आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

बुधवार, 26 मई 2010

अपने बच्चों को रतन टाटा और मुकेश अम्बानी बनाने के बजाय शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसा बनाने कि कोशिस कीजिये --------?


आज पैसा बोलता है ,पैसा चुप रखता है ,पैसा किसी कि जान बचाता है ,पैसा किसी कि जान लेता है ,पैसा रिश्ते बनता और उखारता है ,पैसा मीडिया को सामाजिक सरोकार से दूर कर चुका है ,पैसा मंत्रियों को समाज व इंसानियत से दूर ले जाकर भ्रष्ट और अय्यास बना चुका है ,पैसा इंसानियत को अपने पैरों तले ह़र वक्त कुचल रहा है और यही नहीं पैसे कि भूख ने ना जाने किन किन गम्भीर सामाजिक पतन को जन्म दिया है / पैसे वाले सोचते हैं कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है और मेरा दावा है कि ये पैसे वाले पैसे से अपने लिए एक सच्ची पत्नी का प्यार भी नहीं खरीद सकते ?

इन सब बातों के मद्दे नजर हम क्या कोई भी यह कह सकता है कि यह पैसों कि वे वजह भूख सिर्फ और सिर्फ हमें इंसान से हैवान ही बना सकती है / पैसों कि भूख ने ज्यादातर बच्चों को इंसानी उसूलों से दूर धकेल दिया है और बच्चे अपने माता पिता का आदर करने के वजाय उनकी हत्या कि सुपारी देने लगे हैं / इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है कि पैसे कि भूख ने एक बेटे को अपने माँ बाप को एक सपेरे को सुपारी देकर सांप से कटवा कर मौत के लिए प्रेरित कर दिया /
इसलिए हमारा आपसे आग्रह और नम्र निवेदन है कि आप अपने बच्चों को इस पैसे कि भूख से दूर रखकर उसे एक सच्चा,अच्छा,इमानदार,देश भक्त और इंसान बनाने का प्रयास कीजिये / उसे इतना सुख और झूठा साधन मत मुहैया कीजिये जिसके लिए उसे एक दिन आपका भी जान लेना पर जाय / अपने बच्चों में सत्य,न्याय और इंसानियत के लिए मर-मिटने का जज्बा पैदा कीजिये ,जिससे वह आपको भी बुढ़ापे में इंसानियत के नाते एक इंसान को इंसान द्वारा दिया जाने वाला सम्मान दे सके /
हमारा प्रयास है कि आप खुद भी इसके लिए आज से रोज कुछ वक्त निकालें और अपने बच्चों को इस तरह कि नैतिक व्यवहार और जिम्मेवारियों कि शिक्षा दें / अगर आपको हमारी सहायता कि जरूरत हो तो हमें भी फोन करें / आप हमारे इस इंसानियत को जिन्दा करने कि मुहीम में हमारे साथ जुरकर honesty project के संस्थापक सदस्यों के परिवार में शामिल होकर देश और समाज में इंसानियत को जिन्दा करने के मुहीम में एकजुट हो सकते हैं / अभी इसी वक्त जुरने के लिए http://hprdindia.org/ekjut.html पर जाकर  हार्दिक रूप से जुरिये / कुछ दिनों बाद आपका नाम इसी वेब साईट पर संस्थापक सदस्य के रूप में आपको दिखेगा ,आपके पूरे विवरण के साथ / इस मुहीम में ह़र उस इंसान  का स्वागत है जो जुरने के बाद सिर्फ और सिर्फ इंसानी उसूलों पे चलने का जज्बा रखता है / याद रखिये मुसीबत में आपका सच्चा साथ सिर्फ एक इंसान ही दे सकता है कोई पैसे कि भूख रखने वाला रतन टाटा या मुकेश अम्बानी आपका साथ नहीं देगा / इसलिए हमारा सबसे आग्रह है कि अपने बच्चों को रतन टाटा और मुकेश अम्बानी बनाने के बजाय ,इंसानी उसूलों के लिए लड़ने  वाला शहीद भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रान्तिकारी व सच्चा स्वतंत्रता सेनानी बनाने का प्रयास कीजिये / आज देश और समाज को ऐसे लोगों कि ही जरूरत है /

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति. आज के उपभोक्तावादी युग में हर एक दूसरों से आगे निकल जाना चाहता है. पैसों की यह दौड़ एक दिन हमें ले डूबेगी. काश हम समय रहते सुधर जाएं.

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  2. " कौन हैं नेताजी , कौन हैं सावरकर
    बच्चे मुझसे पूछ रहे हैं,
    भूल गए हैं भगत सिंह को,
    अब तो अमिताभ को पूज रहे हैं "
    संजीव राणा
    हिन्दुस्तानी

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  3. bahut sahi baat ki...par kya aisa hoga...itni hod hai safalta ki desh ki kisko chinta...peeche reh gaye to samaaj kya kahega...

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  4. क्या हमें टाटा-अम्बानी और भगत सिंह-आज़ाद की एक साथ ज़रूरत नहीं है?

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  5. बात जमी नहीं. हर एक की आवश्यकता है. क्या हम शिक्षक के बिना, कामगार के बिना, नेता बिना, पुलिस के बिना काम चला सकते है? तो व्यापार के बिना भी नहीं चला सकते. टाटा और कोई और जो भी है वह टेक्स भी भरता है. लाखों को रोजगार भी देता है. समाजवादी व वामपंथी सोच ने देश को बरबाद ही किया है.

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  6. @ संजय और राधारमन जी ,मेरा मतलब एक ऐसे मरीज के इलाज से है जिसको ICU की जरूरत है उसे आप लोग OPD में ले जाने की सलाह दे रहें हैं / रही बात बामपंथी या समाजवादी विचारधारा ,जिस किसी विचारधारा और उसको चलाने वाले लोगों का जमीर मर जायेगा ,कार्यों के प्रति उनकी ईमानदारी खत्म हो जाएगी तो वो देश और समाज को बर्बाद ही करेगा / हमने टाटा और अम्बानी का जिक्र भी इसी सिलसिले में किया है ,हमें आज सबसे पहले जमीर और ईमानदारी की जरूरत है जो सिर्फ और सिर्फ निडर,इमानदार और समर्पित लोगों में ही होता है /

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  7. देशहित में प्रेरक रचना पर हमारी बधाई सवीकार करें जी

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  8. @ हिंदी ब्लॉगजगत ,आपने बहुत ही बढ़िया बात कही है / किसी भी नेक काम की शुरुआत इन्सान को खुद से ही शुरू करना चाहिए और यकीन मानिये हमने अपने आप पे सबसे पहले और पुरजोर तरीके से शुरूआत करने की कोशिस की है / आप हमें फोन करें इस नंबर पर -09810752301 तो विस्तार से इस विषय पर चर्चा करूंगा /

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  9. अपने वच्चों को क्रांतिकारी बनाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मुसकिल के इस दौर में अगर हमने अपने बच्चों को क्रांतिकारी वनाकर देश को न बचाया तो और कोई नहीं बचेगा याहे वो बयापारी हो या बयाबसायी या फिर आम आदमी

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  10. आपके विचार वाकई बहुत बढ़िया हैं..देश की रक्षा के लिए लिए जा रहे इस अनुकरणीय प्रयास में हम भी आपके साथ हैं...शुभकामनाएं...

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  11. भगत सिंह चन्द्र शेखर बनाये नही जाते बने बनाये अवतरित होते है

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  12. bahut sarthak soch hai aapki.....!!
    kash hamare desh me bahut saare bhagat aur ajad paida ho pate.......:)

    kabhi hamare blog pe aayen!!

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  13. जिन्दा लोगों की तलाश!
    मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!


    काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
    =0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=

    सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

    हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

    इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

    अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

    आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

    सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-

    (सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
    राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666

    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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