आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

शनिवार, 14 अगस्त 2010

कल गणतंत्र में एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...?

जब तक ऐसे भ्रष्ट नेता देश के विकाश के साधन और संसाधन को खुद का विकाश करने के लिए पूरी आजादी से लूटते रहेंगे और देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर बैठे लोग ऐसे लोगों पर कोई भी कार्यवाही करने में असमर्थ रहेंगे तबतक देश में आजादी एक ख्वाब और सपना ही रहेगा ..

कल देश के निकम्मे प्रधानमंत्री को 
एक बार फिर कुव्यवस्था को नहीं सुधारने और प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद को शर्मसार करने क़ी आजादी मिल जाएगी ..


कल देश में शरद पवार जैसे भ्रष्ट मंत्रियों को देश को लूटने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी...

कल देश में भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को अपनी तनख्वाह,भत्तों और सुख सुविधा को गरीबों का खून चूसकर भी अपने मन मुताबिक बढाने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ....असली आजादी ...?


कल देश के पुलिस व्यवस्था को इमानदार,सच्चे,देशभक्त,गरीब और लाचार लोगों के किसी भी शिकायत पर कोई भी कार्यवाही नहीं करने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...

कल देश के भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और उनके अपराधी प्रतिनिधियों को बैंक तथा जिला प्रशासन के सहयोग से सभी जन्कल्यानकारी योजनाओं को लूटने और देश के विकाश को नकली विकाश में बदलने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...



कल देश के गरीब,इमानदार,सच्चे,अच्छे,देशभक्तों को अपमानित होने,भूखे मरने,अन्याय व अत्याचार सहकर मरने तथा सत्य व न्याय के ढोंग के दर्दनाक अवस्था को सहने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ...

देश के ९०% भ्रष्ट मंत्रियों को अपने मन मुताबिक देश को बेचने और अपना काला धन स्विस बैंक में भरने तथा खुलेआम भ्रष्टाचार का नंगा खेल खेलने क़ी एक बार फिर आजादी मिल जाएगी ... 

कल देश के सभी भ्रष्ट जाँच अधिकारियों को किसी भी घोटाले क़ी जाँच क़ी कागजी कार्यवाही कर पैसा बनाने और किसी भी भ्रष्टाचारी को सजा नहीं देने क़ी आजादी एक बार फिर मिल जाएगी ....




कल देश के भ्रष्ट और एय्यास जजों तथा वकीलों को कानून,सत्य तथा न्याय को खुले आम बेचने और पूरी न्याय व्यवस्था को शर्मसार करने क़ी एकबार फिर आजादी मिल जाएगी ...

कल देश के आम नागरिकों को भी कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार के दुर्गन्ध युक्त शासन को एक बार फिर ह़र-हाल में सहने क़ी आजादी मिल जाएगी ...

6 टिप्‍पणियां:

  1. सच तो यही है जो आपने इस पोस्ट में दर्ज किया है. आपको एक बात बताऊँ, मुझे यह पोस्ट पढ़ कर लगा कि आपने मेरे विचारों को शब्द दे दिए हैं. ६३ साल की आज़ादी का जब मूल्यांकन करते हैं तो लगता है कि ६३०० वर्ष पीछे चले गए. एक बेहद तल्ख बात कह रहा हूँ, शायद बहुत से लोगों को बुरा लगे लेकिन हकीकत यह है कि अँगरेज़ इससे बेहतर थे. उस दौर में गरीबी और भुखमरी दोनों ही थीं, साधन एवं संसाधनों की कमी थी, फिर भी मानवता थी. शासक जनता का खून नहीं चूसता था, भाई भतीजावाद हावी नहीं था, गरीब की फरियाद सुनी जाती थी. आज तो गरीब होना ही जुर्म है.
    बहुत कुछ कह जाने का मन है लेकिन भाई यह कमेन्ट बॉक्स है, आपके ब्लॉग पोस्ट में ही ज्यादा तल्खियाँ हैं.

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  2. bahut hi acha lekh likha hai aapne...
    par sach to ye hai ki desh aazaad ho kar bhi aazaad nahi hai, bas desh par raaj karne wale badal gaye hai or kuch nahi badla...
    lekh k liye badhaai..

    Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....

    A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...

    Banned Area News : Kareena Kapoor And Karan Johar At Mr. Nari Hira's Bash

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  3. जो सचमुच ही हर्षोल्लास का दिन होना चाहिए था,वह ओछी और स्वार्थपरक राजनीति के कारण रस्म बनकर रह गया है। मगर ध्यान रहे कि जनता का भी एक हिस्सा पूरे तंत्र को घुन की तरह खोखला कर रहा है। ज़रूरत एक साथ दोतरफा कार्रवाई करने की है।

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  4. कहते हैं नग्न सच कडुवा होता है और बर्दास्त नहीं होता. देश की सच्चाइयां बहुत ही बेदर्दी से आपने लिखी.

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  5. .
    इतनी बेबाकी से सच को लिखने के लिए आपको बधाई । लेकिन राधारमण जी की बात से सहमत हूँ , जनता भी उतनी ही दोषी है। स्वार्थ से भरी दुनिया में जरूरत है अपने गिरेबान में झाँकने की। खुद को बदलने की, यदि हर कोई इमानदार हो जाए तो ये धरती स्वर्ग सामान हो जाए। मुझे नहीं लगता की ये भ्रष्ट नेता कभी बदलेंगे। अगर निर्भीक और निस्स्वार्थ लोग आगे आयें तो युग जरूर बदलेगा । विश्वास है ।

    ओज से भरी इस पोस्ट के लिए आपको बधाई ।
    .

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  6. निश्चित रूप से हालात बहुत बुरे हैं. लेकिन हालात को कोसने से समस्या का हल नहीं निकलेगा.सुधार के प्रयत्न करने होंगे.

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