आज कितना बदल गया है इंसान...?

गणतंत्र को बचाना है तो भ्रष्ट मंत्रियों को जनयुद्ध के जरिये सरे आम फांसी देनी होगी......

रविवार, 25 अप्रैल 2010

कहिं ये आवारा पूँजी रुपी कुत्ते के काटने से हमारे देश को रेबीज तो नहीं हो गया है ---?

                                    
जिस तरह किसी भी मनुष्य को आवारा कुत्ते के काटने से रेबीज नामक गम्भीर बीमारी हो जाती है और अगर समय रहते उसका इलाज नहीं कराया जाय तो उसकी मृत्यु   निश्चित हो जाती है / ठीक उसी तरह कहिं ये आवारा पूँजी रुपी कुत्ते के काटने से हमारे देश को रेबीज तो नहीं हो गया है ---?
                             यह बड़ा ही गम्भीर प्रश्न है और अगर इसका जवाव हाँ में है तो पूरे देश और इस देश में रहने वाले 125 कड़ोर नागरिकों के अस्तित्व के लिए खतरे क़ी घंटी है / 
                       देश क़ी हालत ,गावों में जरूरत मंदों व स्वरोजगार करने वालों को ऋण मिलने में भारी दिक्कतें,शहरों में भी इमानदार व्यवसायियों को ऋण आसानी से नहीं मिलना ,भ्रष्टाचारियों व भ्रष्ट मंत्रियों तथा उनके रिश्तेदारों को आसानी से सस्ते दर पर तुरंत ऋण मिल जाना ,देश में कृषि योग्य ज़मीन को सिर्फ काले धन के उन्नति के लिए विशेष व्यवसायिक जोन घोषित  कर आवारा पूँजी के उर्वरा शक्ति को सरकार में बैठे लोगों द्वारा बढाने का काम करना ,इत्यादि ऐसे कारण और लक्षण हैं जिससे लगता है क़ी इस देश को वास्तव में आवारा पूँजी रुपी पागल कुत्ते ने काट लिया है /
                           अब इसका गम्भीर असर देश क़ी व्यवस्था और इस देश क़ी मिडिया पर पूरी तरह दिख रहा है / ज्यादातर चेनल और अख़बार इसके चपेट में आने से सामाजिक सरोकार के विषय से दूर होकर जनता के बीच अपनी विश्वसनियता खोते जा रहें हैं /
                          इस देश में गरीब क्या अमीर क्या ह़र किसी को इस आवारा पूँजी क़ी वजह से परेशानी हो रही है / सामाजिक संतुलन का यह हाल है क़ी कोई तो पैसों को खा रहा है ,तो कोई पैसों के अभाव में भूखे सो रहा है और अपने बच्चों क़ी मूलभूत जरूरतें जैसे उचित शिक्षा ,पोषण युक्त आहार ,समुचित वस्त्र और एक अदद रहने को झोपड़ी जुटाने में भी बड़ी मुश्किल हालात से जूझ रहा है / 
               छोटे व्यवसायियों(5 से 10 करोड़ सालाना कारोबार करने वाले) को भी इस देश में अपना सही और मूलभूत जरूरत क़ी आवश्यकता के चीजों जैसे बिजली कनेक्सन,पानी कनेक्सन,जमीन को व्यवसायिक उपयोग के प्रमाणपत्र,पोलुसन प्रमाणपत्र जैसे और भी कई प्रकार के बेकार के सरकारी NOC के लिए लाखों रूपये रिश्वत के तौर पर स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों से लेकर मंत्रियों और विभिन्न सरकारी एजेंसियों को देना परता है / ऐसे हालात में व्यवसायी अपनी लूट क़ी भरपाई के लिए घटिया उत्पाद,अपने मन मुताबिक मूल्य,बाजार में बनावटी अभाव इत्यादि के तिकरम का सहारा लेते है / देश के प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति जी को इस विषय पर गंभीरता से सोचने क़ी जरूरत है /
                       वातावरण के नाम पर और दिल्ली में शिलींग के नाम पर छोटे उद्योगों को बंद करने के पीछे भी इस आवारा पूँजी का ही हाथ कहा जा सकता है / रिश्वत के खेल को जिन्दा रखकर आज भी दिल्ली में उद्योग वैसे ही चल रहें हैं / हाँ ये अलग बात है क़ी छोटे उद्योग और आवारा पूँजी जिनके पास नहीं थी,ऐसे उद्योगों के मालिक या तो बर्बाद हो गए,या बर्बादी से बचने के लिए भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हो गए /
                       आवारा पूँजी ना सिर्फ देश के अर्थ व्यवस्था का नुकसान करता है बल्कि पूरी सामाजिक संतुलन को भी बर्बाद करने का काम करता है /
                           इस आवारा पूँजी के रेबीज से देश और समाज को बचाने का सबसे कारगर वेक्सिन है -सभी सरकारी खर्चों,योजनाओं का लेखा जोखा सामाजिक जाँच के आधार पर हो और सभी सरकारी घोटालों क़ी जाँच में इमानदार सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे अन्ना हजारे ,अरविन्द केजरीवाल,किरण बेदी,जैसे इमानदार लोगों को शामिल किया जाय / साथ-साथ ब्लॉग और ब्लोगरों द्वारा इसके लिए  नेट के जरिये एक खोजी पत्रकारिता के दायित्व को पूरी तरह निभाने क़ी भी जरूरत है / 
                हमने संसद में दो महीने सिर्फ जनता के द्वारा प्रश्न किया जाय और मंत्रियों व सांसदों द्वारा जवाब दिया जाय इस विषय पर आपके सुझाव और विचार कम  से कम 100 शब्दों में आपको रखने के लिए आमंत्रित किया है ,कृपा कर नीचे लिखे  पोस्ट लिंक को खोलकर उसके टिप्पणी बॉक्स में जाकर  देशहित में अपना बहुमूल्य विचार और सुझाव जरूर लिखें / आपके उम्दा विचारों को सम्मानित करने क़ी भी व्यवस्था है /

   (इस लिंक पर क्लिक करने से यह पोस्ट खुल जायेगा ,जिसके टिप्पणी बॉक्स में,आपको अपने विचार और सुझाव लिखना है -- सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------)
                                        

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