राजस्थान में स्कोलरशिप घोटाला सामने आया है जिसमे SC ,ST छात्रों को दिया जाने वाला कड़ोरों रूपये का स्कोलरशिप उन शिक्षण संस्थानों को दिया जा रहा था ,जो या तो फर्जी हैं या शिक्षा के नाम पे सिर्फ बिल्डिंग के रूप में स्थापित हैं और जिसमे छात्रों का कहीं कोई अता-पता नहीं है |
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि यह घोटाला राजस्थान के उस समाज कल्याण मंत्रालय से जुड़ा है जो राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत के जिम्मे है और शायद इसलिए आनन-फानन में दो निदेशकों को बरखास्त भी कर दिया गया है,शायद यह सोचकर कि मुख्यमंत्री जी कि लाज बच जाये | इसके साथ ही सभी जिला मजिस्ट्रेट को जाँच कर दोषियों के खिलाप FIR भी दायर करने के आदेश दे दिए गयें हैं ,लेकिन जिस देश में कांग्रेस ने सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ़ इंवेस्टिगेसन में बदल दिया हो,क्या उस देश में कांग्रेस के ही किसी सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री के विभाग से जुरे मामले कि निष्पक्ष जाँच हो पायेगी ?
और अगर निष्पक्ष जाँच नहीं हो पाई तो निम्नलिखित सवाल का जवाब तो राजस्थान के इमानदार जनता को ही ढूंढना होगा --
1- ये शिक्षण संस्थान किसी मंत्री के ही फर्जी नाम पे तो नहीं चल रहा था ?
2-ये फर्जीवारा कितने सालों से चल रहा था ?
3-इस फर्जी वारे कि कड़ी कहीं केंद्र में कांग्रेस सरकार में बैठे किसी मंत्री से भी तो नहीं जुड़ा है ?
4-क्या इस तरह का फर्जी वारा दिल्ली में भी हो रहा है अगर हाँ तो इसकी जाँच भी होनी चाहिए ?
5-क्या यह SC ,ST के नाम पर कांग्रेस कि खुली लूट नहीं है,क्योंकि यह कैसे हो सकता है कि इस हेरा फेरी कि खबर उस मंत्री को ना हो जिस मंत्री के पास यह मंत्रालय हो ?
6-क्या समाज कल्याण के नाम पर कांग्रेस पार्टी कहीं अपने पार्टी फंड का कल्याण तो नहीं कर रही है अगले चुनाव के लिए ,इस घोटाले कि जाँच इस नजरिये से भी होनी चाहिए और देखा जाना चाहिए कि कही ये शिक्षण संस्थान उन लोगों के तो नहीं हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी फंड में मोटा चंदा दिया हो ,और उसी चंदे कि भरपाई के लिए ये सारा फर्जिवारा किया जा रहा हो ?
वैसे देखा जाय तो SC ,ST व अन्य पिछरों के उत्थान और समाज कल्याण के नाम पर ये भ्रष्ट मंत्री और पार्टी अपना उत्थान और कल्याण ही कर रहें बाकि तो सिर्फ कागजों में चल रहा है | निश्चय ही यह घोटाला गंभीर घोटाला है जिसकी जाँच ना सिर्फ राजस्थान बल्कि सारे देश में हर जागरूक नागरिक और समाज सेवकों को करना होगा |
शर्मनाक से भी बढ़कर जघन्य अपराध है यह कि गरीबों और असहाय को मिलने वाला अनुदान भी मंत्रियों और पार्टियों के साजिश द्वारा लूटा जा रहा है ,ऐसे कुकर्मियों को सख्त से सख्त सजा मिले चाहे वह कोई भी हो या किसी भी पार्टी का क्यों ना हो |
किसी का कुछ नही बिगड़ने वाला....सब मिली भगत है....जरा gurudevji लिंक पर जाएं...
जवाब देंहटाएंआपने भ्रष्चाचार से जुडा ये बड़ा मामला जनता के सामने रखकर अपना फर्ज बखूवी निभाया है हमारा मानना है कि कि जातिगत ब्यबस्थायें की ही जाती हैं कुछ चहेतों को फायदा पहंचाने के लिए।
जवाब देंहटाएंवेचारे जो जरूरतमन्द हैं उन तक तो पहुंचने का प्रस्न ही पैदा नहीं होता
राजस्थान में कुछ भी संभव हैं. यहां एक बड़ा कांड और चल रहा है जिसके तहत जनजातिय जमीन गैर जनजातीय लोगों व संस्थाओं देने का खेल भी जारी है, सरकार चाहे कांग्रेस की हो या गैरकांग्रेसी सभी इसमें शामिल हैं...सालों से अखबारों में छप रहा है पर सभी मौन हैं.
जवाब देंहटाएंपिछले ६० सालों में खरबों रूपये इस बाबत सरकारी खजाने से निकाले गए ! वे स्विस बैंक में साद रहे है , यही इनकी नीति है देश के पिछड़ों को आगे लाने की !
जवाब देंहटाएंभाई यही हाल है. रातों रात इन तथाकथित नेताओं के मालामाल होने का और कारण क्या है. ये जनता की गाढी कमाई को आसानी से लूट लेते हैं और 90% से ज्यादा मामलों का तो कुछ पता ही नहीं चलता.
जवाब देंहटाएंसादर!
जवाब देंहटाएंआपके इस सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद | जबकि यह सबको पता है जहाँ नेता है वहीँ प्रशाशन है| इनका कुछ नहीं होगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की हम चुप रहें|
रत्नेश त्रिपाठी
...प्रभावशाली पोस्ट!!!
जवाब देंहटाएंझा साहब, अभी तो महा-नरेगा का महाघोटाला सामने आना बाकी है… उसमें से जो भीषण सड़ांध निकलेगी तब देखियेगा…। नरेगा और सांसद निधि ये दो काम ऐसे हैं जिसमें कांग्रेसियों के हाथ-मुँह-नाक सभी रिश्वत में डूबे हुए हैं। यह पार्टी देश की छाती में एक नासूर है, रिश्वतखोरों को बचाने की परम्परा नेहरु के जमाने से ही शुरु हो चुकी थी, जो आज भी जारी है। कांग्रेस के ही नक्शेकदम पर चलकर बाकी पार्टियाँ भी उससे अधिक हरामखोर बन चुकी हैं… लेकिन कांग्रेस इस सब की माँ है।
जवाब देंहटाएंये राजनेता क़ानून की परिधि से बाहर हैं .. कुछ भी कर सकते हैं ... इनको सब घोटाले माफ़ हैं ...
जवाब देंहटाएंबहरे हुए हैं हुक्मरान अपनी सुनेगा कौन????.. अब तो वो खुद ही अपराधी हैं बहरे तो छोड़िये..
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए आभार।
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ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंआपने भ्रष्चाचार से जुडा ये बड़ा मामला जनता के सामने रखकर अपना फर्ज बखूवी निभाया है
जवाब देंहटाएंदिल्ली चलो, दिल्ली चलो, दिल्ली अभी भी दूर है।
जो मिली आजादी हमको , वो बड़ी मजबूर है ।
हमने समझा था जिन्हें , ये देश के है पहरूवा ।
अब वतन आगे बढेगा , अब वतन आजाद है ।
रोंक पाये वो ना अपने , अंतर्मन के लोभ को ।
देश को गिरवी रखा , बेंच कर स्वाभिमान को ।