आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

क्या हम ब्लोगर भी डरपोक हैं ------?





आज कुछ स्वार्थी,असामाजिक और समाज में इंसानों के बीच दूरियां बढाकर ,अपने ठगी और भर्ष्टाचार के खेल को सुरक्षा प्रदान करने वाले लोगों क़ी वजह से समाज में इंसान ,इंसान से डरने लगा है / 

अब आप कहेंगे इसमें ब्लोगर का जिक्र कहाँ से आ गया ? तो मैं बताना चाहूँगा क़ी कल अजित गुप्ता जी क़ी एक पोस्ट "मैं अमेरिका जा रहीं हूँ" प्रकाशित हुआ था / इस पोस्ट को मैंने भी पढ़ा क्योंकि मेरे द्वारा आयोजित विचार व्यक्त करने के प्रतियोगिता में अजित जी विजेता बनी हैं /  अतः मुझे सम्मान पत्र और इनाम के चेक को अजित जी तक भेजने के लिए उनका डाक का पता चाहिए था / इसलिए मैंने उस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए अजित जी को यात्रा क़ी शुभकामनाये देने के साथ-साथ उनको सार्थक विचार के लिए इनाम ले जाने के लिए भी लिखा और अपना नंबर भी उनके पोस्ट के कमेन्ट में लिख दिया / और उन्होंने जो अपना नंबर पोस्ट में लिखा था उस पर मैं लगातार ट्राय करता रहा / लेकिन दो घंटे लगातार ट्राय करने के बाबजूद उनके द्वारा दिया गया दोनों नंबर में से एक भी नहीं मिला / चूँकि उन्होंने अपने पोस्ट से नंबर हटा दिया है ,इसलिए मैं उनका दोनों नंबर यहाँ नहीं लिख रहा हूँ / हलांकि दोनों में से एक भी नंबर काम नहीं कर रहा है /

अब मैं दुबारा उनके पोस्ट पर यह देखने गया क़ी ,सम्भवतह उन्होंने अपने पोस्ट पर मेरे टिप्पणी के जवाब में कुछ लिखा हो / लेकिन जब मैं उनके पोस्ट पर पहुंचा तो किसी स्वप्निल के सलाह " ऐसे ब्लॉग पर अपना नंबर नहीं लिखना चाहिए ,खतरा है " पर अजित जी पोस्ट से फोन नंबर हटा चुकी थी / और स्वप्निल के सलाह के जवाबी टिप्पणी में यह लिख चुकी थी क़ी "सवप्निल जी मैंने आपके सलाह पे फोन नंबर हटा दिया है" /  

यह पोस्ट लिखने क़ी प्रेरणा मुझे अजित जी के इसी कदम से मिला /
अब सवाल उठता है क़ी ब्लॉग के जरिये इंसानियत क़ी बड़ी-बड़ी बातें करने वाले हम ब्लोगर इतने कमजोर और डरपोक हैं क़ी अपना फोन नंबर भी ब्लॉग पर छोड़ने क़ी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं ? अगर इसका जवाब हाँ में है तो हमें ब्लोगिंग छोर घर में दुबक कर रहना चाहिए और बरी-बरी बातें करनी और सोचनी छोड़ देनी चाहिए /

कल मैंने स्टार न्यूज़ में महिला पत्रकार से उसके ही सहकर्मियों के दुर्व्यवहार पर ब्लॉग जगत क़ी सख्त नाराजगी और तीखी प्रतिक्रिया के लिए एक जुटता भी देखि / मन गदगद हो गया क़ी लोग अन्याय के विरुद्ध एकजुट होकर निडरता से आवाज उठा रहें है / ऐसी निडरता और समाज में अन्याय के विरुद्ध आवाज को मजबूती देने के लिए ही ब्लॉग जगत है /

यहाँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए क़ी हमारी कमजोरियों और समाज में इंसानों के बीच बढती दूरियां ही अपराध और असामाजिक तत्वों को मजबूती प्रदान कर रहें हैं /
मेरे ख्याल में तो ह़र ब्लोगर को अपना मोबाइल नंबर और इ मेल ब्लॉग के सबसे ऊपर लिखना चाहिए ,जिससे इस जालिम दुनिया में अगर किसी इंसान को इंसानी सहायता क़ी जरूरत परे तो वह हमे मदद या जरूरी सलाह के लिए हमसे संपर्क कर सके / इसके साथ ही हमें किसी भी ब्लोगर या किसी इंसान के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध आवाज को ब्लॉग के पोस्ट में प्राथमिकता देनी चाहिए,ठीक उसी तरह जैसे कल स्टार न्यूज़ के मुद्दे पर प्राथमिकता के साथ-साथ टिप्पणियों क़ी भी प्राथमिकता थी /
 असल में ब्लोगिंग का दूसरा नाम निडरता है / अब इसी विषय पर आपका विचार और सुझाव भी ब्लोगरों को दिशा दिखाने का काम करेगा / 

4 टिप्‍पणियां:

  1. i dont agree fully. your personal details can be misused. private details or fight against injustice ka koi relation nahi hai !!

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  2. असल में ब्लोगिंग का दूसरा नाम निडरता है / अब इसी विषय पर आपका विचार और सुझाव भी ब्लोगरों को दिशा दिखाने का काम करेगा
    पर कुछ सवाल तो रह ही जाते हैं !!

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  3. अच्छा आप क्या इसे पसंद करेंगे कि कोई भी अनजाना आपको फोन करे और कहे कि "सर मैं XYZ बैंक से बोल रहा हूँ, हमारे पास ये-वो स्कीम है.." मैं अक्सर इसी तरह के स्पैम से बचने के लिए नंबर नेट पर नहीं छोड़ता हूँ.. :)
    कोई मुझे फोन करे और कहे कि "पहचानो मैं कौन हूँ?" मुझे इससे भी बेहद चिढ महसूस होती है..

    डरना काहे का!! वैसे ब्लोगर इंसान ही होता है, और डरता भी इंसान ही है..

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  4. ब्लॉग अपनी अभिव्यक्ति का इतना अच्छा मंच है , जिंतना किसी समाचार पत्र या पत्रिका नहीं, इनमें लिखना उनकी मर्जी पर निर्भर रहता है... कहाँ पूरी बात लिखते है हमारी.... ... क्योंकि इसमें देश विदेश तक हम अपनी बात आदि पहुँचाने में स्वयं सक्षम हैं ..... . फिर किसी से क्या डरना.....

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