आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

रविवार, 15 मई 2011

आज गणतंत्र,इंसानियत तथा समूचे देश व समाज को बचाने के लिय हर नागरिक को धारण करना होगा नरसिंह अवतार....

उच्च संवेधानिक पदों पे शर्मनाक बेशर्म भ्रष्टाचारियों के बैठे होने से तथा पूरे देश में  इनके कुकर्मी पार्टनर उद्योगपतियों के लूट और अराजकता से इस देश की स्थिति ऐसी हो गयी है जहाँ सत्य बोलना,न्याय की आशा रखना व ईमानदारी से कर्म करना प्रहलाद की भक्ति की तरह हो गया है जिसे हर सत्य के लिए दंड दिया जाता था और जिसके दुखों का अंत भगवान श्री हरी विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरन्यकश्यप का वध कर किया था | 




आज इस देश की हालत ये है की असत्य,अन्याय,शर्मनाक भ्रष्टाचार,कुकर्म,हरामखोरी
,बेईमानी ,लूट,धोखेबाजी के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल में डाल दिया जाता है,हर जगह अपमानित व प्रतारित किया जाता है,जो लोग भ्रष्टाचार,अन्याय,कुकर्म को चुपचाप सह लेते हैं वो मुर्दों की तरह जिन्दा हैं और जो लोग शर्मनाक भ्रष्टाचार,कुकर्म,लूट,देश व समाज के साथ गद्दारी,पैसों व उद्योगपतियों की दलाली ,वेश्यावृति व महिलाओं के योन शोषण के व्यापार के वदौलत चुनाव जीतते हैं वो मंत्री,प्रधानमंत्री के पद पर बैठकर ऐश कर रहें हैं....सर्वोच्च न्यायालय के  ज्यादातर न्यायाधीशों पर भी शर्मनाक भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप है तथा न्याय व सत्य को बेचकर अरबपति बनने का प्रमाण है...
 
 
 
आज जो व्यक्ति मायावती,मनमोहन सिंह,सोनिया गाँधी,राहुल गाँधी,शरद पवार,प्रणव मुखर्जी जैसों बेईमानो की हत्या करने की नहीं सोचता वो मन ही मन दलित विरोधी ,सवर्ण विरोधी,गरीब विरोधी,समाज विरोधी,देश का गद्दार तथा इंसानियत का दुश्मन मानता है अपने आपको ....क्योकि इन कुकर्मियों का जिन्दा रहना पूरी इंसानियत के लिए ना सिर्फ शर्मनाक है बल्कि खतरनाक भी है....आज बेईमानों की जय नहीं बल्कि इन साले असंतुलित बेईमानो व धनपशुओं का सर धर से अलग कर देने की जरूरत है और ऐसा करने की शपथ अब इस देश की जनता को लेना ही होगा...कुकर्मियों,गद्दारों व लूटेरों से देश व समाज को बचाना ही धर्मसंगत और एक सच्चे इंसान का कर्तव्य है. जिसकी व्याख्या संविधान में भी है और कानून भी इसकी इजाजत देता है की जब कुकर्मी और भ्रष्टाचारी से अपनी रक्षा करने का कोई उपाय ना हो तो उसकी हत्या करना कानून संगत है ..जब भ्रष्ट जजों पे दवाब होगा तबजाकर सत्य व न्याय की असल परिभाषा लिखी जाएगी अभी तो सत्य व न्याय को भ्रष्ट अरबपति वकीलों व जजों के गठजोड़ से बेचा व ख़रीदा जाता है बस ,यही कारण है की 64 वर्षों के आजाद भारत में एक भी भ्रष्ट मंत्री,सांसद ,विधायक ,जज या अधिकारी को आजीवन कारावास या फांसी की ना तो सजा हुयी है और ना ही इनके काले धन को जप्त कर देश के जरूरत मंदों में बांटा गया है...अब हमें अपने बच्चों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने भेजने के वजाय इन भ्रष्ट और कुकर्मी नेताओं की तस्वीर दिखाकर यह बताना और सिखाना होगा की ये सब साले पूरी मानवता के दुश्मन हैं और इनको और इनके खानदान को किसी तरह ख़त्म करना ही तुम्हारे जीवन का लक्ष्य है....वैसे भी इन साले भ्रष्टाचारियों और इनके कुकर्मी उद्योगपतियों ने अब स्कूलों को भी वेश्यालय व ऐय्यासी का अड्डा बना दिया है जहाँ चारित्रिक शिक्षा का तो नामों निशान ही नहीं बल्कि ज्यादातर स्कूल दुकान बन चुके हैं...शिक्षा की निति को इन लोगों ने ऐसा बर्बाद किया है की छात्र पढने के लिए चोरी,पॉकेटमारी व होटलों में काम करने को मजबूर हैं तो छात्रायें  देह बेचने को मजबूर हैं और शिक्षक भडुओं का रोल निभा रहें हैं अपनी नौकरी बचाने तथा पेट पालने के लिए...



निश्चय ही हमारे इस विचार को कुछ लोग हिंसात्मक तथा उग्र विचारों वाला कह सकते हैं लेकिन उनसे मेरी प्रार्थना है की वो अपने आस-पास के किसी सरकारी कार्यालय,अदालत,जिलापदाधिकारी के कार्यालय में जाकर लोगों को अपने अधिकारों के लिए रोज मरते हुए देखें तथा देश में बेतहासा महंगाई व शरद पवार तथा मुकेश अम्बानी जैसों के दौलत में बेतहासा वृद्धि की विवेचना करें जिससे रोज ना जाने कितने लोग मौत को गले लगाते हैं जिसे हमारे देश की पूंजीपतियों की दुकान बन चुकी मिडिया उजागर भी नहीं करती के बारे में एक बार जरूर सोचें...

हालाँकि मैं ऐसे मुद्दों को तथा सत्य,न्याय व ईमानदारी के रास्ते पे चलने वालों को हर हाल में सुरक्षा,सहायता तथा सहयोग के लिए एक IAC-Blog media investigation and social audit wing नाम से एक केंद्र की स्थापना के लिए कई ब्लोगरों के साथ आर्थिक सहयोग तथा इसकी कार्यप्रणाली के संचालन के मुद्दों पर विचार विमर्श कर रहा हूँ ..जिससे ताकतवर कुकर्मियों से सच्चे इंसान की यथा संभव सुरक्षा की जाय | आज हर इंसान के अन्दर असुरों के संघार की शक्ति का सदुपयोग कर भ्रष्ट मंत्रियों,सांसदों,विधायकों तथा अधिकारियों के आसुरी गतिविधयों से सख्ती से निपटने की जरूरत है दूसरा कोई उपाय नहीं है इस देश व समाज में शक्ति के संतुलन की तथा खुद को सुरक्षित करने की ...