चों कि अय्यासी के लिए दूसरों कि मूलभूत जरूरतों का हिस्सा भी तिकरम,ठगी और अपने कर्तव्यों को करने के वजाय बेचने जिसका दूसरा नाम भ्रष्टाचार है के द्वारा क्षीण लेने कि वजह से पैदा हुई है / कहिं आप और हम तो ऐसा नहीं कर रहें है , कहिं हम अपने लूट कि भरपाई दूसरों को लूटकर तो नहीं कर रहें है ? अगर हमारा जवाब हाँ मे है तो आज ही किसी को लूटना बंद कर देश के खजानों और गरीब-लाचार लोगों के हिस्से का रोटी तक लूटने वालों के खिलाप ब्लॉग के जरिये तब तक जंग जारी रखिये जबतक सारे लूटेड़े डरकर लूट का काम छोड़ न दे / अगर हम अभी से ऐसा नहीं करते हैं तो यह हमारे जीवन कि सबसे बड़ी भूल कहलाएगी? और जिसका परिणाम हमें और हमारे बच्चों को जरूर भुगतना पड़ेगा / 

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

गम्भीर मुद्दों पर मसखरापन!!!!!!अपरिपक्वता और कमजोर चरित्र का सूचक है --कौन कर रहा है ,भारत के भाग्य को खोखला करने कि साजिश-- ?

                          
जब अच्छा सोचने से रोका जाय , ईमानदारी कि बात करने पर डांट-डपट कर चुप करा दिया जाय ,भ्रष्टाचार से लड़ने के उपाय को ह़र पाठ्यक्रम से निकाल दिया जाय ,ज्यादातर टीवी चैनलों पर उच्च पदों पर बैठे भ्रष्ट और  तीकरमी लोगों के कारनामो कि चर्चा उनके लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए किया जाय और हर घर में जीने के लिए चोरी और बईमानी के उपायों पर रोज चर्चा करना पड़े ,  ऐसे सामाजिक वातावरण में स्वस्थ और परिपक्व दिमाग का किसी बच्चे में होना विलक्षण ही माना जायेगा और जिस देश में बच्चों के दिमाग को ही खोखला बनाने कि साजिश रची जा रही हो वह भी सिर्फ इसलिए कि इस देश का गम्भीर और परिपक्व दिमाग आज भी पूरी दुनिया पर अपना बौद्धिक दबदबा रखता है / ये अलग बात है कि हमारे शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा नीती निर्माण में कुछ ऐसे लोभी-लालची ,भ्रष्ट और देश के गद्दारों के वजह से पैसों कि कमी का बनावटी रोना रोकर शिक्षा व्यवस्था को मल्टीनेशनल कम्पनियों से सौदा कर ,भारत के भाग्य को पूरी तरह बेच दिया है / यही वजह है युवा पीढ़ी देश और सामाजिक सरोकार से दूर होती जा रही है , जिससे देश और समाज से तर्कसंगत न्याय और मजबूत चरित्र खत्म होता जा रहा है / आज इस बात कि आवश्यकता है कि अपने क्षेत्र के स्कूल कि सामाजिक जाँच उस स्कूल में पढने वाले बच्चों के अभिभावक और उस क्षेत्र कि जनता मिलकर करे ना कि शिक्षा मंत्री और पदाधिकारी /  ह़र स्कूल के पाठ्यक्रम और स्कूल चाहे निजी हो या सरकारी सभी स्कूल का प्रबंधन और देख-रेख उस क्षेत्र कि जनता के हवाले पूरी तरह कर दिया जाय , मंत्रियों और सांसदों को स्कूल से दूर रखा जाय / स्कूल के शिक्षक के कार्य और गुणवत्ता कि निगरानी , उपाय और समुचित कार्यवाही का अधिकार सिर्फ उस क्षेत्र के जनता को ही हो / ऐसा करके ही शिक्षा व्यवस्था से व्यवसाय को पूरी तरह खत्म कर भारत के भाग्य को खोखला करने कि साजिश को नाकाम किया जा सकता है / रही पैसों कि कमी तो हमें शिक्षा के लिए किसी भी विदेशी सहायता कि जरूरत नहीं है सिर्फ जरूरत है शिक्षा को देश के चुने हुए चरित्रवान और लोभ- लालच से परे लोगों के हवाले करने कि तब जाकर हमलोग  गम्भीर मुद्दों पर मसखरापन,अपरिपक्वता और कमजोर चरित्र को बढ़ने से रोक पाएंगे / देश के बच्चे ही भारत के भविष्य और भाग्य हैं , इनको ह़र कीमत पड़ कमजोर होने से रोकने के उपाय,देश के आम जनता को एकजुट होकर सोचना होगा /

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

राहुल गाँधी इस देश का नेतृत्व नहीं कर सकते ---------?

                                
राहुल गाँधी के अभी तक के क्रिया कलापों के आकलन के आधार पर मैं और मेरा अंतरात्मा यह कह सकता है कि राहुल गाँधी इस देश का नेतृत्व नहीं कर सकते हैं और ना ही इस महान देश के युवाओं का मार्गदर्शन कर सकते हैं /कुछ लोग मेरे इस राय से सहमत नहीं भी हो सकते हैं ,लेकिन मैं ऐसे लोगों को सहमत होने के लिए भी नहीं कहूँगा लेकिन मैं कुछ तथ्य राहुल गाँधी के बारे में सब के सामने जरूर रखूँगा /तथ्य रखने से पहले मैं यह बता दू कि मैं कभी भी किसी पार्टी का ना तो विरोध किया है और ना ही किसी पार्टी का समर्थन ,मैंने हमेशा देशहित और सामाजिक संतुलन का समर्थन किया है और इसी सिलसिले के तहत बड़ी मुश्किल से मिले मुलाकात का समय लेकर राहुल गाँधी से १०/०२/२००९ को दस जनपथ पे व्यक्तिगत रूप से मिला था और मेरे मिलने का मकसद और मसौदा था सिर्फ और सिर्फ इंसानियत और ईमानदारी जो पैसे के वजह से खत्म होने के कगार पड़ है को बचाने के लिए राहुल गाँधी को आगे आने का आग्रह करना /लेकिन मिलने के बाद ही मैं समझ गया था कि मैं गलत जगह आ गया हूँ क्योंकि मैं चेहरे के हावभाव को प्राकृतिक रूप से पढने में भगवान कि कृपा से सक्षम हूँ /खैर मैं देश में अच्छे,सच्चे,इमानदार और देशभक्त लोगों कि सुरक्षा तथा देश में एक जनशिकायत मंत्रालय कि स्थापना हो और जिसमे देश के किसी भी कोने से आये शिकायत पर देश के सारे जाँच एजेंसी जो इस मंत्रालय के अधीन होती के संयुक्त जाँच के आधार पड़ एक साल में न्यायसंगत निपटारा होना अनिवार्य किया जाय जैसे मुद्दों पर बनाये गए फोल्डर को राहुल गाँधी के इस वादे पे दे कर आया था कि वो इसे खुद पढ़कर इसका जवाब जरूर देंगे,लेकिन मैं एक साल बाद भी देशहित के गंभीर मुद्दे जिससे मेरा कोई भी व्यक्तिगत हित नहीं जुड़ा था के जवाब का इंतजार कर रहा हूँ /खैर आज पार्टी का हित और अपना सत्ता सुख के हित के आगे देश और समाज का हित को चाहने वाला मुझ जैसा कोई बेवकूफ ही हो सकता है ,राहुल गाँधी जैसा होनहार और काबिल व्यक्ति से हमें ऐसी आशा नहीं करनी चाहिए / आजतक राहुल गाँधी जो एक सांसद भी हैं ने कभी भी देश में बढ़ रहे महंगाई,भ्रष्टाचार और असत्य कि हर तरफ जीत के खिलाफ अपने पार्टी या यु पी ए के सहयोगी पार्टी पड़ दवाब बनाने और आम लोगों कि परेशानियों को हल करने का ठोस कदम उठाने के लिए अपने पार्टी को मजबूर करने का काम नहीं किया है / दिल्ली में बसों कि खरीद का मामला हो या कोमनवेल्थ गेम के नाम पर भ्रष्टाचार का बेशर्मी भरा खेल ,जिसकी जाँच अगर इमानदार समाजसेवकों द्वारा करायी जाय तो बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के खिलाडी तिहार जेल में बंद नजर आयेंगे ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसपर राहुल गाँधी का चुप रहना इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं,सत्ता का सुख सच ना बोल कर,चुप रह कर भोग सकते हैं लेकिन इस देश का नेतृत्व और इस देश के युवाओं का नेतृत्व नहीं कर सकते हैं / क्योंकि इस देश का इतिहाश गवाह है कि स्वार्थी लोगों ने जब भी इस देश का नेतृत्व किया है देश नरक कि ओर आगे बढ़ा है / इस देश को आज महात्मा गाँधी,शहीद भगत सिंह,चन्द्रशेखर आजाद,खुदीराम बोश और सुभाषचन्द्र बोश जैसे त्यागी व निड़र लोगों कि आवश्यकता है / राहुल गाँधी को अगर सही मायने में देश का नेतृत्व करना है तो स्वार्थ और पार्टी के हितों से ऊपर उठकर निडरता से देश और समाज हित को जोरदार तरीके से उठाना चाहिए,अगर राहुल गाँधी ऐसा नहीं कर सकते तो,मैं निडरता से उनको बता देना चाहता हूँ कि जिस पार्टी को बचाने के लिए वे देश और समाज हित को त्याग रहें हैं वह पार्टी ही पाँच साल बाद नहीं बचेगी / क्योंकि आमलोगों कि हाय तो कैसे कैसे साम्राज्य को बर्बाद कर के रख दिया है,तो ये कांग्रेस पार्टी क्या चीज है ?

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

प्रधानमंत्री जी आपके लिए भी शर्मनाक है ये---------

                                                                                    
चूँकि किसी भी देश का प्रधानमंत्री उस देश के पूरी व्यवस्था का प्रमुख होता है ,इसलिए देश में अगर भ्रष्टाचार और आतंक का माहौल बन चुका है तो उस देश का प्रधानमंत्री अपने आप को इसके लिए जिम्मेवार मानने से किसी भी सूरत में मना नहीं कर सकता और ऐसी वयवस्था जहाँ सच बोलने वाले ,समाज में न्याय के लिए आवाज उठाने वाले और भ्रष्टाचार क़ी शिकायत करने वाले को समाज में झूठे आरोप लगाकर अपमानित किया जाए और दोषियों के बदले शिकायत करने वाले पर ही सख्त से सख्त कार्यवाही कर उसे तबाह और बर्बाद करने क़ी कोशिश सरेआम हो ऐसी स्थिति किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए भी बेहद शर्मनाक है /ऐसी स्थिति को रोकने के लिए देश के बजट का अगर आधा हिस्सा भी खर्च करना परे तो करना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति को रोके बगैर कोई भी देश सही मायने में विकाश कर ही नहीं सकता /प्रधानमंत्री जी अगर आप इमानदार  समाज सेवकों के समूह द्वारा दिल्ली जो आपकी नाक के नीचे है में जाँच करायें तो पाएंगे कि हर तरफ ऐसे लोगों को परेशान किया जाता है जो किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों क़ी शिकायत किसी भी जाँच एजेंसी,मंत्रालय,पुलिस या सम्बंधित विभाग में करता है ,यही नहीं शिकायत कर्ता का पूरा बायोडाटा गैरकानूनी गतिविधि करने वाले तक शिकायत मिलते ही पहुंचा दी जाती है और आरोपियों पर कार्यवाही के बदले शिकायत कर्ता का मानसिक प्रतारणा शुरू हो जाता है जिससे शिकायत कर्ता अपने नागरिक कर्तव्यों के बदले मिले धोखे के वजह से पूरी तरह टूट जाता है और आगे कि कार्यवाही तो दूर अपनी दिनचर्या तक के प्रति उदासीन हो जाता है और इसके बाद गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोग कानून और व्यवस्था कि धज्जियां उड़ाने और सत्यमेव जयते को अपने जूते तले मसलते हुए अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को और तेज कर देते हैं /हमें शर्म आती है ऐसी व्यवस्था पड़ /क्या आप बताएं और इस देश का प्रधानमंत्री जी बताएं कि ऐसी स्थिति बेहद शर्मनाक है या नहीं ? दरअसल ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेवार भ्रष्टमंत्री ,विधायक,सांसद और उनके प्रतिनिधि हैं /जिनके हर गतिविधियों क़ी जाँच इमानदार समाज सेवकों के समूह द्वारा हर दो महीने में एक बार होनी चाहिए और जाँच रिपोर्ट के आधार पर सख्त से सख्त कार्यवाही भी क़ी जानी चाहिए /यही नहीं किसी भी पैसे क़ी परवाह किये वगैर राष्ट्रिय सतर्कता आयोग को बिना पहचान बताये वगैर गंभीरता से  सामाजिक और वयवस्था को नुकसान पहुँचाने वाले लोगों चाहे वह देश का मंत्री ही क्यों ना हो के खिलाफ शिकायत भेजने का आग्रह देश के हर नागरिक से करना चाहिए /इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का राजनैतिक दखलंदाजी और समूह विशेष का स्वार्थ को दूर रखा जाना चाहिए साथ साथ सच्चे जिम्मेवार नागरिक से सामाजिक जाँच का आवेदन मंगवाकर उन्हें सामाजिक जाँच अधिकारी बनाकर उनको जाँच के बदले हर महीने इनाम और एक एस एच ओ को मिलने वाला पावर दिया जाना चाहिए जिससे उनको जाँच करने में कानूनी अधिकार से सुसज्जित कर निडरता से जाँच करने में सहायता मिल सके / अगर ऐसा नहीं किया गया तो देश का विकाश तो दूर विनाश निश्चित है /