हमारा हमेशा से मानना रहा है क़ी कोई व्यक्ति किसी पद पर बैठकर महान नहीं बल्कि उस पद क़ी मर्यादा के अनुसार आचरण करने से होता है |
एक तरफ जहाँ सर्वोच्च न्यायालय के एक जज ने न्याय और इंसानियत को जिन्दा करने के लिए अभूतपूर्व निर्णय दिया और शरद पवार जैसे भ्रष्ट मंत्री क़ी वजह से सड़ चुकी व्यवस्था को आदेश दिया क़ी अनाज को सड़ाने से अच्छा है क़ी उसे गरीबों में मुफ्त बाँट दिया जाय | ऐसा आदेश सरकार को देकर सर्वोच्च न्यायालय के माननीय जज ने ना सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के मर्यादा को बढाया बल्कि न्याय और इंसानियत का संतुलन कैसे होता है इसका अभूतपूर्व उदाहरण सरकार और इस देश क़ी जनता के सामने पेश किया |
वहीँ दूसरी ओर हमारे देश के प्रधानमंत्री जो इस देश क़ी जनता के सेवा के लिए तनख्वाह पाते हैं ,ने इस आदेश के बाद सर्वोच्च न्यायालय को सरकार के नीतिगत मामलों से दूर रहने को कहा |
ऐसा कहकर मनमोहन सिंह जी ने ना सिर्फ न्याय को हतोत्साहित करने का काम किया है बल्कि भ्रष्टाचार को बढाने तथा शरद पवार जैसे भ्रष्टाचारियों को सरकारी संरक्षण देने क़ी भी कोशिस क़ी है | मनमोहन सिंह जी ने ऐसा बयान देकर अपने मानसिक दिवालियापन और इस देश क़ी जनता के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता का परिचय दिया है | अब वक्त आ गया है क़ी हमसब को मिलकर ऐसे निकम्मे प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री जैसे पद को छोड़ने के लिए मुहीम चलाने क़ी जरूरत है | शर्मनाक है मनमोहन सिंह जी का बयान और दिमागी दिवालियापन....?
हम ऐसे अन्याय और भ्रष्टाचार को पोषण देने वाले बयान देने वाले प्रधानमंत्री का पुरजोड़ विरोध करते और हमें इस बात का बेहद दुःख है क़ी एक निकम्मा व्यक्ति हमारे देश के प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद पर बैठा है जिससे हमारा देश और समाज नरक बनता जा रहा है | आप सबसे भी आग्रह है क़ी आप लोग भी अपने स्वयं के अंतरात्मा के आवाज पर निड़र होकर इस प्रधानमंत्री के बारे में अपने विचार यहाँ रखें ...
शर्मनाक के साथ-साथ खतरनाक है क़ी अब ऐसे लोगों को इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेवार और सम्माननीय पदों पर बैठाया जा रहा है जो देश क़ी जनता के प्रति जिम्मेवार होने के वजाय दलालों और भ्रष्टाचारियों के प्रति ज्यादा जवाबदेही दिखाते हैं और जिसकी वजह से इस देश में सत्य,ईमानदारी और इंसानियत लगभग ख़त्म होती जा रही है | शायद इनकी मनसा इस गणतंत्र को दलालों का तंत्र बनाने का है | शायद यही वजह है क़ी शरद पवार और राजा जैसे लोग इन सम्माननीय पदों से भी ऊपर हो गए हैं और इनपर कोई भी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है और देश में एक सन्देश जा रहा है क़ी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पदों पर बैठा व्यक्ति भी इन भ्रष्टाचारियों के रहमों करम पे है |
सही कह रहे हैं आप !!
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
लोहे की भैंस-नया अविष्कार
ब्लॉग4वार्ता पर स्वागत है।
झा साहेब, बहुत अच्छा लिखा आपने, जहाँ सारी व्यवस्था कि भ्रष्ट हो वहाँ किसी भी व्यक्ति से इमानदारी कि अपेक्षा करना व्यर्थ है ...
जवाब देंहटाएंvery well written
जवाब देंहटाएंcorruption is our religion
आप बिलकुल सही कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग 'जागो ग्राहक' पर पधारने के लिए धन्यवाद. ऐसी टिप्पणियां हौसला बढ़ाती हैं.
आपका प्रोफाइल पेज बहुत प्रेरणादायक है. मानव संसाधन एक प्रकार की मानव सेवा है. मानवों के अन्दर छिपी सकारात्मक शक्तियों को उभारना और उन्हें विकसित करना, जिस से मानव समाज का भला हो सके, एक सराहनीय प्रयास है. मैं एक मेनेजमेंट सिस्टम कंसल्टेंट हूँ, कम्पनियों की इस विषय में मदद करता हूँ, मानव संसाधन इन सिस्टम्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
'जागो ग्राहक' एक प्रयास है ग्राहकों की मदद करने का. मैं यह विश्वास करता हूँ कि शिकायतें अगर उत्पाद/सेवा प्रदाता के स्तर पर ही सुलझा ली जायेंगी तब ग्राहक अदालतों पर अनावश्यक वोझ कम हो जाएगा और ग्राहक अनावश्यक झंझट से बच जायेंगे. अदालतों में जाना कोई आसन काम तो है नहीं, बहुत परेशानी होती है, पैसे और समय का अपव्यय है. इस से अगर बचा जा सके और ग्राहकों की शिकायतें भी दूर हो जाएँ तब ज्यादा अच्छा होगा. मैं इस विषय में प्रयासरत हूँ. आप और आप जैसे नागरिकों का का सहयोग मिलेगा तब यह प्रयास अवश्य ही सफल होगा.
हम एक दूसरे के ब्लॉग पर आते रहें और अपने अनुभव और जानकारी बांटते रहें. हम दिल्ली में रहते हैं, कभी-कभी मिलते भी रहें.
लोगों की अपनी जागरूकता के बगैर कुछ भी संभव नहीं लगता। व्यवस्था से सुधार की अपेक्षा एकांगी और बेमानी रहेगी जब तक हममें से ही कुछ लोग घुन बने रहेंगे।
जवाब देंहटाएंडर है,कहीं असली मुद्दे से ध्यान हटकर मामला न्यायपालिका की अतिसक्रियता पर केंद्रित न हो जाए।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति .......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग कि संभवतया अंतिम पोस्ट, अपनी राय जरुर दे :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_15.html
कृपया विजेट पोल में अपनी राय अवश्य दे ...
सही आवाज़ उठाई...हम भी साथ हैं.
जवाब देंहटाएं____________________
नन्हीं 'पाखी की दुनिया' में भी आयें.
शर्मनाक के साथ-साथ खतरनाक है क़ी अब ऐसे लोगों को इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेवार और सम्माननीय पदों पर बैठाया जा रहा है जो देश क़ी जनता के प्रति जिम्मेवार होने के वजाय दलालों और भ्रष्टाचारियों के प्रति ज्यादा जवाबदेही दिखाते हैं और जिसकी वजह से इस देश में सत्य,ईमानदारी और इंसानियत लगभग ख़त्म होती जा रही है |
जवाब देंहटाएंsahi keh rahe hain aap...sehmat hun aapse.
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आपके विचार पढ रहा हूँ
जवाब देंहटाएंSahi likha hai aapne.....Main aapse sahmat hun.
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