आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

इस गणतंत्र को बचाना है तो लोभी,भोगी,स्वार्थी और भ्रष्टाचार को पोषण देने वाले लोगों को देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे सम्माननीय पदों पर से हटाने के आवाज को बुलंद करना होगा ....

गणतंत्र भ्रष्ट और नैतिकपतन हो चुके लोगों के नेतृत्व क़ी वजह से पूरी तरह अस्त होने क़ी कगार पे है ,जिसका उदय सिर्फ और सिर्फ इन लोगों के खिलाप इस देश के 80 प्रतिशत जनता द्वारा निड़र होकर सड़कों पर निकलकर आवाज उठाने से ही हो सकता है ...

इस प्रधानमंत्री ने न्याय और संवेदनशीलता को एकदम भुला दिया है प्रधानमंत्री क़ी कुर्सी के भोग और विलाश में  , इसने इस देश को पत्थर बनने और भ्रष्टाचार को सहने के लिए मजबूर कर दिया है ,अब तो इसने हद ही कर दी है ...


हमारा हमेशा से मानना रहा है क़ी कोई व्यक्ति किसी पद पर बैठकर महान नहीं बल्कि उस पद क़ी मर्यादा के अनुसार आचरण करने से होता है |




एक तरफ जहाँ सर्वोच्च न्यायालय के एक जज ने न्याय और इंसानियत को जिन्दा करने के लिए अभूतपूर्व निर्णय दिया और शरद पवार जैसे भ्रष्ट मंत्री क़ी वजह से सड़ चुकी व्यवस्था को आदेश दिया क़ी अनाज को सड़ाने से अच्छा है क़ी उसे गरीबों में मुफ्त बाँट दिया जाय | ऐसा आदेश सरकार को देकर सर्वोच्च न्यायालय के माननीय जज ने ना सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के मर्यादा को बढाया बल्कि न्याय और इंसानियत का संतुलन कैसे होता है इसका अभूतपूर्व उदाहरण सरकार और इस देश क़ी जनता के सामने पेश किया | 




वहीँ दूसरी ओर हमारे देश के प्रधानमंत्री जो इस देश क़ी जनता के सेवा के लिए तनख्वाह पाते हैं ,ने इस आदेश के बाद सर्वोच्च न्यायालय को सरकार के नीतिगत मामलों से दूर रहने को कहा | 



ऐसा कहकर मनमोहन सिंह जी ने ना सिर्फ न्याय को हतोत्साहित करने का काम किया है बल्कि भ्रष्टाचार को बढाने तथा शरद पवार जैसे भ्रष्टाचारियों को सरकारी संरक्षण देने क़ी भी कोशिस क़ी है | मनमोहन सिंह जी ने ऐसा बयान देकर अपने मानसिक दिवालियापन और इस देश क़ी जनता के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता का परिचय दिया है | अब वक्त आ गया है क़ी हमसब को मिलकर ऐसे निकम्मे प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री जैसे पद को छोड़ने के लिए मुहीम चलाने क़ी जरूरत है | शर्मनाक है मनमोहन सिंह जी का बयान और दिमागी दिवालियापन....?




हम ऐसे अन्याय और भ्रष्टाचार को पोषण देने वाले बयान देने वाले प्रधानमंत्री का पुरजोड़ विरोध करते और हमें इस बात का बेहद दुःख है क़ी एक निकम्मा व्यक्ति हमारे देश के प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद पर बैठा है जिससे हमारा देश और समाज नरक बनता जा रहा है | आप सबसे भी आग्रह है क़ी आप लोग भी अपने स्वयं के अंतरात्मा के आवाज पर निड़र होकर इस प्रधानमंत्री के बारे में अपने विचार यहाँ रखें ...  



शर्मनाक के साथ-साथ खतरनाक है क़ी अब ऐसे लोगों को इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेवार और सम्माननीय पदों पर बैठाया जा रहा है जो देश क़ी जनता के प्रति जिम्मेवार होने के वजाय दलालों और भ्रष्टाचारियों के प्रति ज्यादा जवाबदेही दिखाते हैं और जिसकी वजह से इस देश में सत्य,ईमानदारी और इंसानियत लगभग ख़त्म होती जा रही है | शायद इनकी मनसा इस गणतंत्र को दलालों का तंत्र बनाने का है | शायद यही वजह है क़ी शरद पवार और राजा जैसे लोग इन सम्माननीय पदों से भी ऊपर हो गए हैं और इनपर कोई भी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है और देश में एक सन्देश जा रहा है क़ी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पदों पर बैठा व्यक्ति भी इन भ्रष्टाचारियों के रहमों करम पे  है |