आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

शनिवार, 15 मई 2010

RTI कानून और देश -----?


*RTI कानून और देश*

ये हमारा गणतंत्र /
जो बन गया है एक आतंकतंत्र  /
पहले आम लोगों को असुरक्षित करो ,
फिर सुरक्षा का ढोंग धरो /
RTI कानून आया ,
लोगों के जानने के हक़ को जगाया /
भ्रष्ट लोगों को ये नहीं भाया ,
भ्रष्टाचारी नहीं आये बाज ,
निकालने लगे इस कानून कि खाल /
बैठे इस गणतंत्र के बन सरताज ,
चोर,उचक्के,गद्दार और चालबाज /
ये करते जनता के पैसे से अय्यासी ,
इनको नहीं पसंद कोई पूछे ऐसी-वैसी /
इन्होने चलायी है अब एक चाल ,
RTI कानून में हो संशोधन हर हाल /
अगर हुआ कोई संशोधन फ़िलहाल ,
मर जायेगा RTI कानून बेहाल /
इस गणतंत्र का क्या है हाल ,
मंत्री खुशहाल जनता फटेहाल  /
जनता क्यों नहीं आती आगे ,
भागे चोर गद्दार पतली गली से पिछवारे /
अब तो एक ही कानून का सपना है ,
जिसे जनता को सड़कों पे ही बनाना है /
तब जाकर जनता होगी स्वतंत्र ,
और ये देश होगा असल गणतंत्र /
 

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई चितंनीय हालात है। आरटीआई कानून जब लागू हुआ था, तब इसे देश का आइना बताया गया था। अब आइना ही बदलने की तैयारी है। जनता को जागना ही होगा।

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  2. बहुत बढ़िया लिखा आपने...पसंद आई आपकी रचना.

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    पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'

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  3. RTI क़ानून अभी तक कोई मिसाल नहीं दाग पाया है. मैंने जब-जब इसका फायदा लेने को गुहार लगाई, दस रुपैया जमा करके भी ज्यूँ की त्यूँ वापस लौट आई. सच कहा आपने अभी तक ये क़ानून बेकार साबित हुआ है.

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  4. झा जी..... गणतंत्र नहीं 'गनतंत्र' कहिये....

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  5. सुन्दर भाव पर कुछ खल रहा है कविता में झूठ नहीं बोलूँगा..

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  6. बहुत बढ़िया लिखा आपने...पसंद आई आपकी रचना.

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