आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

गम्भीर मुद्दों पर मसखरापन!!!!!!अपरिपक्वता और कमजोर चरित्र का सूचक है --कौन कर रहा है ,भारत के भाग्य को खोखला करने कि साजिश-- ?

                          
जब अच्छा सोचने से रोका जाय , ईमानदारी कि बात करने पर डांट-डपट कर चुप करा दिया जाय ,भ्रष्टाचार से लड़ने के उपाय को ह़र पाठ्यक्रम से निकाल दिया जाय ,ज्यादातर टीवी चैनलों पर उच्च पदों पर बैठे भ्रष्ट और  तीकरमी लोगों के कारनामो कि चर्चा उनके लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए किया जाय और हर घर में जीने के लिए चोरी और बईमानी के उपायों पर रोज चर्चा करना पड़े ,  ऐसे सामाजिक वातावरण में स्वस्थ और परिपक्व दिमाग का किसी बच्चे में होना विलक्षण ही माना जायेगा और जिस देश में बच्चों के दिमाग को ही खोखला बनाने कि साजिश रची जा रही हो वह भी सिर्फ इसलिए कि इस देश का गम्भीर और परिपक्व दिमाग आज भी पूरी दुनिया पर अपना बौद्धिक दबदबा रखता है / ये अलग बात है कि हमारे शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा नीती निर्माण में कुछ ऐसे लोभी-लालची ,भ्रष्ट और देश के गद्दारों के वजह से पैसों कि कमी का बनावटी रोना रोकर शिक्षा व्यवस्था को मल्टीनेशनल कम्पनियों से सौदा कर ,भारत के भाग्य को पूरी तरह बेच दिया है / यही वजह है युवा पीढ़ी देश और सामाजिक सरोकार से दूर होती जा रही है , जिससे देश और समाज से तर्कसंगत न्याय और मजबूत चरित्र खत्म होता जा रहा है / आज इस बात कि आवश्यकता है कि अपने क्षेत्र के स्कूल कि सामाजिक जाँच उस स्कूल में पढने वाले बच्चों के अभिभावक और उस क्षेत्र कि जनता मिलकर करे ना कि शिक्षा मंत्री और पदाधिकारी /  ह़र स्कूल के पाठ्यक्रम और स्कूल चाहे निजी हो या सरकारी सभी स्कूल का प्रबंधन और देख-रेख उस क्षेत्र कि जनता के हवाले पूरी तरह कर दिया जाय , मंत्रियों और सांसदों को स्कूल से दूर रखा जाय / स्कूल के शिक्षक के कार्य और गुणवत्ता कि निगरानी , उपाय और समुचित कार्यवाही का अधिकार सिर्फ उस क्षेत्र के जनता को ही हो / ऐसा करके ही शिक्षा व्यवस्था से व्यवसाय को पूरी तरह खत्म कर भारत के भाग्य को खोखला करने कि साजिश को नाकाम किया जा सकता है / रही पैसों कि कमी तो हमें शिक्षा के लिए किसी भी विदेशी सहायता कि जरूरत नहीं है सिर्फ जरूरत है शिक्षा को देश के चुने हुए चरित्रवान और लोभ- लालच से परे लोगों के हवाले करने कि तब जाकर हमलोग  गम्भीर मुद्दों पर मसखरापन,अपरिपक्वता और कमजोर चरित्र को बढ़ने से रोक पाएंगे / देश के बच्चे ही भारत के भविष्य और भाग्य हैं , इनको ह़र कीमत पड़ कमजोर होने से रोकने के उपाय,देश के आम जनता को एकजुट होकर सोचना होगा /

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें