*आज इंसानियत खतरे में है*
लोग कहते हैं,हिंदुत्व खतरे में है ,
वहीँ कुछ लोग कहते हैं ,इस्लाम खतरे में है /
यह कहते शर्म आती है कि इंसानियत खतरे में है /
ईमानदारी से कुछ करना नहीं चाहते ,
ब्लॉग पर इंसानियत कि मुहीम को लाना नहीं चाहते /
हम पूछते हैं क्या वह तुम्हारा भाई है ,
जिसने इंसानियत को शर्मसार करने कि कसम खाई है /
कैसे हो सकता वह तुम्हारा भाई ,
क्योंकि उसने तो तुम्हें भी मिटाकर ,
अपनी और सिर्फ अपनी स्वार्थ से लगाई है /
वह ना है हिन्दू और ना ही मुसलमान /
वह तो है इंसान के रूप में एक हैवान /
जो माने जंगल का कानून ,
उसका ना कोई सगा और ना कोई दिन और इमान /
हम जड़ हैं जो नहीं पहचानते ,
हैवान है वो यह भी नहीं जानते /
इन्होने छीन ली गरीबों कि दो वक्त कि रोटी ,
एक दिन नोंच लेंगे ये इंसान कि बोटी-बोटी /
आज कोई सच बोलना नहीं चाहता ,
जो बोलता है उसकी सुरक्षा कोई करना नहीं चाहता /
हम कहते हैं एक संगठन चाहिए ,
क्योंकि इंसानियत को आज सुरक्षा चाहिए /
संगठन लोगों के बने हैं,
स्वार्थ और हैवानियत में तने हैं /
संगठन बुड़ा नहीं होता ,
जब उसका नेक उद्देश्य होता ,
होता अगर पारदर्शी व जनकल्याण का वास्ता ,
नहीं कोई कारण जो ना हो उसका पूरे देश में रास्ता /
ब्लॉग और मीडिया तो बस साधन है ,
असल में तो इंसान का जमीर ही उसके कर्मों का वाहन है /
जमीर तब तक नहीं जगेगा ,
जब तक स्वार्थ और अहंकार का रंग नहीं उतरेगा /
हो सकता है सब कुछ सही ,
सही मायने में जब हो जायें हम सब एकजुट कहिं /
हैवान,गद्दार और स्वार्थी रोड़ा अटकायेंगें ,
लेकिन हमारी एकजुटता से वो भी बाद में पछ्तायेंगें /
सोचेंगे हम क्यों नहीं हुए साथ ,
ये तो है सच्ची इंसानियत कि बात /
हम कोई कवि नहीं है ,हमारा तो उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ इस देश और समाज में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंसानियत को बचाने तथा लुटेरों से इस देश को बचाने के लिए आगे आने का आग्रह करना है और जो आयेंगे उनके लिए एक सुरक्षा चक्र बनाना क्योंकि समुचित सुरक्षा के अभाव में भी लोग इंसानियत के कर्मों से पीछे हट रहें हैं /