मुकेश और नीता अम्बानी जी ,जिनको नये आवास की अग्रिम बधाई और शुभकामनायें ...अब आप दोनों कृपाकर अपनी सारी शक्ति इस देश और समाज के लिए लगायें..इसके लिए पूरा देश और समाज आपका आभारी रहेगा ...(चित्र -गूगल से साभार) |
मुकेश अम्बानी जी के नये आवास की एक झलक...(चित्र -गूगल से साभार) |
मुकेश अम्बानी साहब आपको लगभग 6000 कड़ोर क़ी लागत से बना,173 मीटर ऊँचा,60 मंजिल क़ी ऊंचाई में ज्यादा ऊंचाई वाले 27 मंजिला ,168 कारों के पार्किंग क़ी क्षमता वाला,तीन हेलीपैड-स्विमिंग पूल-झूलता गार्डेन,तथा और भी स्वर्गों जैसी सुविधायुक्त नया आवास बहुत-बहुत मुबारक हो |
आपने यह आवास कानून द्वारा तर्कसम्मत विधि से अर्जित धन से बनाया है इसलिए इसका विरोध करने का भी किसी को कोई हक़ नहीं ..वैसे भी किसमे हिम्मत है क़ी खुले आम आपका किसी भी बात के लिए विरोध कर सके ...?
मैं आपको कानूनी दायरे से बाहर आकर इंसानियत और नैतिकता में बाँधकर आपसे आग्रह करता हूँ क़ी इस देश को आप जैसे अनुभवी,कर्मठ,शक्तिशाली तथा भाग्यशाली व्यक्ति के अंतरात्मा क़ी सख्त जरूरत है | आज इस देश में इंसानी अंतरात्मा,सच बोलने वाले,न्याय के लिए लड़ने वाले ,ईमानदारी को भगवान के समान मानने वाले लोगों क़ी बड़ी दयनीय स्थिति है खासकर इस देश क़ी आत्मा गांवों में बसती है लेकिन गांवों में स्थिति बेहद शर्मनाक है सत्य,न्याय,ईमानदारी,देशभक्ति तथा इंसानियत के राह क़ी | अब तो लोग इन बातों से कोढ़ के रोग क़ी तरह दूर भाग्तें हैं ...निश्चय क़ी यह आपके साथ-साथ पूरी इंसानियत के लिए भी खतरे क़ी घंटी है |
अतः इतिहास से सबक अगर लिया जाय तो उस साम्राज्य का पताका ज्यादा दिनों तक फहराता रहा है जो अंततः सत्य,न्याय,ईमानदारी तथा इंसानियत को सुरक्षा व सहायता के लिए अपने ताकत का इस्तेमाल किया है | हमारे देश में दुर्भाग्य से उद्योगपतियों क़ी छवि दिनों दिन समाज व इंसानियत विरोधी बनती जा रही है ..चूँकि हिन्दुस्तानी मीडिया इन्ही उद्योगपतियों के सहारे जिन्दा है या यों कहें क़ी उनके व्यवसायिक हित इनसे ही सधती है इसलिए मीडिया में उद्योग पतियों के खिलाप सार्थक आलोचना का भी अब पूरा मामला ही साफ हो गया है जिससे उद्योगपतियों में सामाजिक सरोकार क़ी भावना कहिं ग़ुम सी होती जा रही है |
अतः इन सब बातों के मद्दे नजर आपसे नम्र आग्रह है क़ी अब आपने इस नए आवास के साथ सबकुछ पा लिया है और अब आपको अपने समूह के शुद्ध लाभ का 50% इस देश के ह़र गांव में एक अदद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,एक इन्टरनेट से सुसज्जित जन समस्या निवारण प्रयास केंद्र ,एक चिकित्सालय जैसे मूलभूत जरूरत जैसे सुविधाओं को स्थापित करने तथा उसके लिए योग्य और इमानदार लोगों को ढूंढकर उसे संचालित करवाने पर खर्च करना चाहिए | ऐसा करने से आप ना सिर्फ पूंजीपतियों के बीच बल्कि इस देश क़ी आत्मा (गांवों में रहने वाले)से भी सबसे महान उद्योगपति कहलाने योग्य बन जायेंगे | ऐसा करना एक इंसान और भारतीय नागरिक होने के नाते आपका नैतिक दायित्व भी है |
आशा है आप इस मुद्दे पर नए आवास के खुशनुमा माहौल में पहुँचने के बाद सोचना और उस पर अमल करना शुरू कर देंगे | यकिन मानिये ऐसा करने से अम्बानी समूह का सूरज कभी अस्त नहीं हो पायेगा बल्कि इस देश के आत्मा में भी चमकता रहेगा ....!
विजयादशमी की बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सम सामयिक विषय उठाया है। मेरा यह मानना है कि हमारा कमाया हुआ पैसा भी सामाजिक सम्पत्ति है और इसे समाज हित में ही खर्च करना चाहिए। हम तो केवल ट्रस्टी मात्र हैं। इस प्रकार के निवास बनवाना केवल दम्भ का प्रतीक है। ये फिर भी गाँव-गाँव में स्कूल और चिकित्सालय खोलने की परम्परा प्रारम्भ करें तो इनके ना केवल पाप धुलेंगे अपितु पुण्यों में भी वृद्धि होगी।
जवाब देंहटाएं@ अजित गुप्ता जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका..हमने अम्बानी दंपत्ति से नम्र आग्रह किया है ..देखिये शायद कोई चमत्कार हो और ये सबसे ताकतवर दंपत्ति सामाजिक सरोकार की जरूरत के प्रति गंभीरता से सोचने लगें ...अगर इस दिशा में कुछ भी ईमानदारी से होगा तो इस देश और समाज के लिए बेहद उपयोगी होगा...यही मेरा प्रयास है...मेरा सभी ब्लोगरों से आग्रह है की वो भी इस तरह का आग्रह अपने ब्लॉग के माध्यम से अम्बानी दंपत्ति से करें... मुंबई के ब्लोगरों से आग्रह है की अम्बानी दंपत्ति से ये बातें लिखित में भी पहुँचाने का प्रयास करें ..वैसे अगले महीने मैं शायद मुंबई जाऊंगा तो इस तरह के प्रयास को खुद करने या अम्बानी दंपत्ति से मिलने की भी चेष्टा करूंगा ...
मेरी ओर से भी बधाई और शुभकामनाएँ। इन्हीं लोगों से आगे भी उम्मीद रखनी चाहिए।
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आदरणीय जय कुमार झा जी,
यह क्या कर रहे हैं आप ?
क्षणिक चर्चा व लोकप्रियता पाने के लिये अच्छा स्टंट है यह... पर एकदम गैरजरूरी भी... हर आदमी को हक है कि वह अपने पास उपलब्ध साधनों के अनूरूप घर अपने लिये बनवाये... रही बात विद्मालय व चिकित्सालयों की... तो यह अपेक्षा तो हमें अपनी सरकारों से रखनी चाहिये व इसके लिये दबाव भी बनाना चाहिये...
एक बार पहले भी आप आत्मदाह जैसा कुछ करने की पोस्ट लिख चुके हैं... और आज यह... यदि आप चाहते हैं कि ब्लॉगिंग को लोग गंभीरता से लें... तो कृपया इस तरह की सार्वजनिक अपीलें न करें... भारत का आम आदमी संसाधनहीन जरूर है... पर किसी की कृपा का मोहताज नही!
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@आदरणीय प्रवीन शाह जी
जवाब देंहटाएंभारत का आम आदमी संसाधनहीन जरूर है... पर किसी की कृपा का मोहताज नही...!
आपने सही बात कही लेकिन दुर्भाग्य से आज हर व्यक्ति का स्वाभिमान गिरवी रखा हुआ है पूंजीपतियों के हाथ...हर अच्छा प्रयास पूंजी के अभाव में दम तोड़ रहा हो ....जिस देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी पूंजी के हाथों मजबूर हो तब ऐसी अवस्था को सिर्फ और सिर्फ किसी की अंतरात्मा को झकझोर कर इंसानियत की और मोड़ने से ही बदला जा सकता है ..मेरे इस पोस्ट का मकसद यही है कामयाबी या नाकामयाबी अलग बात है ...! वैसे आपके विचारों का मैं हार्दिक सम्मान करता हूँ ...
भाई साहब आप भी अच्छा मजाक कर लेते हैं। नैतिकता और ईमानदारी से जिनका कोई वास्ता नहीं उनसे इसकी उम्मीद? क्या आपने उन्हें आम आदमी समझ रखा है। रही बात कानून की, वह तो इन्हीं लोगों के इशारे पर चलता है। जहां इनका काम गैरकानूनी लगने लगता है वहां संसद से लेकर न्यायालय तक उस कानून का जनाजा निकाल देते हैं।
जवाब देंहटाएं@सत्येन्द्र जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका...आपने एकदम सच कहा और आपकी बात से मैं पुर्णतः सहमत हूँ ..लेकिन मेरा मानना है की अन्गुलिमार डाकू को भी बाल्मीकि बनाया जा सकता है तो अम्बानी दंपत्ति को भी सामाजिक सरोकार के लिए सोचने की दिशा में प्रेरित किया जा सकता है ..दरअसल आज अम्बानी दंपत्ति जैसे लोग इस देश की सरकार का पर्याय बन चुके है ,इसलिए इनको इंसानियत के लिए प्रेरित करना सरकार में पारदर्शिता को लाने के प्रयास के सामान है ...वैसे आज इसे मजाक,स्टंट,बिना गंभीरता के ब्लोगिंग जैसा कुछ भी कहा जा सकता है ..मुझे ऐसे शब्दों से परहेज नहीं है ..मैं अपना प्रयास करता रहूँगा..हाँ आपलोग भी प्रयास करेंगे तो राह आसान हो जाएगी ...वैसे सार्थक आलोचना तो ब्लोगिंग का आधार है ...
यह समझना मुश्किल है कि एकल परिवार को इतना विशाल मकान क्यों चाहिए।
जवाब देंहटाएंजय भाई, जब यह समाचार टीवी पर देख रहा था, तभी मेरे दिमाग में बिल गेट्स की घोषणा भी कौंध रही थी, जिसमें उन्होंने अपनी सम्पत्ति के अधिकांश भाग को जरूरतमंदों को देने के लिए कहा है।
जवाब देंहटाएंबाकी क्या कहा जाए, अपना पैसा, अपनी मौज।
@शिक्षामित्र जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका...आपकी तरह मेरे मन में भी प्रश्न हैं..लेकिन ऐसे प्रश्न से अच्छा है किसी से इंसानियत के लिए विनम्र आग्रह करना वही मैंने करने का प्रयास किया है...
@ जाकिर भाई
आपका भी धन्यवाद ...एक न एक दिन व्यक्ति की अंतरात्मा जरूर जागती है ..चाहे वह सिकंदर महान हो,विल गेट्स हो या कोई और देखना है अम्बानी दंपत्ति की अंतरात्मा इस नए आवास में जाकर किस दिशा की ओर चलती है ...हो सके तो आपलोग भी अपने ब्लॉग से इस तरह का प्रयास करें..
अति-सुन्दर पोस्ट !
जवाब देंहटाएंjhakjhorti hui post kai savalon ka javab mangti hai yeh post
जवाब देंहटाएंआप के विचार सही हैं लेकिन आप को लगता है कि कोई सुनेगा?
जवाब देंहटाएंएकल परिवार ओर ये विशाल भवन ..इतिहास में नाम दर्ज होगा...
शुभ पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंकानून का सहारा प्राप्त है भाई....
जवाब देंहटाएंआपको परिवार एवं इष्ट स्नेहीजनों सहित दीपावली की घणी रामराम.
रामराम
इसी तरह आप से बात करूंगा
जवाब देंहटाएंमुलाक़ात आप से जरूर करूंगा
आप
मेरे परिवार के सदस्य
लगते हैं
अब लगता नहीं कभी
मिले नहीं है
आपने भरपूर स्नेह और
सम्मान दिया
हृदय को मेरे झकझोर दिया
दीपावली को यादगार बना दिया
लेखन वर्ष की पहली दीवाली को
बिना दीयों के रोशन कर दिया
बिना पटाखों के दिल में
धमाका कर दिया
ऐसी दीपावली सब की हो
घर परिवार में अमन हो
निरंतर दुआ यही करूंगा
अब वर्ष दर वर्ष जरिये कलम
मुलाक़ात करूंगा
इसी तरह आप से
बात करूंगा
मुलाक़ात आप से
जरूर करूंगा
01-11-2010
काफी दिनों से आपका ब्लॉग अपडेट नहीं है। आपके पास विचारों की कमी नहीं। शायद किसी अन्य वजह से सक्रियता घटी हो।
जवाब देंहटाएंदेर से आने के लिये माफ़ी दीजिये
जवाब देंहटाएंसामयिक एवम आवश्यक आलेख
एक कहानी लोमष रिषी की भी है.
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंता ..
जवाब देंहटाएंगिनीज बुक वाले आये या नहीं
मेरी कल्पना में एक चरित्र है जो स्वयं को भगवान का खजांची कहता है. बहुत पैसा है उस के पास, जिसे वह कहता है कि भगवान ने उस के पास रखवाया है. यह पैसा वह भगवान के बन्दों पर खर्च करता है. तलाश है मुझे ऐसे व्यक्ति की.
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