आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

रविवार, 17 अक्तूबर 2010

मुकेश अम्बानी साहब आपको नया घर बहुत-बहुत मुबारक हो ....लेकिन आपकी इस गणतंत्र के प्रति भी नैतिक जिम्मेवारी है .....

मुकेश और नीता अम्बानी जी ,जिनको नये आवास की अग्रिम बधाई और शुभकामनायें ...अब आप दोनों कृपाकर अपनी सारी शक्ति इस देश और समाज के लिए लगायें..इसके लिए पूरा देश और समाज आपका आभारी रहेगा ...(चित्र -गूगल से साभार)
मुकेश अम्बानी जी के नये आवास की एक झलक...(चित्र -गूगल से साभार)

मुकेश अम्बानी साहब आपको लगभग 6000 कड़ोर क़ी लागत से बना,173 मीटर ऊँचा,60 मंजिल क़ी ऊंचाई में ज्यादा ऊंचाई वाले 27 मंजिला ,168 कारों के पार्किंग क़ी क्षमता वाला,तीन हेलीपैड-स्विमिंग पूल-झूलता गार्डेन,तथा और भी स्वर्गों जैसी सुविधायुक्त नया आवास बहुत-बहुत मुबारक हो | 


आपने यह आवास कानून द्वारा तर्कसम्मत विधि से अर्जित धन से बनाया है इसलिए इसका विरोध करने का भी किसी को कोई हक़ नहीं ..वैसे भी किसमे हिम्मत है क़ी खुले आम आपका किसी भी बात के लिए विरोध कर सके ...?



मैं आपको कानूनी दायरे से बाहर आकर इंसानियत और नैतिकता में बाँधकर आपसे आग्रह करता हूँ क़ी इस देश को आप जैसे अनुभवी,कर्मठ,शक्तिशाली तथा भाग्यशाली व्यक्ति के अंतरात्मा क़ी सख्त जरूरत है | आज इस देश में इंसानी अंतरात्मा,सच बोलने वाले,न्याय के लिए लड़ने वाले ,ईमानदारी को भगवान के समान मानने वाले लोगों क़ी बड़ी दयनीय स्थिति है खासकर इस देश क़ी आत्मा गांवों में बसती है लेकिन गांवों में स्थिति बेहद शर्मनाक है सत्य,न्याय,ईमानदारी,देशभक्ति तथा इंसानियत के राह क़ी | अब तो लोग इन बातों से कोढ़ के रोग क़ी तरह दूर भाग्तें हैं ...निश्चय क़ी यह आपके साथ-साथ पूरी इंसानियत के लिए भी खतरे क़ी घंटी है |



अतः इतिहास से सबक अगर लिया जाय तो उस साम्राज्य का पताका ज्यादा दिनों तक फहराता रहा है जो अंततः सत्य,न्याय,ईमानदारी तथा इंसानियत को सुरक्षा व सहायता के लिए अपने ताकत का इस्तेमाल किया है | हमारे देश में दुर्भाग्य से उद्योगपतियों क़ी छवि दिनों दिन समाज व इंसानियत विरोधी बनती जा रही है ..चूँकि हिन्दुस्तानी मीडिया इन्ही उद्योगपतियों के सहारे जिन्दा है या यों कहें क़ी उनके व्यवसायिक हित इनसे ही सधती है इसलिए मीडिया में उद्योग पतियों के खिलाप सार्थक आलोचना का भी अब पूरा मामला ही साफ हो गया है जिससे उद्योगपतियों में सामाजिक सरोकार क़ी भावना कहिं ग़ुम सी होती जा रही है |
अतः इन सब बातों के मद्दे नजर आपसे नम्र आग्रह है क़ी अब आपने इस नए आवास के साथ सबकुछ पा लिया है और अब आपको अपने समूह के शुद्ध लाभ का 50% इस देश के ह़र गांव में एक अदद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,एक इन्टरनेट से सुसज्जित जन समस्या निवारण प्रयास केंद्र ,एक चिकित्सालय जैसे मूलभूत जरूरत जैसे सुविधाओं को स्थापित करने तथा उसके लिए योग्य और इमानदार लोगों को ढूंढकर उसे संचालित  करवाने पर खर्च करना चाहिए | ऐसा करने से आप ना सिर्फ पूंजीपतियों के बीच बल्कि इस देश क़ी आत्मा (गांवों में रहने वाले)से भी सबसे महान उद्योगपति कहलाने योग्य बन जायेंगे | ऐसा करना एक इंसान और भारतीय नागरिक होने के नाते आपका नैतिक दायित्व भी है |

आशा है आप इस मुद्दे पर नए आवास के खुशनुमा माहौल में पहुँचने के बाद सोचना और उस पर अमल करना शुरू कर देंगे | यकिन मानिये ऐसा करने से अम्बानी समूह का सूरज कभी अस्त नहीं हो पायेगा  बल्कि इस देश के आत्मा में भी चमकता रहेगा ....!

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

ब्लोगिंग के जरिये गणतंत्र को आगे बढाने का एक अभूतपूर्व आयोजन का सार्थक प्रयास.....


महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविध्यालय वर्धा(महाराष्ट्र) के द्वारा 9-10 अक्टूबर को ब्लोगिंग पे आधारित कार्यशाला और विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है | इस आयोजन का श्रेय विश्वविध्यालय के कुलपति श्री विभूति नारायण राय जी तथा संपरीक्षा अधिकारी श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी के ब्लोगिंग के प्रति सम्मान भरी सोच तथा ब्लोगिंग को सामाजिक सरोकार से जोड़ने क़ी उनकी हार्दिक इच्छा को विशेष रूप से दिया जा सकता है | मैं यह पोस्ट वर्धा से प्रकाशित कर रहा हूँ | मैंने यहाँ पहुंचकर श्री रॉय और श्री त्रिपाठी जी द्वारा इस आयोजन में बुलाये गए ब्लोगरों के लिए किये गए व्यवस्था का भी जायजा लिया ,जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है क़ी यह विश्वविध्यालय श्री रॉय साहब के कुलपति बनने के बाद समुचित विकास क़ी दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और इस विश्वविध्यालय क़ी व्यवस्था काफी अच्छी है | मैं आज श्री विभूति नारायण राय जी से भी मिला जिन्होंने बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया और हिंदी ब्लोगिंग से जुड़े आयोजन को नियमित करने का भी आश्वासन दिया जो निश्चय ही अन्य विश्वविध्यालयों के लिए अनुकरणीय है | हम श्री राय के आभारी है जिन्होंने हिंदी ब्लोगिंग को सार्थक दिशा देने के लिए एक उम्दा प्रयास किया है तथा  हिंदी  के विकास  के  लिए  स्थापित  एकमात्र   विश्वविध्यालय  को  सही मायने में जमीनी  स्तर  पर  स्थापित करने का भी नेक और सराहनीय काम किया है  |


ये कुछ चित्र हैं जो मैंने आज अपने कैमरे से कैद किये हैं  जिसमे इस विश्वविध्यालय क़ी हरी-भरी व्यवस्था क़ी छवि  दिखती है ....
विश्वविध्यालय का भव्य मुख्य द्वार
मुख्यद्वार पर लगा हिंदी विश्वविध्यालय का बोर्ड जो हिंदी का सम्मान बढ़ाता हुआ...
विश्वविध्यालय का हरा-भरा माहौल जो शिक्षा के लिए अनुकूल है..
विश्वविध्यालय के कुलपति अपने कार्यालय में मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के बाद अकस्मात आये किसी फोन पर बात करते हुए...
कुलपति महोदय का कार्यालय कक्ष
विश्वविध्यालय के संपरीक्षा अधिकारी श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी अपने कार्यालय में ...




इस ब्लोगिंग के विकास के कार्यशाला में कल जिन जाने-माने ब्लोगरों के उपस्थित होने की पुष्ट सूचना प्राप्त हुई है उनके नाम इस प्रकार हैं ...
श्री अनूप शुक्ल(कानपूर)
डॉ.कविता वाचक्नवी(लन्दन/इलाहबाद)
श्री अविनाश वाचस्पति(दिल्ली)
श्री यशवंत सिंह(दिल्ली)
श्री सुरेश चिपलूनकर(उज्जैन)
डॉ.ऋषभदेव शर्मा (सिकंदराबाद)
डॉ.(श्रीमती)अजित गुप्ता(उदयपुर)
श्री रविन्द्र प्रभात(लखनऊ)
श्री विवेक सिंह (पानीपत)
श्री जाकिर अली रजनीश(लखनऊ)
श्री प्रवीन पाण्डेय(बंगलौर)
श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी(दिल्ली)
श्री प्रियंकर पालीवाल(कलकत्ता)
सुश्री अनीता कुमार (मुंबई)
श्री शैलेश भारतवासी(दिल्ली)
श्री संजय बेंगाणी(अहमदाबाद)
श्री अशोक कुमार मिश्र(मेरठ)
श्री संजीत त्रिपाठी(रायपुर)
डॉ.महेश सिन्हा(रायपुर)
सुश्री गायत्री शर्मा(इंदौर)
श्री विनोद शुक्ल(इलाहाबाद)
तथा मैं जय कुमार झा (दिल्ली) से तो पहुँच ही चुका हूँ...